"भाषा भूगोल": अवतरणों में अंतर
Content deleted Content added
अनुनाद सिंह (वार्ता | योगदान) No edit summary |
Sanjeev bot (वार्ता | योगदान) छो विराम चिह्न की स्थिति सुधारी। |
||
पंक्ति 1:
[[चित्र:Linguistic Map of Justinian I's Empire c. 560.png|right|thumb|300px|जस्टिनियन प्रथम के नेजेंटाइन साम्राज्य में भाषाई-वितरण का मानचित्र{{legend|#FFB4B4|ग्रीक}}{{legend|#FFE5B4|ग्रीक एवं नेटिव}}{{legend|#B4C0FF|लैटिन}}{{legend|#B4E9FF|लैटिन तथा नेटिव}}{{legend|#FFB4F9|अरामेइक}}{{legend|#BBFFB4|कॉप्टिक (Coptic)}}{{legend|#EEFFB4|कॉकेशियन}}]]
'''भाषा-भूगोल''' (language geography) मानव भूगोल की एक प्रमुख शाखा
==परिचय==
किसी एक उल्लिखित क्षेत्र में पाई जाने वाली भाषा संबंधी विशेषताओं का व्यवस्थित अध्ययन '''भाषा भूगोल''' या '''बोली भूगोल''' (dialect geography) के अंतर्गत आता है। ये विशेषताएँ उच्चारणगत, शब्दगत या व्याकरणगत हो सकती हैं। सामग्री एकत्र करने के लिये भाषाविज्ञानी आवश्यकतानुसार सूचक (Informant) चुनता है और टेपरिकार्डर पर या विशिष्ट स्वनात्मक लिपि (Phonetic Script) में नोटबुक पर सामग्री एकत्र करता है। इस सामग्री के संकलन और संपादन के बाद वह उन्हें अलग अलग मानचित्रों पर अंकित करता है। इस प्रकार तुलनात्मक आधार पर वह समभाषांश रेखाओं (Isoglosses) द्वारा क्षेत्रीय अंतर स्पष्ट कर भाषागत या बोलीगत भौगोलिक सीमाएँ स्पष्ट कर देता है। इस प्रकार बोलियों का निर्धारण हो जाने पर प्रत्येक का वर्णनात्मक एवं तुलनात्मक सर्वेक्षण किया जाता है। उनके व्याकरण तथा कोश बनाए जाते हैं। बोलियों के इसी सर्वांगीण वर्णनात्मक तुलनात्मक या ऐतिहासिक अध्ययन को भाषिका (बोली) विज्ञान (Dialectology) कहते हैं।
भाषा भूगोल का अध्ययन 19वीं शताब्दी में शुरू हुआ। इस क्षेत्र में प्रथम उल्लेखनीय नाम [[श्लेमर]] का है, जिन्होंने [[बवेरियन बोली]] का अध्ययन प्रस्तुत किया। 19वीं शताब्दी के अंत में पश्चिमी यूरोप में भाषा भूगोल का कार्य व्यापक रूप से हुआ। इस क्षेत्र में उल्लेखनीय हैं जर्मनी का 'Sprachatlas des deutschen Reichs' और फ्रांस का 'Atlas lingustique de la France'
{{भूगोल-आधार}}
|