"तारपीन": अवतरणों में अंतर

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तारपीन के उपयोग का पहले पहल उल्लेख १६०५ ई० में मिलता है। तब से इसका उपयोग दिन दिन बढ़ता गया और पीछे व्यापक रूप से व्यापार शुरू हो गया। १६५० ई० में तो यह व्यापार की प्रमुख वस्तु बन गया था। धीरे धीरे अमरीका में भी इसका व्यापार चमका और १८०० ई० तक यह अमरीका में व्यापार के लिये महत्व की वस्तु बन गया था। अमरीका के अनेक राज्यों में भी इसका निर्माण शुरू हो गया। १९०० ई० में जॉर्जिया इसके उत्पादन का प्रधान केंद्र बन गया था।
 
== संगठन ==
तारपीन अनेक कार्बनिक यौगिकों को मिश्रण है। यह कार्बनिक यौगिक [[टरपीन]] है। प्रधानतया इसमें ऐल्फा-पाइनिन रहता है।
 
सल्फाइट तारपीन में प्रधानतया पैरा-साइमिन रहता है, जो रासायनिक संरचना में तारपीन सा ही होता है और वास्तविक तारपीन के स्थान में उद्योग धंधों में प्रयुक्त हो सकता है।
 
== उपयोग ==
लगभग ४० प्रतिशत तारपीन [[पेंट]] और [[वार्निश]] में, ४५ प्रतिशत रसायनों और औषधियों के निर्माण में, ६ प्रति शत जूता, स्याही और इसी प्रकार के अन्य पदार्थो में, ५ प्रतिशत रेलमार्गों और जहाजों में और अल्पमात्रा, लगभग ३ प्रतिशत, अन्य कामों में लगती है। यह [[मोम]] तथा अन्य पॉलिशों के और कृमिनाशकों के निर्माण में तथा घरेलू कामों में विलायक के रूप में प्रयुक्त होता है। इससे [[कपूर]], [[टरपिनिऑल]] और अन्य बहुमूल्य औषधियाँ बनती है। औषधि के रूप में भी इसका उपयोग होता है।
 
== निर्माण ==
[[चित्र:PostcardTurpentineWorkers1912.jpg|right|thumb|300px|सन् १९१२ का डाक टिकट जिसमें चीड़ के रेजिन की खेती का चित्रण है।]]
[[चित्र:Pechbaum.jpg|right|thumb|200px|काली चीड़ से रेजिन निकालना : 1 छाल, 2 छाल के नीचे, 3 पिच स्लिट, 4 Let, 5 lives, 6 चोंच, 7 पात्र, 8 कील]]
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[[भंजक आसवन]] वैसे ही संपंन्न होता है जैसे [[कोयला]] बनाने में कठोर काठ का आसवन होता है। जो उत्पादन प्राप्त होते हैं, उनमें कुछ गैसें रहती हैं और कुछ द्रव प्राप्त होता है। द्रव के आसवन से तारपीन प्राप्त होता है, जिसे 'डिस्टिल्ड वुड टरपेंटाइन' कहते हैं। इसके परिष्कार से परिष्कृत तारपीन प्राप्त होता है। निष्कर्षण के लिए लकड़ी को छोटी चैलियों में काटते और नैफ्था या पेट्रोल से निष्कर्ष निकालते हैं। लकड़ी को जलाने के काम में लाते हैं। उत्पाद को फिर प्रभाजक स्तंभ की सहायता से अम्लप्रतिरोधी मिश्रधातु के पात्र में पृथक करते हैं। सल्फेट विधि से लुगदी निर्माण में चीड़ से कुछ तैल संघनित होकर प्राप्त होता है। जिसमें ४० से ६० प्रतिशत तारपीन और १० से २० प्रति शत चीड़ का तेल रहते हैं। प्रभाजक आसवन से ये पृथक किए जा सकते हैं। स्प्रूस (spruce) से लुगदी बनाने में जो तैल प्राप्त होता है, उसे सल्फाइट तारपीन कहते है।
 
== इन्हें भी देखें==
*[[टरपीन]]
*[[राल]] (रेजिन)