"होम्योपैथी": अवतरणों में अंतर

छो बॉट से अल्पविराम (,) की स्थिति ठीक की।
छो विराम चिह्न की स्थिति सुधारी।
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डा हैनिमैन द्वारा प्रवर्तित होमियोपैथी का मूल सिद्धांत है - "सिमिलिया सिमिविबस क्यूरेंटर" (Similia Similibus Curanter / " सम: समम शमयति " ) अर्थात् रोग उन्हीं औषधियों से निरापद रूप से, शीघ्रातिशीघ्र और अत्यंत प्रभावशाली रूप से निरोग होते हैं, जो रोगी के रोगलक्षणों से मिलते-जुलते लक्षण उत्पन्न करने में सक्षम हैं।
 
दूसरे शब्दों में, इस नियम के अनुसार जिस औषधि की अधिक मात्रा स्वस्थ शरीर मे जो विकार पैदा करती है उसी औषधि की लघु मात्रा वैसे समलक्षण वाले प्राकृतिक लक्षणॊं को नष्ट भी करती है ।है। उदाहरण के लिये कच्चे प्याज काटने पर जुकाम के जो लक्षण उभरते हैं जैसे नाक, आँख से पानी निकलना उसी प्रकार के जुकाम के स्थिति मे होम्योपैथिक औषधि ऐलीयम सीपा देने से ठीक भी हो जाता है ।है।
 
=== एकमेव औषधि ( Single Medicine ) ===
होम्योपैथी मे रोगियों को एक समय मे एक ही औषधि को देने का निर्देश दिया जाता है ।है।
 
हानेमान ने अनुभव के आधार पर एक बार में केवल एक औषधि का विधान निश्चित किया था, किंतु अब इस मत में भी पर्याप्त परिवर्तन हो गया है। आधुनिक चिकित्सकों में से कुछ तो हानेमान के बताए मार्ग पर चल रहे हैं और कुछ लोगों ने अपना स्वतंत्र मार्ग निश्चित किया है और एक बार में दो, तीन औषधियों का प्रयोग करते हैं।
 
=== औषधि की न्यून मात्रा ( The Minimum dose ) ===
सदृश विज्ञान के आधार पर रोगी की चयन की गई औषधि की मात्रा अति नयून होनी चाहिये ताकि दवा के दुष्परिणाम न दिखें ।दिखें। प्रथमत: यह शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को सफ़ल करने मे घटक का काम करता है ।होम्योपैथिकहै।होम्योपैथिक औषधि को विशेष रुप से तैयार किया जाता है जिसे औषधि शक्तिकरण का नाम दिया जाता है ।ठॊसहै।ठॊस पदार्थों को ट्राच्यूरेशन और तरल पदार्थों को सक्शन प्रणाली से तैयार किया जाता है ।है।
 
=== व्यक्तिपरक और संपूर्ण चिकित्सा ( Individualization & Totality of Symptoms ) ===
यह एक मूल प्रसंग है ।है। यह सच भी है कि होम्योपैथी रोगों के नाम पर चिकित्सा नही करती ।करती। वास्तव मे यह रोग से ग्रसित व्यक्ति के मानसिक, भावत्मक तथा शारीरिक आदि सभी पहलूहॊं की चिकित्सा करती है ।है। अस्थमा ( asthma) के पाँच रोगियों की होम्योपैथी मे एक ही दवा से चिकित्सा नही की जा सकती ।सकती। संपूर्ण लक्षण के आधार पर यह पाँच रोगियों मे अलग-२ औषधियाँ निर्धारित की जा सकती हैं ।हैं।
 
=== जीवनी शक्ति ( Vital Force ) ===
हैनिमैन ने मनुष्य के शरीर मे जीवनी शक्ति को पहचान कर यह प्रतिपादित किया कि यह जीवनी शक्ति शरीर को बाह्य रुप से आक्रमण करने वाले रोगों से बचाती है ।है। परन्तु रोग्की अवस्था मे यह जीवनी शक्ति रोग ग्रसित हो जाती है ।है। सदृश विज्ञान के आधार पर चयन की गई औषधि इस जीवनी शक्ति के विकार को नष्ट कर शरीर को रोग मुक्त करती है ।है।
 
=== मियाज्म ( रोग बीज ) ( Miasm ) ===
हैनिमैन ने पाया कि सभी पुराने रोगों के आधारभूत कारण सोरा ( psora), साइकोसिस ( sycosis) और सिफ़िलिस ( syphlis ) हैं ।हैं। इनको हैनिमैन ने मियाज्म शब्द दिया जिसका यूनानी अर्थ है - प्रदूषित करना ।करना।
 
=== औषधि प्रमाणन ( Drug Proving ) ===
औषधि को चिकित्सा हेतु उपयोग करने के लिये उनकी थेरापुयिटक क्षमता का ज्ञान होना आवशयक है ।है। औषधि प्रमाणन होम्योपैथी मे ऐसी प्रकिया है जिसमे औषधियों की स्वस्थ मनुष्यों मे प्रयोग करके दवा के मूल लक्षणॊं का ज्ञान किया जाता है ।है। इन औषधियों का प्रमाणन स्वस्थ मनुष्यों पर किया जाता है और इनसे होने वाले लक्षणॊं की जानकारी के आधार पर सदृशता विज्ञान की मदद से रोगों का इलाज किया जाता है ।है।
 
== होम्योपैथिक औषधियों के स्केल ==
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'''ग) ५० मिलीसीमल स्केल (50 Millesimial scale)'''
 
क) '''डेसीमल स्केल''' मे दवा के एक भाग को vehicle ( शुगर आग मिल्क या अल्कोहल ) के नौ भाग में मिलाकर triturate या succussion की प्रक्रिया की जाती है ।है। इनसे बनने वाली औषधि की स्केल को "x" शब्द से जाना जाता है जैसे काली फ़ास 6x, एकोनाइट 3x इत्यादि ।इत्यादि। अधिकाँशतयः ठोस औषधियों में प्रयुक्त की जाने वाली इस इस स्केल में 1x बनाने के लिये दवा का एक भाग और दुग्ध-शर्करा का ९ भाग लेते हैं, तरल औषधियों में 1x बनाने हेतु एक भाग मूलार्क और ९ भाग अल्कोहल का प्रयोग होता है। इससे आगे 2x के लिये 1x का एक भाग और ९ भाग दुग्ध शर्करा अथवा अल्कोहल का लेते हैं ; ऐसे ही आगे कई पोटेन्सी बनाने के लिये पिछली पोटेन्सी का एक भाग लेते हुये आगे की पावर को बढाते हैं ।हैं।
 
ख) '''सेन्टीसमल स्केल''' मे दवा के एक भाग को vehicle (अल्कोहल) के ९९ भाग से सक्कशन किया जाता है ।है। इनकी इनसे बनने वाली औषधियों को दवा की शक्ति "c" से जाना जाता है ।है। जैसे ३०c, २००c, १०००c आदि ।आदि। सक्कशन सिर्फ़ दवा के मूल अर्क को अल्कोहल में मिलाना भर नही है बल्कि उसे सक्कशन (एक निशचित विधि से स्ट्रोक देना) करना है ।है। आजकल सक्कशन के लिये स्वचालित मशीन का प्रयोग किया जाता है जब कि पुराने समय मे यह स्वयं ही हाथ से बनानी होती थी ।थी। पहली पोटेन्सी बनाने के लिये दवा के मूल अर्क का एक हिस्सा और ९९ भाग अल्कोहल लिया जाता है, इसको १० बार सक्शन कर के पहली पोटेन्सी तैयार होती है ; इसी तरह दूसरी पोटेन्सी के लिये पिछली पोटेन्सी का एक भाग और ९९ भाग अल्कोहल ; इसी तरह आगे की पोटेन्सी तैयार की जाती हैं ।हैं।
 
होम्योपैथी के विरोध के कारणॊं मे एक प्रमुख कारण होम्योपैथिक औषधियों की न्यून मात्रा भी है।