"पटलक्लोमी": अवतरणों में अंतर

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लैमेलिब्रैंकिया के १०० से अधिक कुल एवं ७,००० स्पीशीज ज्ञात हैं।
 
== परिचय ==
इनके कवक में दो प्रारूपिक, समान कपाट होते हैं। दोनों कपाट एक प्रत्यास्थ स्नायु (elastic ligament) के द्वारा जुड़े रहते हैं। यदि स्नायु आंतरिक होते हैं, तो ये रेसिलियम (resilium) कहलाते हैं। ये स्नायु कपाटों को अलग रखते हैं, जबकि दो अभिवर्तनी (adductor) पेशियाँ कवचों का बंद रखने का प्रयास करती हैं। कवच के आंतर पृष्ठीय भाग, या हिंजपट्ट (hinge plate) में हिंज दाँत होते हैं, जो अंतर्कीलित होते हैं। दाँतों का साधारण रूप अनेक समान दाँतों का बहुदंती (taxodont) हिंज है। कुछ विभेदित दाँतों का उच्चतम विकास हुआ हैं। अनेक द्विकपाटियों में अधर और पार्श्विक उपांत के सूक्ष्म दंत द्वारा कपाटों का ठीक-ठीक बंद होना सहापित होता है।
 
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प्राय: नर और मादा पृथक् पृथक् होते हैं। समुद्री लैमेलिब्रैंकिया में ट्रोकोस्फीयर (trochosphere) एवं वेलीजर (veliger) लार्वां होते हैं। अलवण जल के लैमेलिब्रैंकिया की विशेषता ऊष्मायन (incubation) है।
 
== वर्गीकरण ==
हिंज दाँतों के रूपों, गिलों की संरचनाओं तथा विशेषत: पक्ष्माभिकी गुणों के आधार पर लैंमेलिब्रैंकिया को चार गणों (orders) में विभक्त किया गया है, जो निम्नलिखित हैं :