"जम्मू (विभाग)": अवतरणों में अंतर

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यहां कुछ प्रसिद्ध हिन्दु तीर्थ भी हैं, जैसे [[वैष्णो देवी]], आदि जिनके कारण जम्मू हिन्दू तीर्थ नगरों में गिना जाता है। यहाम की अधिकांश जनसंख्या हिन्दू ही है।,<ref>[http://news.bbc.co.uk/1/shared/spl/hi/south_asia/03/kashmir_future/html/default.stm बीबीसी न्यूज़]</ref> हालांकि दूसरे स्थान पर यहां सिख धर्म ही आता है। वृहत अवसंरचना के कारण जम्मू इस राज्य का प्रमुख आर्थिक केन्द्र बनकर उभरा है।<ref>[https://www.vedamsbooks.com/no38810.htm जम्मू एवं कश्मीर की अर्थव्यवस्था/जस्बीर सिंह]</ref>
 
== इतिहास ==
{{Main|कश्मीर का इतिहास|जम्मू एवं कश्मीर का इतिहास}}
 
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उन्हीं के वंशज [[महाराजा हरि सिंह|महाराजा हरिसिंह]] [[भारत के विभाजन]] के समय यहां के शासक थे और भारत के अधिकांश अन्य रजवाड़ों की भांति ही उन्हें भी [[भारत का विभाजन अधिनियम १९४७|भारत के विभाजन अधिनियम १९४७]] के अन्तर्गत्त ये विकल्प मिले कि वे चाहें तो अपने निर्णय अनुसार भारत या पाकिस्तान से मिल जायें या फ़िर स्वतंत्र राज्य ले लें; हालांकि रजवाड़ों को ये सलाह भी दी गई थी कि भौगोलिक एवं संजातीय परिस्थितियों को देखते हुए किसी एक संप्रभुता (''डोमीनियन'') में विलय हो जायें। अन्ततः जम्मू प्रान्त भारत संप्रभुता (तत्कालीन) में ही विलय हो गया।
 
== जनसांख्यिकी ==
<!-- [[File:Jammu Tawi.jpg|thumb|[[तवी नदी]]]] -->
जातीयता के स्तर पर देखें तो, जम्मू मुख्यतः [[डोगरा रेजीमेंट|डोगरा]] बहुल है और यहां की ६७% से अधिक आबादी डोगरी है। इनके अलावा [[पंजाबी भाषा|पंजाबियों]] की अपेक्षाकृत काफ़ी कम किन्तु उल्लेखनीय गिनती है, जिनमें अधिकांश [[हिन्दू धर्म|हिन्दू]] या [[सिख]] हैं। जम्मू राज्य का अकेला हिन्दू बहुल इलाका है, जहां इनके अलावा २७% मुसलमान और शेष सिख बसते हैं।{{Citation needed|date=January 2009}}जम्मू के अधिकांश हिन्दू डोगरा, कश्मीरी पंडित तथा कोटली एवं मीरपुर के प्रवासी हैं। {{Citation needed|date=January 2009}} हिन्दू जनसंख्या प्रायः जम्मू शहर और उधमपुर में और निकट ही मिलती है। बहुत से सिख परिवार पाक अधिकृत कश्मीर के मुज़फ़्फ़राबाद और पुंछ सेक्टर के पाकिस्तान द्व्रा १९४७ में अधिकृत किये गए क्षेत्रों से आये हुए हैं। {{Citation needed|date=January 2009}}
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{{see also|जम्मू एवं कश्मीर के शहरों की सूची}}
 
== भूगोल एवं जलवायु ==
जम्मू के उत्तरी ओर [[कश्मीर]] है, पूर्व में [[लद्दाख़|लद्दाख]] एवं दक्षिण में [[पंजाब (भारत)|पंजाब]] और [[हिमाचल प्रदेश]] राज्य हैं। पश्चिम दिशा में [[नियंत्रण रेखा]] इसे [[पाक अधिकृत कश्मीर]] से विभक्त करती है। उत्तर में [[कश्मीर घाटी]] और दक्षिण में दमन कोह के मैदानों के बीच स्थित जम्मू क्षेत्र का अधिकांश भाग [[हिमालय]] के [[शिवालिक|शिवालिक रेंज]] में आता है। [[पीर पंजाल]] रेंज[[त्रिकुटा पर्वत|, त्रिकुटा पर्वत]] एवं कम ऊंचाई के [[तवी नदी]] बेसिन के द्वारा जम्मू इलाके की सुंदरता और विविधता में और निखार आ जाता है। पीर पंजाल रेंज जम्मू को कश्मीर घाटी से अलग करता है। जम्मूकी अधिकांश जनसंख्या [[डोगरी साहित्य|डोगरी]] है और ये [[डोगरी भाषा]] ही बोलते हैं, जो [[उत्तर भारत]] एवं [[पाकिस्तान]] में बोली जाने वाली [[हिन्दी]]-[[हिन्दुस्तानी भाषा|हिन्दुस्तानी]] –[[उर्दु]] भाषाओं का मिला-जुला रुप ही है। क्षेत्र का मौसम यहां की ऊंचाई के संग ही बदलता है। जम्मू नगर में एवं पास के इलाकों कामौसम निकटवर्ती पंजाब के क्षेत्र जैसा ही है जिसमें उष्ण [[ग्रीष्मकाल]], बारिशों वाला वर्षाकाल और ठंडे शीतकाल होते हैं। हालांकि जम्मू नगर विशेष में [[हिमपात]] नहीं होता है, किन्तु इस क्षेत्र के ऊंचे पर्वतीय क्षेत्रों में कम से कम सर्दियों में हिमाच्छादित शिखर मिल जाते हैं। देश भर एवं विदेशि सैलानी यहां के प्रसिद्ध पर्वतीय पर्यटन स्थल (''हिल-स्टेशन'') [[पटनीटॉप]] घूमने आते हैं जहां जाड़ों की बर्फ़ सुलभ होती है। प्रसिद्ध तीर्थ [[वैष्णो देवी]] गुफ़ा क्षेत्र शीतकाल में हिमाच्छादित रहता है और यहां हिमपात भी होता है। जम्मू क्षेत्र को कश्मीर क्षेत्र से जोड़ने वाला [[बनिहाल दर्रा]] प्रायः भारी हिमपात के कारण शीतकाल में बंद होता रहता है।
 
{{जम्मू मौसमसंदूक}}
 
== जिले ==
[[File:Jammu division with districts as on Nov 2012.pdf|200px|thumbnail|जम्मू मंडल, सभी जिलों (राल रंग में) एवं उप-जिलों (सहित), नवंबर २०१२। केवल भारत-अधिकृत क्षेत्र ही दिखाये गए हैं।]]
वर्ष २०१२ के अनुसार जम्मू मंडल में कुल १० जिले हैं:
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भीमबर, कोटली, मीरपुर, पुंछ (पश्चिमी भाग), हवेली, भाग और सुधनति। वर्तमान स्थिति में ये [[पाक अधिकृत कश्मीर]] के भाग हैं और भारत द्वारा दावा किये जाते हैं।
 
== राजनीति ==
क्षेत्रकी महत्त्वपूर्ण राजनैतिक पार्टियों में [[भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस]], [[भारतीय जनता पार्टी]], [[जम्मू कश्मीर नेशनल कानफ्रेंस|जम्मू कश्मीर नेशनल कान्फ़्रेंस]], [[:w:Jammu and Kashmir People's Democratic Party|जम्मू एंड कश्मीर पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी]] और [[:w:Jammu and Kashmir National Panthers Party|जम्मू एंड कश्मीर नेशनल पैन्थर्स पार्टी]] हैं। जम्मू के कुछ हिन्दू और स्थानीय भाजपा शाखा जम्मू को वर्तमान कश्मीर राज्य से विलग कर एक अलग राज्य बनाकर भारतीय संघ में विलय कर देने की मांग करते रहे हैं। इसका कारण है कि सभी नीतियां कश्मीर-केन्द्रित होने के कारण जम्मू क्षेत्र की अनदेखी होती जा रही है।
== दर्शनीय स्थल ==
 
जम्मू अपनी प्राकृतिक सुंदरता वाले स्थानों सहित प्राचीन मन्दिरों, [[हिन्दू तीर्थों की सूची|हिन्दू तीर्थों]], मुबारक मंडी महल, [[अमर महल]] जो अब संग्रहालय बन गया है, बाग-बगीचों और किलों के लिये प्रसिद्ध है। यहां दो बड़े एवं प्रसिद्ध हिन्दू तीर्थ हैं: [[अमरनाथ गुफा]] (ये असल में [[कश्मीर घाटी]] में स्थित है) और [[वैष्णो देवी|वैष्णो देवी गुफा]], जहां प्रतिवर्ष लाखों यात्री आते हैं। दोनों के लिये ही मुख्य पड़ाव जम्मू बन जाता है। वैष्णो देवी के बहुत से यात्री साथ में जम्मू घूमने की योजना बना कर आते हैं। इनके अलावा जम्मू की नैसर्गिक सुंदरता के कारण ये [[उत्तर भारत]] में एड्वेन्चर टूरिज़्म के लिये भी चहेता स्थान रहा है।<ref name="bhaderwah.com">[http://www.bhaderwah.com Bhaderwah: Welcome to the Heaven of Earth!!!]</ref><ref name="bhaderwah.com"/> जम्मू के ऐतिहासिक स्मारकों में प्राचीन [[हिन्दू स्थापत्यकला|हिन्दू वास्तुकला]] दिखती है।
 
=== पुरमंडल ===
[[पुरमंडल]], जिसे ''छोटा काशी'' भी कह दिया जाता है, [[जम्मू (शहर)|जम्मू शहर]] से लगभग 35&nbsp;कि.मी दूर स्थित है। यह एक प्राचीन तीर्थ स्थान है जहां शिव और अन्य देवी देवताओं के ढेरों मन्दिर हैं। [[शिवरात्रि]] के अवसर पर यहां तीन दिनों का मेला लगता है और शहर की रौनक एवं भीड़ देखते ही बनती है।
 
=== वैष्णो देवी गुफा ===
''मुख्य लेख : [[वैष्णो देवी]]''
[[File:Vaishno.jpg|right|thumb|250px|प्रसिद्ध हिन्दू तीर्थ [[वैष्णो देवी]] प्रतिवर्ष दसियों लाख यात्रियों को आकर्षित करता है।]]
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जम्मू के निकट ही कटरा है, जहां से वैष्णो देवी की पैदल चढ़ाई आरंभ होती है। यह गुफा त्रिकुटा पर्वत पर १७०० मी. की ऊंचाई पर स्थित है, जहां मां वैष्णो देवी की पवित्र गुफा स्थित है। जम्मू शहर से कटरा की दूरी मात्र ३० कि.मी है और वहां से दुफा की चढ़ाइ दूरी १३ कि.मी है। ये गुफा 30&nbsp;मी. लम्बी और मात्र 1.5&nbsp;मीटर ऊंची है। बंद गुफा के अंत में माता के स्वरूप की प्रतीक तीन पिण्डियाँ रखी हैं जो क्रमशः [[महाकाली]], [[महालक्ष्मी]] और [[सरस्वती|महासरस्वती]] देवी की प्रतीक हैं। ये तीनों देवियां ही मिल कर वैष्णो देवी के रूप में [[भैरवनाथ|भैरों]] नामक पापी के दमन हेतु अवतरित हुई थीं। तीर्थ यात्री नीचे कटरा से ही पैदल ही टोलियों में १३ कि.मी लम्बी यात्रा करते हैं और साथ साथ माता के जयकारे घोष लगाते हैं। बीच रास्ते में अर्धकुवांरी (गुफा), हाथी मत्था और सांझी छत मध्यांतर पड़ते हैं और अंत में जाकर मुख्य गुफा आती है जहां प्रवेश से पूर्व यात्री शीतल जल में स्नान करते हैं और संकरे मुंह वाली गुफा में प्रवेश करते हैं। गुफा में नीचे शीतल जल धारा बहती है जिसे चरणगंगा कहा जाता है। कहते हैं कि माता भैरों से छिपने हेतु इस गुफा में आयीं थीं और भैरों के आने पर उसका संहार कर दिया था। भैरों ने मरते हुए मांता से क्षमा मांगी और उनकी शरण में आ गया, तो मां ने उसे क्षमा कर दिया किंतु त्रिशूल से कटा उसका सिर एक अन्य ऊंची पहाड़ी के ऊपर जा गिरा और धड़ यहीं गुफा के मुख पर गिर गया जो अब पत्थर बन गया है। उसी पर चढ़ कर गुफा में प्रवेश करते हैं।<ref>{{Cite web|url = http://www.maavaishnodevi.net.in/attractions-around-vaishno-devi/bhairon-mandir.htm|title = भैरों मन्दिर, जम्मू|accessdate = ३० अगस्त, २०१३|publisher = http://www.maavaishnodevi.net.in/}}</ref>
 
=== भैरों मंदिर ===
वैष्णों देवी गुफा से कुछ और ऊपर एक अन्य पहाड़ी के ऊपर भैरों का सिर जाकर गिरा था। माता की शरण में आ जाने से सरल-हृदया माता ने उसे क्षमा कर दिया और कहा कि मेरी गुफा की यात्रा तभी पूरी होगी जब यात्री उसके बाद भैरों मंदिर भी जायेंगे। अधिकांश यात्री माता की गुफा के दर्शन के बाद ही वहीं से सीधे ऊपर भैरों मंदिर में दर्शन कर सीधे नीचे उतरते हैं और यात्रा पूर्ण करते हैं।
 
=== नंदिनी वन्य जीवन अभयारण्य ===
नंदिनी वन्य जीवन अभयारण्य तीतर एवं अन्य पक्षियों की विभिन्न प्रजातियों के लिये जाना जाता है, जहां घने जंगलों को घेरकर वन्य जीवन प्रजातियों को संरक्षण दिया गया है। यह अपनी तीतरों व अन्य समान पक्षी प्रजातियों के लिये प्रसिद्ध है जिनमें से कुछ विशेष हैं: मैना, भारतीय मोर, ब्लू रॉक कबूतर, रेड जंगलफ़ो, चीयर ईज़ेंट और चकोर। अभयारण्य लगभग ३४&nbsp;कि.मी<sup>2</sup> में फैला है और यहाम पशुओं की भी ढेरों प्रजातियां हैं। इन प्रजातियों में से जंगलि जानवरों में तेंदुआ, जंगली सूअर, र्हेसस बंदर, भराल और काला लंगूर भी आते हैं।
 
=== मानसर सरोवर ===
''मुख्य लेख : [[मानसर सरोवर]]''
जम्मू से ६२&nbsp;कि.मी दूर स्थित मानसर झील एक सुंदर सरोवर है जिसको जंगलों से ढंके पहाड़ घेरे हुए हैं। यह झील लगभग १ मील लम्बी और आधा मील चौड़ी है। {{coord|32|41|46|N|75|08|49|E|}} जम्मू से निकटस्थ स्थित शहर से बाहर के भ्रमण के लिये एक लोकप्रिय स्थान है। इस स्थान की हिन्दू धर्म में मान्यता भी है और इसकी पवित्रता और कथाएं मानसरोवर झील से जुड़ी हुई हैं।
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मानसर झील एक अन्य सड़क से भि जुड़ती है, जो पठानकोट को सीधे उधमपुर से जोड़ती है। उधमपुर राष्ट्रीय राजमार्क १अ पर बसा सामरिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण शहर है। मानसर या सांबा से उधमपुर का एक छोटा मार्ग भी है जो जम्मू शहर के बाहर से निकल जाता है और मानसर झील से निकलता है। एक अन्य छोटा सरोवर भी मानसर झील से जुड़ा है, सुरिन्सर सरोवर। यह जम्मू शहर से २४4&nbsp;कि.मी दूर उसी बायपास मार्ग पर स्थित है।
 
=== बाहू का किला ===
''मुख्य लेख : [[बाहू का किला]]''
 
== जम्मू के त्योहार ==
 
=== लोहड़ी (१३ जनवरी)===
[[File:Happy Lohri.jpg|thumb|100px|right|लोहड़ी जलाते हुए]]
यह त्योहार [[वसंत ऋतु|वसंत]] के आगमन का सूचक होता है जिसे बड़े और मुख्य रूप से [[मकर संक्रांति]] नाम से मनाया जाता है। भारत के अलग-अलग राज्यों में इसे [[लोहड़ी]], [[बिहू|भोगाली-बिहु]], [[खिचड़ी]], [[पोंगल]] आदि नामों से मनाते हैं। पंजाब व जम्मू क्षेत्र में इसे लोहड़ी के नाम से मनाया जाता है। पूरे क्षेत्र में इस दिन एक खुशी की लहर सी दौड़ जाती है। हजारों लोग नदियों में पवित्र डुबकी लगाकर स्नान करते हैं, और मंदिरों में हवन और यज्ञ होते हैं। गांवों और शहरी क्षेत्र में भी नव-विवाहित युगल या नवजात बच्चे के माता-पिता के लिये ये त्योहार विशेष महत्त्व वाला माना जाता है। इस अवसर पर एक विशेष नृत्य ''छज्जा'' भी किया जाता है। लड़कों को जलूस आदि में सड़कों पर रंगीन कागज और फ़ूलों से सजे छज्जे लेकर नाचते हुए वहां लुभावना दॄश्य देखते ही बनता है। इस अवसर पर पूरे जम्मू क्षेत्र में नवजीवन का संचार हो जाता है।
 
=== बैसाखी (१३ या १४ अप्रैल)===
 
बैसाखी नाम [[विक्रम संवत]] के माह [[वैशाख]] से लिया हुआ है। बैसाखी यहां के एक प्रमुख त्योहार में आता है। प्रत्येक वर्ष कर्क संक्रांति के अवसर पर देश भर में यह त्योहार अलग अलग नामों से मनाया जाता है, जैसे बोहाग-[[बिहू]] या रंगाली-बिहु, आदि। यही त्योहार पंजाब एवं जम्मू क्षेत्र में [[बैसाखी]] नाम से मनाया जाता है। यह त्योहार शस्योत्सव यानि फ़सल कटने के त्योहार के रूप में मनाया जाता है और विवाह आदि के लिये इसका विशेष महत्त्व माना जाता है। लोग इस अवसर पर नदी, तलाबों में पवित्र स्नान करते हैं। बहुत से लोग नव-वर्ष आगमन उत्सव को देखने प्रसिद्ध नागबनी मंदिर भी जाते हैं। इस अवसर पर कई स्थानों पर मेले भी लगते हैं, जहां लोग मस्त होकर भांगड़ा एवं गिद्दा नृत्य करते हैं। [[सिखों के दस गुरू|सिखों के दसवें गुरू]], [[गुरु गोविंद सिंह]] जी ने इसी दिन १६९९ में [[खालसा पंथ|खाल्सा]] की स्थापना की थी। सिख लोगों से इस दिन गुरुद्वारे भरे रहते हैं, जहां [[कीर्तन]], [[शबद]] और [[लंगर (सिख धर्म)|लंगर]] होते हैं तथा [[प्रसाद|कड़ाह प्रसाद]] बंटता है।
 
=== बाहु मेला (मार्च-अप्रैल एवं सितंबर-अक्तूबर)===
वर्ष में दो बार [[बाहु का किला|बाहु के किले]] में स्थित काली माता मंदिर में बड़े मेले का आयोजन होता है।
 
=== चैत्रे चौदस (मार्च-अप्रैल)===
 
चैत्रे चौदश उत्तर बहनी और पुरमंडल में मनाया जाता है जो जम्मू शहर से क्रमशः २५&nbsp;कि.मी और २८ कि.मी दूर स्थित हैं। उत्तर बहनी का नाम वहां बहने वाली [[देवक|देविका नदी]] से पड़ा है<ref>[http://www.jagran.com/jammu-and-kashmir/jammu-10294773.html पुरमंडल व उतरवाहिनी में उमड़े श्रद्धालु]|जागरण। १२ अप्रैल, २०१३। अभिगमन तिथि: २८ अगस्त, २०१३</ref>, क्योंकि वह यहां उत्तर-वाहिनी (उत्तर दिशा की ओर बहने वाली) होती है। उत्तर-वाहिनी से बिगड़ कर अपभ्रंश शब्द उत्तर-बहनी हो गया है।
 
=== पुरमंडल मेला (फ़रवरी-मार्च)===
 
पुरमंडल जम्मू शहर से ३९&nbsp;कि.मी दूर है। [[शिवरात्रि]] के अवसार पर इस कस्बे में शोभा देखते ही बनती है।<ref>[http://www.jagran.com/jammu-and-kashmir/jammu-10289296.html पुरमंडल में दो दिवसीय चैत्र-चौदश मेला आरंभ]|जागरण। १० अप्रैल, २०१३। अभिगमन तिथि: २८ अगस्त, २०१३</ref> लोग इस अवसर पर यहां भगवान [[शिव]] का मां [[पार्वती]] से विवाह समारोह मनाते हैं<ref>{{Cite web|url = http://hindi.yahoo.com/%E0%A4%AA-%E0%A4%B0%E0%A4%AE-%E0%A4%A1%E0%A4%B2-%E0%A4%B5-%E0%A4%89%E0%A4%A4%E0%A4%B0%E0%A4%B5-%E0%A4%B9-%E0%A4%A8-%E0%A4%AE-183334432.html|accessdate = २८ अगस्त, २०१३|title = पुरमंडल व उतरवाहिनी में उमड़े श्रद्धालु|date = १२ अप्रैल, २०१३|publisher = जागरण}}</ref>। जम्मू के लोग भी इस अवसर पर शहर से निकल कर आते हैं, और पीर-खोह गुफ़ा मंदिर, रणबीरेश्वर मंदिर और पंजभक्तर मन्दिर जाते हैं। असल में यदि कोई शिवरात्रि के अवसर पर जम्मू आये तो उसे हर जगह त्योहार का माहौल ही दिखाई देगा।
 
=== झीरी मेला (अक्तूबर-नवंबर)===
 
यह त्योहार एक स्थानीय कृषक बाबा जीतु के सम्मान में मनाया जाता है, जिसने स्थानीय ज़मींदार के सामने अपनी मेहनत की उपजी फ़सल को बांटने की गलत मांग के सामने झुकने से मर जाना बेहतर समझा। उसने अपने आप को झीरी गांव में मारा था, जो जम्मू शहर से लगभग १४&nbsp;कि.मी दूर है। यहां बाबा और उनके भक्तों की मान्यता की कई किंवदंतियां प्रचलित हैं, जिनको मानकर उत्तर भारत से बहुत से लोग यहां एकत्रित होते हैं।
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* [[राजा किशोर सिंह]] १८२०-१८२२
 
=== जम्मू एवं कश्मीर के महाराजा ===
* [[महाराजा गुलाब सिंह]] १८२२-१८५६
* [[महाराजा रणबीर सिंह]] १८५६-१८८५
पंक्ति 225:
* [[कर्ण सिंह]] (जन्म १९३१) [[भारत]] के राजनयिक
 
== आवागमन ==
[[File:National Highway 1A (India).png|thumb|150px|right|[[राष्ट्रीय राजमार्ग १अ]]]]
=== सड़क मार्ग ===
जम्मू से गुजरने वाला [[राष्ट्रीय राजमार्ग १अ]] [[जम्मू (शहर)|जम्मू शहर]] और क्षेत्र को [[कश्मीर घाटी]] से जोड़ता है। इसके अलावा [[राष्ट्रीय राजमार्ग १ब]] इसे [[पुंछ|पुंछ शहर]] से जोड़ता है। जम्मू [[कठुआ]] से सड़क मार्ग द्वारा मात्र {{convert|80|km|mi}} की दूरी पर है और [[उधमपुर]] से {{convert|68|km|mi}} की दूरी पर है। यहां से हिन्दू तीर्थ वैष्णो देवी का निकटवर्ती पड़ाव [[कटरा]] {{convert|49|km|mi}} की सड़क दूरी पर है।
===== स्थानीय परिवहन =====
शहर में मिनी बस द्वारा नगर बस सेवा उपलब्ध है जिसके निश्चित मार्ग शहर भर में परिवहन सुलभ कराते हैं। इनके अलावा मैटाडोर भी उपलब्ध हैं। बसों के सिवाय ऑटोरिक्शा और स्थानीय टैक्सी सेवा भी मिलती है। छोटी दूरी तय करने हेतु साइकिल रिक्शा भी सदा उपलब्ध रहती हैं।
 
=== वायु मार्ग ===
[[जम्मू विमानक्षेत्र]] जम्मू शहर से मात्र {{convert|7|km|mi|0}} की दूरी पर सतबाड़ी नामक क्षेत्र में बना है। यहां से श्रीनगर, लेह, दिल्ली, चंडीगढ़, मुंबई, बंगलुरु आदि कई बड़े शहरों की सीधी वायु सेवा उपलब्ध है।
 
=== रेल मार्ग ===
{{जम्मू क्षेत्र के रेलवे स्टेशन}}
जम्मूक्षेत्र में कुल ११ [[रेलवे स्टेशन]] हैं, जिनमें प्रमुख स्टेशन [[जम्मू तवी रेलवे स्टेशन|जम्मू तवी]] (''स्टेशनकूट'' JAT) है। यह स्टेशन भारत के प्रमुख नगरों से भली-भांति जुड़ा हुआ है। [[सियालकोट ज़िला|सियालकोट]] को जाने वाली पुरानी रेलवे लाइन अब [[भारत के विभाजन]] के समय से बंद हो चुकी है और तभी से १९७१ तक जम्मू में कोई रेल-सेवा नहीं रही थी। १९७५ में [[भारतीय रेल]] ने जम्मू-[[पठानकोट]] रेलवे लाइन का कार्य पूर्ण किया और जम्मू एक बार फिर से देश से रेल मार्ग द्वारा जुड़ा। [[कश्मीर रेलवे]] केआरंभ हो जाने से जम्मू तवी रेलवे स्टेशन का महत्त्व दोहरा हो गया है। [[कश्मीर घाटी]] को जाने वाली सभी रेलगाड़ियां इस स्टेशन से होकर ही जाती हैं। कश्मीर घाटी रेलवे परियोजन का कार्य तेजी से आगे बढ़ रहा है और इसका ट्रैक [[उधमपुर रेलवे स्टेशन|उधमपुर]] तक पहुंच चुका है। जम्मू तवी की कई गाड़ियां उधमपुर तक विस्तृत की जा चुकी है और आगे [[कटरा]] तक विस्तार की जायेगी। २०१३ में उधमपुर-कटरा रेलवे लाइन के कार्य पूरे हो जाने से जम्मू लाइन कटरा तक विस्तृत हो जायेगी। [[जालंधर]]- [[पठानकोट]] रेल लाइन का दोहरीकरण हो चुका है और का विद्युतिकरण कार्य २०१३ तक पूरा होना नियोजित है। एक नई पीर-पंजाल रेल सुरंग (जिसे [[बनिहाल]] [[काज़ीगुंड  |काज़ीगुंड  ]]सुरंग भी कहते हैं) तैयार हो चुकी है और प्रचालन में भी दी जा चुकी है। इसके द्वारा बनिहाल की बिचलेरी घाटी को [[कश्मीर घाटी]] के काज़ीगुंड क्षेत्र से जोड़ गया है। सुरंग की खुदाई का कार्य २०११ तक पूरा हो चुका था और इसमें रेल लाइन स्थापन अगले वर्ष पूरा हो गया। उसी वर्ष अर्थात २०१२ के अंत तक परीक्षण रेल भी आरंभ हो गयी थी एवं जून २०१३ के अंत तक यहाँ यात्री गाड़ियाँ भी चलने लगीं।<ref>{{Cite web|url = http://www.mapsofindia.com/maps/jammuandkashmir/jammuandkashmirrails.htm|accessdate = २९ अगस्त, २०१३|title = बनिहाल - काज़ीगुंड रेल लिंक|publisher = मैप्स ऑफ़ इण्डिया}}</ref>
पंक्ति 242:
{{seealso|कश्मीर रेलवे}}
 
==== जम्मू से जाने वाली रेलगाड़ियां====
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पंक्ति 294:
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== सन्दर्भ ==
{{टिप्पणीसूची}}