"स्टालिनवाद": अवतरणों में अंतर
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'''स्तालिनवाद''' (Stalinism) किसी विचारधारा या किसी दार्शनिक अवधारणा का नाम नहीं है। मोटे तौर पर साम्यवादी समाज के निर्माण के लिए [[जोसेफ स्तालिन]] द्वारा [[सोवियत संघ]] में अपनायी गयी नीतियों का समुच्चय ही स्तालिनवाद कहलाता है।
[[रूस]] में हुई [[बोल्शेविक क्रांति]] और उसके नेता [[लेनिन]] की मृत्यु के बाद तीन दशकों में धीरे-धीरे एक राजनीतिक परिघटना के रूप में इसका विकास
मार्क्सवादी आंदोलन के भीतर सोवियत इतिहास में स्तालिन की भूमिका और मार्क्सवाद-लेनिनवाद पर स्तालिन के प्रभाव का मूल्यांकन करने के बारे में ज़बरदस्त विवाद है। इस लिहाज़ से सारी दुनिया के मार्क्सवादी तीन हिस्सों में बँटे हुए हैं : एक हिस्सा वह है जो स्तालिनवाद को पूरी तरह से स्वीकारते हुए उसे मार्क्सवाद का प्रमुख व्यावहारिक रूप करार देता है (भारत में इसका उदाहरण ख़ुद को मार्क्सवादी- लेनिनवादी कहने वाले नक्सलवादी गुटों के रूप में मौजूद है), दूसरा हिस्सा उसे पूरी तरह से ख़ारिज करते हुए मार्क्सवादी प्रयोग की त्याज्य विकृति करार देता है (जैसे, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी), और तीसरा हिस्सा वह है जो स्तालिनवाद के प्रभाव को आम तौर पर प्रेरक और सकारात्मक मानने के बावजूद उसके कुछ पहलुओं की आलोचना करता है (जैसे, माओ त्से तुंग जो स्तालिन को सत्तर फ़ीसदी सही और तीस फ़ीसदी ग़लत मानते थे)। वामपंथियों के ग़ैर-मार्क्सवादी हिस्सों और अन्य वैचारिक हलकों में स्तालिनवाद को एक ऐसी अधिनायकवादी प्रवृत्ति के रूप में देखा जाता है जिसने एक अत्यंत हिंसक और दमनकारी राज्य की स्थापना की।
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