"भारतीय राष्ट्रीय मिलिट्री कालेज": अवतरणों में अंतर

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तब यह इम्पीरियल कैडेट कॉर्प्स (सजवाड़ा कैम्प) के प्रांगण में स्थित था। यह 138 एकड़ का हरा भरा कैम्पस देहरादून कैण्ट के गढ़ी गांव के निकट था। तब ब्रिटिशों का विश्वास था, कि निजि विद्यालयों की शिक्षा भारतीय युवाओं के लिये सेनाओं के अनुशासन हेतु अनिवार्य होगी।
 
आर.आई.एम.सी के लिये, मूल सरकारी आदेशानुसार लेफ्टि.कर्नल श्रेणी का मिलिट्री कमाण्डेण्ट और वरिष्ठ और कनिष्ठ ब्रिटिश शिक्षक और कुछ भारतीय शिक्षक नियुक्त किये गये। प्रथम कमा० थे लेफ्टि.कर्नल एच.एल.रॉउटन, सिख रेजिमेंट, जिन्होंने [[22 फरवरी]] [[1922]] को अधिभार ग्रहण किया था। हीरा लाल अटल, प्रथम कैडेट कप्तान थे, जिन्हें स्वतंत्रता उपरांत भारतीय संघ का एजंडेण्ट जनरल भी नियुक्त किया गया था। मेज.जेन.हीरा लाल ने भारत का सर्वोच्च कॉम्बैट हेतु साहस पुरस्कार, [[परम वीर चक्र]]; अभिकल्पित किया था। प्राथमिक कैडेट्स में से कुछ थे [[के.एस.थिमैया]], [[असगर खान]], इत्यादि<ref>Pages 22 and 23, Where Gallantry is Tradition: Saga of Rashtriya Indian Military College, By Bikram Singh, Sidharth Mishra, Contributor Rashtriya Indian Military College, Published 1997 by Allied Publishers, ISBN 81-7023-649-5</ref>
 
भारतीय स्वतंत्रता उपरांत, विद्यालय ने अपनी शिक्षा परंपरा जारी रखी, पर अब [[भारतीय सेना]] के लिये युवाओं की शिक्षा और प्रशिक्षण हेतु। अन्तर केवल इतना था, कि अब वह एन.डी.ए. के लिये फीडर का कार्य करता है। जो कि स्वयं [[भारतीय सेना]]ओं का फीडर संस्थान है।