"फणीश्वर नाथ "रेणु"": अवतरणों में अंतर

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इनका लेखन [[प्रेमचंद]] की सामाजिक यथार्थवादी परंपरा को आगे बढाता है और इन्हें ''आजादी के बाद का प्रेमचंद'' की संज्ञा भी दी जाती है। अपनी कृतियों में उन्होंने आंचलिक पदों का बहुत प्रयोग किया है।
 
== साहित्यिक कृतियाँ==
 
=== उपन्यास ===
पंक्ति 39:
* [[श्रुत अश्रुत पूर्वे]]
 
=== प्रसिद्ध कहानियाँ===
* [[मारे गये गुलफाम]] (''[[तीसरी कसम]]'')
* [[एक आदिम रात्रि की महक]]
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* फणीश्वर नाथ रेणु का कथा शिल्प, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के ग्रांट से प्रकाशित (१९९०), लेखक : रेणु शाह
 
== बाह्य सूत्र ==
* [http://books.google.co.in/books?id=PF1HuDaZ9kcC&printsec=frontcover#v=onepage&q=&f=false रेणु रचनावली, भाग - ५] (गूगल पुस्तक)
* [http://books.google.co.in/books?id=nFy7U0IEZTQC&printsec=frontcover#v=onepage&q=&f=false एक श्रावणी दोपहरी की धूप] (गूगल पुस्तक ; लेखक - फणीश्वर नाथ ' रेणु ')