"रासायनिक गतिकी": अवतरणों में अंतर

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रासायनिक क्रिया के अध्ययन की दोनों रीतियाँ एक दूसरे से परस्पर संबंधित होती है। वस्तुत: रासायनिक क्रिया के अध्ययन में ऊष्मा गतिविज्ञान आधारशिला के समान होती हैं, जिसपर क्रिया गतिविज्ञान आधारशिला के समान होती हैं, जिसपर क्रिया गतिविज्ञान का निर्माण होता है। किसी रासायनिक क्रिया के प्रारंभ तथा अंतिम अवस्था तक पहुँचने की गति के अध्ययन में क्रिया के प्रारंभिक एवं अंतिम अवस्थाओं का ज्ञान तथा एक दूसरे की सापेक्ष स्थिरता, अथवा क्रिया के सापेक्ष संतुलन के स्तर का ज्ञान, अत्यावश्यक होता है। ऊष्मा गतिविज्ञान के द्वारा रासायनिक क्रिया के चालन विभव को, जो रासायनिक-क्रिया-प्रणाली की एक स्थिति से दूसरी स्थिति में परिवर्तन की प्रकृति का द्योतक होता है, ज्ञात तथा सुनिश्चित किया जा सकता है। किसी रासायनिक क्रिया की गति के अध्ययन के पूर्व यह ज्ञात करना आवश्यक होता है कि क्रिया के लिये उपयुक्त परिस्थिति विद्यमान है अथवा नहीं। रासायनिक क्रिया का चालन विभव क्रिया की उपयुक्त परिस्थिति का परिचायक होता है, परंतु चालन विभव की मात्रा की प्रकृति मात्र को ही बताती है। वास्तव में व्यावहारिक स्तर पर वह क्रिया सम्भव है अथवा नहीं, अथवा यदि क्रिया वास्तव में हो तो उसकी गति क्या होगी, इस संबंध में कुछ भी ज्ञात नहीं होता है। किसी रासायनिक परिवर्तन की गति सामान्यत: दो कारकों पर निर्भर करती है। इनमें से प्रथम कारक प्रत्यक्ष रूप से चालन बल अथवा विभव पर तथा द्वितीय कारक प्रतिलोम रूप में अवरोध पर निर्भर करता है। रासायनिक क्रिया के गतिविज्ञान में उपर्युक्त दोनों कारको का परस्पर संबंध अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। रासायनिक-क्रिया-प्रणाली में रासायनिक परिवर्तन के प्रति अवरोध की प्रकृति की माप को सक्रियकरण ऊर्जा कहा जाता है। सक्रियण ऊर्जा क्रिया के चालन विभव, अथवा स्वतंत्र क्रिया की ऊर्जा पर निर्भर नहीं करती।
[[चित्र:Activation energy.svg|thumb|right|292px|सामान्य स्थितिज उर्जा आरेख - इसमें किसी काल्पनिक अन्त:उष्म अभिक्रिया में किसी उत्प्रेरक की उपस्थिति का प्रभाव दिखाया गया है। ।त्प्रेरकहै।।त्प्रेरक की उपस्थिति के कारण अभिक्रिया एक भिन्न मार्ग पर चलती है (लाल रंग में प्रदर्शित) जिसमें कम सक्रियण उर्जा की जरूरत पड़ती है।]]
पार्श्व चित्र में रासायनिक क्रिया की [[सक्रियण ऊर्जा]] (ऐक्टिवेशन इनर्जी) तथा चालन विभव के अंतर को स्पष्ट करने में एक यांत्रिक सादृश्य (मेकैनिकल एनॉलॉग) का प्रयोग किया गया है।