"शिबू सोरेन": अवतरणों में अंतर

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{{जीवनी स्रोतहीन|date=जुलाई 2014}}
'''शिबू सोरेन''' (जन्म [[११ जनवरी]], [[१९४४]]) एक [[भारत|भारतीय]] राजनेता है ।है। वे [[झारखंड मुक्ति मोर्चा]] के अध्यक्ष है ।है। [[२००४]] में [[मनमोहन सिंह]] की सरकार में वे कोयला मंत्री बने लेकिन [[चिरूडीह कांड]] जिसमें 11 लोगों की ह्त्या हुई थी के सिलसिले में गिरफ़्तारी का वारंट जारी होने के बाद उन्हें केन्द्रीय मंत्रीमंडल से 24 [[जुलाई]] 2004 को इस्तीफ़ा देना पड़ा ।पड़ा। आजकल वे [[झारखंड]] के [[दुमका]] [[लोकसभा]] सीट से छठी बार [[सांसद]] चुने गये हैं।
 
शिबू का जन्म पुराने [[बिहार]] के [[हजारीबाग]] जिले में नामरा गाँव में हुआ था ।था। उनकी स्कूली शिक्षा भी यहीं हुई। स्कूली शिक्षा समाप्त करने के बाद ही उनका विवाह हो गया और उन्होंने पिता को खेती के काम में मदद करने का निर्णय लिया। उनके राजनैतिक जीवन की शुरुआत [[1970]] में हुई। उन्होंने [[23 जनवरी]], [[1975]] को उन्होंने तथाकथित रूप से [[जामताड़ा]] जिले के चिरूडीह गाँव में "बाहरी" लोगों ([[आदिवासी]] जिन्हें "दिकू" नाम से बुलाते हैं) को खदेड़ने के लिये एक हिंसक भीड़ का नेतृत्व किया था ।था। इस घटना में 11 लोग मारे गये थे। उन्हें 68 अन्य लोगों के साथ हत्या का अभियुक्त बनाया गया।
 
शिबू पहली बार [[1977]] में [[लोकसभा]] के लिये चुनाव में खड़े हुये लेकिन उन्हें पराजय का मुँह देखना पड़ा। उनका यह सपना [[1986]] में पूरा हुआ ।हुआ। इसके बाद क्रमश: [[1986]], [[1989]], [[1991]], [[1996]] में भी चुनाव जीते ।जीते। [[2002]] वे [[भारतीय जनता पार्टी|भाजपा]] की सहायता से [[राज्यसभा]] के लिये चुने गये। [[2004]] में वे [[दुमका]] से [[लोकसभा]] के लिये चुने गये और [[राज्यसभा]] की सीट से त्यागपत्र दे दिया।
 
सन [[2005]] में [[झारखंड]] [[झारखंड विधान सभा|विधानसभा]] चुनावों के पश्चात वे विवादस्पद तरीक़े से [[झारखंड]] के मुख्यमंत्री बने, परंतु बहुमत साबित न कर सकने के कारण कुछ दिन पश्चात ही उन्हें इस्तीफ़ा देना पड़ा ।पड़ा।
 
== यह भी देखें ==