"प्रत्यक्षवाद (राजनीतिक)": अवतरणों में अंतर

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यद्यपि प्रत्यक्षवाद का प्रयोग यूनानी दर्शन में भी मिलता है। अरस्तु ने वैज्ञानिक पद्धति के आधार के रूप में प्रत्यक्षवाद या सकारात्मकवाद के विचार का ही पोषण किया था। अरस्तु से लेकर ऑस्ट कॉम्टे तक मानव प्रकृति को वैज्ञानिक उपायों द्वारा पूर्णता एवं वैज्ञानिकता को मानव जीवन और व्यवहार का मार्गदर्शक बनाना, यह दोनों ही बातें बहुत से लोगों व विचारकों की मांग रही है। विज्ञान के विकास के साथ-साथ समाज के व्यवहार का हर पहलू भी प्रभावित होने से सामाजिक विज्ञान में वैज्ञानिक पद्धति का प्रयोग होना आम बात है।
 
== प्रत्यक्षवाद की अवधारणा की व्याख्या ==
प्रत्यक्षवाद की वैज्ञानिक व्याख्या सर्वप्रथम [[ऑगस्ट कॉम्टे]] ने की है। कॉम्टे ने अपनी रचनाओं ‘Course of Positive Philosophy’ (1842) में तथा ‘The system of Positive Polity’ (1851) में इस अवधारणा की व्याख्या की है। इसी कारण कॉम्टे को प्रत्यक्षवाद का प्रवर्तक माना जाता है। कॉम्टे ने मानव इतिहास का अध्ययन करके तथा उसमें औद्योगिक व वैज्ञानिक प्रगति का स्थान निश्चित करके यह दावा किया कि उसने मानव समाज के आधारभूत नियमों का ज्ञान प्राप्त कर लिया है और उसने विश्वास व्यक्त किया कि यदि इन नियमों को सही ढंग से कार्य रूप प्रदान कर दिया जाए तो मानव प्रगति एक वैज्ञानिक तरीके से विकसित होकर अपने पूर्णत्व को प्राप्त हो सकती है। कॉम्टे को यह विश्वास था कि मानव का विकास जब पूर्णता को प्राप्त हो जाएगा तब प्राचीन मान्यताएं, परम्पराएं एवं नवीन मूल्य समाप्त हो जाएंगे और उनका स्थान नवीन परम्पराएं, मान्यताएं व मूल्य ले लेंगे जिसमें राज्य का स्वरूप तथा समस्त राजनीतिक एवं सामाजिक रूप-रेखा में बदलाव आ जाएगा।
 
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उपरोक्त विवेचन से स्पष्ट हो जाता है कि कॉम्टे ने वैज्ञानिक पद्धति के अन्तर्गत प्रत्यक्षवाद के विचार का पोषण किया है। कॉम्टे ने इसी बात पर जोर दिया है कि इन्द्रि ज्ञान से परे कुछ भी वास्तविक नहीं है। वास्तविक वही है जो हम देखते हैं व सुनते हैं तथा अपने जीवन में प्रयुक्त करते हैं। सभी मनुष्यों में निरीक्षण की एक जैसी क्षमता पाई जाती है। इसलिए हम अपने अनुभव को दूसरों के अनुभव से मिलाकर उसकी पुष्टि व सत्यापन कर सकते हैं। इसके बाद अनुभववात्मक कथन तार्किक कथन बन जाते हैं क्योंकि हम प्रत्येक कथन को तर्क की कसौटी पर रखते हैं। राजनीतिक विज्ञान के अन्तर्गत वैज्ञानिक पद्धति का प्रयोग करते समय अनुभववात्मक और तार्किक कथन का ही महतव है क्योंकि उसकी पुष्टि व सत्यापन सरलता से हो जाता है। इसलिए वैज्ञानिक पद्धति के समर्थक राजनीति विज्ञान में ऐसे किसी भी कथन का विरोध करते हैं जो मूल्य-सापेक्ष हो।
 
== प्रत्यक्षवाद की आलोचना ==
प्रत्यक्षवाद के परवर्ती समर्थकों ने कॉम्टे द्वारा दी गई प्रत्यक्षवादी व्याख्या को अस्वीकार कर दिया। इन विद्वानों ने मैक्स वेबर, विएना सर्किल, टी0डी0 वैल्डन, मोरिट्ज श्लिक, लुड्विख़ विट्जेंस्टाइन तथा ए0जे0 एयर शामिल हैं। इन विद्वानों को नव-प्रत्यक्षवादी या तार्किक प्रत्यक्षवादी कहा जाता है। वेबर ने कहा कि विज्ञान हमें इस बात का उत्तर नहीं देता है कि हमें क्या करना चाहिए और किस प्रकार का जीवन जीना चाहिए। शैक्षिक ज्ञान हमें सृष्टि के अभिप्राय की व्याख्या करने में कोई मदद नहीं करता। इसलिए इसके बारे में परस्पर विरोधी बातों में सामंजस्य कायम नहीं किया जा सकता। राजनीतिक दर्शन की व्याख्या प्रत्यक्षवाद के सिद्धान्त के आधार पर कभी नहीं की जा सकती। क्योंकि राजनीति-दर्शन अपनी-अपनी अभिरुचि का विषय है और इसे अनुभवात्मक दृष्टि से परखना मूर्ख्रता है। इस तरह राजनीतिक-दर्शन के बारे में प्रत्यक्षवाद मददगार न होने के कारण आलोचना का पात्र बना है।