"स्त्री जननांग": अवतरणों में अंतर

[अनिरीक्षित अवतरण][अनिरीक्षित अवतरण]
→‎मूलाधार: (अंतिम पूर्ण विराम)
छो विराम चिह्न की स्थिति सुधारी।
पंक्ति 33:
 
== शुक्राणु और अण्डाणु का मिलन ==
पुरूष के केवल एक शुक्राणु से ही जीवन की रचना हो सकती है। पुरूष को शिक्राणुओं के तीन भाग होते है। 1. सिर 2. गर्दन 3. दुम ।दुम। पुरूषों के शुक्राणु दुम की सहारे सेमिनल वेसाईकल द्रव में तैरते हुए स्त्री के अंडाणु तक पहुंचते है। स्त्री के अण्डाणु से मिलने के बाद शुक्राणुओं का सिर स्त्री के अंडे की झिल्ली को फाड़कर उसमें प्रवेश कर जाता है तथा शुक्राणुओं का गर्दन और दुम बाहर रह जाता है। जब स्त्री-पुरूषों के अण्डाणु और शुक्राणु आपस में मिलते है तो जाइगोट का जन्म होता है। स्त्री और पुरूष के गुणों के कण आपस में मिलने के बाद बढ़ने लगता है। ये बढ़ते-बढ़ते 2 से 4, 8, 16, 32 कोश बनाते है। यह कोश इसी तरह 266 दिन तक बढ़ने के बाद एक बच्चे का आकार लिते है।
 
पंक्ति 57:
== [[मूलाधार]] ==
महिलाओं के दोनों टांगों के बीच के त्रिकोण भाग को मूलाधार या पैरानियम भी कहते है। पैरानियम बाडी मलद्वार के आगे तथा जननद्वार के पीछे होती है। इसमें कूल्हे के निचले भग की सभी मांसपेशियां आपस में मिलती है। यह प्रत्येक व्यक्तियों में अलग-अलग होती है। किसी में यह कमजोर और किसी में यह अधिक शक्तिशाली होती है।इस प्रकार से पैरानियम जननद्वार के पीछे तथा नीचे की दीवार को सहारा दिये रहती है। संभोग क्रिया के समय पैरानियम जननद्वार को पीछे की ओर से साधे रहती है। बढ़ती आयु के साथ-साथ यह कमजोर हो जाती है। कूल्हे के चरों ओर की मांसपेशियों के यहां एकत्र होने के कारण यहां का रोग या पस चारों ओर फैल सकता है। बच्चे के जन्म के पहले जननद्वार को यहीं से काटकर चौड़ा बनाया जाता है। ताकि बच्चे के जन्म के समय अधिक से अधिक स्थान प्राप्त हो सके तथा बच्चे के जन्म के लिए अधिक चीड़-फाड़ न करना पड़े ।पड़े। प्रसव के बाद टांके इन्हीं मांसपेशियों में लगाये जाते है जिसको ऐपिजियोटोमी कहते है ।है।