"जंगली भैंसा": अवतरणों में अंतर
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करीब 5000 वर्ग किलोमीटर के इस स्वर्ग का नाम है अबूझमाड़। ना यहाँ धुंआ उड़ाते कारखाने हैं, और ना ही धूल उड़ाती खदानें, और ना ही वे सड़के हैं जिनसे होकर विनाश यहाँ तक पहुँच सके। पर यह सब कुछ बदलने वाला है और कुछ तो बदल भी चुका है। यहाँ पर रहने वाले आदिवासिय़ॊं को तथाकथित कामरेड बंदूके थमा रहें हैं। हजारो सालों तक स्वर्ग रही इस धरती पर इन स्वयंभू कामरेडों ने बारूदों के ढेर लगा दिये हैं। इस सुरम्य धरती पर इन लोगो ने ऐसी बारूदी सुरंगे बिछा दी हैं, जो सुरक्षा बलों आदिवासियों और वन्य प्राणियों में फ़र्क नहीं कर सकतीं। और सबसे बड़े खेद की बात तो यह है, कि जिन योजनाओं का डर दिखा कर इन्होंने आदिवासियों को भड़्काया था, हमारी सरकार आज उन्हीं को लागू करने जा रही है। अबूझमाड़ में बिना पहुँचे और बिना कोई अध्ययन कराये यहां खदानों का आवंटन किया जा रहा है। और हमारे वंशजों की इस धरोहर को इसलिये नहीं बरबाद किया जायेगा, कि देश मे लौह अयस्क की कोई कमी है, बल्कि इस अयस्क को निर्यात करके पहले ही धन कुबेर बन चुके खदानपतियों का लालच अब सारी सीमाएं तोड़ चुका है, और वे इतने ताकतवर हो चुके हैं, कि अब वे नेताओं के नही बल्कि नेता उनके इशारों पर नाचते है। उनकी नजरों में वन्यप्राणी और आदिवासियों की कोई कीमत नहीं। प्राकृतिक असंतुलन, ग्लोबल वार्मिंग, नदियों का पानी विहीन होना और अकाल जैसे शब्दों का इनसे कोई वास्ता नहीं। जब तक दुनिया में एक भी जगह रहने लायक रहेगी तब तक इनके पास मजे से जीने का पैसा तो भरपूर होगा ही। इन्ही करतूतों से हमारे इन जंगलों में बची हुई जंगली भैंसों की आबादी भी नष्ट हो जायेगी।
== इन्हें भी देखें==
*[[गौर|गवला या गौर]]
*[[बायसन]]
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