"भाषा-परिवार": अवतरणों में अंतर
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[[चित्र:Languages.png|right|thumb|400px|विश्व के प्रमुख भाषाकुलों के भाषाभाषियों की संख्या का पाई-चार्ट]]
आपस में सम्बन्धित [[भाषा]]ओं को '''भाषा-परिवार''' कहते
इस समय संसार की भाषाओं की तीन अवस्थाएँ हैं। विभिन्न देशों की प्राचीन भाषाएँ जिनका अध्ययन और वर्गीकरण पर्याप्त सामग्री के अभाव में नहीं हो सका है, पहली अवस्था में है। इनका अस्तित्व इनमें उपलब्ध प्राचीन [[शिलालेख|शिलालेखो]], सिक्कों और हस्तलिखित पुस्तकों में अभी सुरक्षित है। [[मेसोपोटेमिया]] की पुरानी भाषा ‘सुमेरीय’ तथा [[इटली]] की प्राचीन भाषा ‘एत्रस्कन’ इसी तरह की भाषाएँ हैं। दूसरी अवस्था में ऐसी आधुनिक भाषाएँ हैं, जिनका सम्यक् शोध के अभाव में अध्ययन और विभाजन प्रचुर सामग्री के होते हुए भी नहीं हो सका है। बास्क, बुशमन, जापानी, कोरियाई, अंडमानी आदि भाषाएँ इसी अवस्था में हैं। तीसरी अवस्था की भाषाओं में पर्याप्त सामग्री है और उनका अध्ययन एवं वर्गीकरण हो चुका है। [[ग्रीक]], [[अरबी]], [[फारसी]], [[संस्कृत]], [[अंग्रेजी]] आदि अनेक विकसित एवं समृद्ध भाषाएँ इसके अन्तर्गत हैं।
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यह समूह भाषाओं का सबसे बड़ा परिवार है और सबसे महत्वपूर्ण भी है क्योंकि [[अंग्रेज़ी]],[[रूसी]], [[प्राचीन फारसी]], [[हिन्दी]], [[पंजाबी]], [[जर्मन]] - ये तमाम भाषाएँ इसी समूह से संबंध रखती हैं। इसे 'भारोपीय भाषा-परिवार' भी कहते हैं। विश्व जनसंख्या के लगभग आधे लोग (४५%) भारोपीय भाषा बोलते हैं।
[[संस्कृत]], ग्रीक और [[लातीनी]] जैसी शास्त्रीय भाषाओं का संबंध भी इसी समूह से है. लेकिन अरबी एक बिल्कुल विभिन्न परिवार से संबंध रखती है. इस परिवार की प्राचीन भाषाएँ '''बहिर्मुखी श्लिष्ट-योगात्मक''' (end-inflecting)
=== [[चीनी-तिब्बती भाषा-परिवार]] ===
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(The Afro - Asiatic family or Semito-Hamitic family)
इसकी प्रमुख भाषाओं में [[आरामी]], [[असेरी]], [[सुमेरी]], [[अक्कादी]] और [[कनानी]] वग़ैरा शामिल थीं लेकिन आजकल इस समूह की प्रसिद्धतम भाषाएँ [[अरबी]] और [[इब्रानी]] हैं. इन भाषाओं में मुख्यतः तीन धातु-अक्षर होते हैं और बीच में स्वर घुसाकर इनसे क्रिया और संज्ञाएँ बनायी जाती हैं (अन्तर्मुखी श्लिष्ट-योगात्मक भाषाएँ)
=== [[द्रविड़ भाषा-परिवार]] ===
(The Dravidian Family)
भाषाओं का द्रविड़ी परिवार इस लिहाज़ से बड़ा दिलचस्प है कि हालाँकि ये भाषाएँ भारत के दक्षिणी प्रदेशों में बोली जाती हैं लेकिन उनका उत्तरी क्षेत्र में बोली जाने वाली भाषाओं से कोई संबंध नहीं है (संस्कृत से ऋणशब्द लेने के अलावा)
इसलिए उर्दू या हिंदी का अंग्रेज़ी या जर्मन भाषा से तो कोई रिश्ता निकल सकता है लेकिन मलयालम भाषा से नहीं.
दक्षिणी भारत और श्रीलंका में द्रविड़ी समूह की कोई 26 भाषाएँ बोली जाती हैं लेकिन उनमें ज़्यादा मशहूर [[तमिल]], [[तेलुगु]], [[मलयालम]] और [[कन्नड़]] हैं. ये अन्त-अश्लिष्ट-योगात्मक भाषाएँ
=== यूराल-अतलाई कुल ===
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