"भ्रमरगीत": अवतरणों में अंतर

छो विराम चिह्न की स्थिति सुधारी।
पंक्ति 11:
: किन बेकाज ररौ ?
: जाय करौ उपचार आपनो,
: हम जो कहति हैं जी की ।की।
: कछू कहत कछुवै कहि डारत,
: धुन देखियत नहिं नीकी ।नीकी।
 
==जगन्नाथदास रत्नाकर का भ्रमरगीत==