"जन्तर मन्तर (जयपुर)": अवतरणों में अंतर

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विश्व धरोहर सूची में शामिल जंतर-मंतर राजस्थान प्रदेश का पहला और देश का 28 वां स्मारक हो गया है. भरतपुर का घना पक्षी अभयारण्य यूनेस्को की सांस्कृतिक श्रेणी की विश्व धरोहर सूची में पहले से शामिल है. इससे इस नायब वेधशाला को नई अंतर्राष्ट्रीय पहचान मिलेगी ही, स्मारक के रखरखाव के लिए 40 हज़ार डॉलर का अलग फंड भी मिलेगा.
 
== आज भी मिलती है सटीक जानकारी ==
इस वेधशाला में खड़े किये गए यंत्रो में सम्राट, जयप्रकाश और राम यंत्र भी हैं, जिनमें से सम्राट यन्त्र सबसे बड़ा है जिसका उपयोग वायु परिक्षण के लिए किया जाता है।सम्राट यन्त्र की ऊंचाई 140 फिट है, जिसके ऊपरी सिरे पर आकाशीय ध्रुव को इंगित किया गया है, साथ ही इस पर समय बताने के निशान बनाए गए हैं जो आज भी घंटे, मिनट और चौथाई मिनट तक की सटीक जानकारी देते हैं।<ref>http://www.bhaskar.com/article/RAJ-JAI-challenge-the-world-4236516-PHO.html?seq=10</ref>
 
== यंत्रों के आज भी सही-सलामत होने के कारण मिला विश्व विरासत का दर्जा ==
जंतर-मंत्र में स्थित यन्त्र आज भी सही सलामत अवस्था में है जिनके द्वारा हर साल वर्षा का पूर्वाभास तथा मौसम संबंधी जानकारियां एकत्रित की जाती है।मुख्य रूप से यंत्रों के सही सलामत होने के कारण ही यूनेस्को ने इसे विश्व विरासत का दर्जा दिया।<ref>http://www.bhaskar.com/article/RAJ-JAI-challenge-the-world-4236516-PHO.html?seq=10</ref>
 
== निर्माण के पहले मंगवाई थी विदेशी पांडुलिपियां==
महाराजा सवाई जय सिंह द्वितीय ने जयपुर की वेधशाला का निर्माण करवाने से पहले विभिन्न देशों में अपने शांति दूत भेजे और वहां से खगोल शास्त्र पर पांडुलिपियां मंगवाई, जिनसे उन्होंने खगोल विज्ञान को समझा और साथ उन पांडुलिपियों का अनुवाद भी करवाया।<ref>http://www.bhaskar.com/article/RAJ-JAI-challenge-the-world-4236516-PHO.html?seq=10</ref>
 
== वेधशाला से की गई गणनाओं के बाद तैयार होता है जयपुर का कैलेण्डर ==
जयपुर की वेधशाला में उपस्थित यंत्रों के द्वारा की गई गणनाओं के आधार पर आज भी यहां का पंचांग तैयार किया जाता है।<ref>http://www.bhaskar.com/article/RAJ-JAI-challenge-the-world-4236516-PHO.html?seq=10</ref>
== सन्दर्भ ==
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