"अफ़्रीका": अवतरणों में अंतर

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== जल अपवाह प्रणाली ==
{{main|अफ़्रीका की जल अपवाह प्रणाली}}
अफ़्रीका की अधिकांश नदियाँ मध्य अफ़्रीका के उच्च पठारी भाग से निकलती हैं यहाँ खूब वर्षा होती है। अफ़्रीका के उच्च पठार इस महाद्वीप में जल विभाजक का कार्य करते हैं। [[नील नदी|नील]], [[नाइजर नदी|नाइजर]], [[जेम्बेजी नदी|जेम्बेजी]], [[कांगो नदी|कांगो]], [[लिम्पोपो नदी|लिम्पोपो]] एवं [[ओरंज नदी|ओरंज]] इस महाद्वीप की बड़ी नदियाँ हैं। महाद्वीप के आधे से अधिक भाग इन्हीं नदियों के प्रवाह क्षेत्र के अन्तर्गत हैं। शेष का अधिकांश आन्तरिक प्रवाह-क्षेत्र में पड़ता है; जैसे- [[चाड झील]] का क्षेत्र, उत्तरी सहारा-क्षेत्र, कालाहारी-क्षेत्र इत्यादि। पठारी भाग से मैदानी भाग में उतरते समय ये नदियाँ [[जलप्रपात]] एवं क्षिप्रिका (द्रुतवाह) बनाती हैं अतः इनमें अपार सम्भावित जलशक्ति है। संसार की सम्भावित जलशक्ति का एक-तिहाई भाग अफ़्रीका में ही आँका गया है। इन नदियों के उल्लेखनीय जलप्रपात [[विक्टोरिया जलप्रपात|विक्टोरिया]] (जाम्बेजी में), स्टैनली (कांगो में) और लिविंग्स्टोन (कांगो में) हैं। नील, नाइजर, कांगो, और जम्बेजी को छोड़कर अधिकांश नदियाँ नाव चलाने योग्य (नौगम्य) नहीं हैं। भूमध्यसागरीय जल अपवाह प्रणाली अफ़्रीका के उत्तरी भाग में विस्तृत है। नील इस क्षेत्र की प्रमुख नदी है जो अफ्रीका की सबसे बड़ी [[झील]] [[विक्टोरिया झील|विक्टोरिया]] से निकलकर विस्तृत [[सहारा मरुस्थल]] के पूर्वी भाग को पार करती हुई उत्तर में [[भूमध्यसागर]] में उतर पड़ती है। सफेद नील और नीली नील दो प्रमुख धाराओं से नील नदी निर्मित होती है। सफेद और नीली नील सूडान के खारतूम के पास मिलती है।<ref>{{cite book |last=सिंह |first=विक्रमादित्य |title= भ-दर्शिका (भाग-५) |year=जुलाई १९८४ |publisher=भारती सदन |location=कोलकाता |id= |page=१८५-१९० |accessday= २६|accessmonth= जुलाई|accessyear= २००९}}</ref> इसका स्रोत वर्षाबहुल भूमध्यरेखीय क्षेत्र है, अतः इसमें जल का अभाव नहीं होता। इस नदी ने [[सूडान]] और [[मिस्र]] की मरुभूमि को अपने शीतल जल से सींचकर हरा-भरा बना दिया है। इसीलिए मिस्र को नील नदी का बरदान कहा जाता है।<ref>{{cite book |last=सिंह |first=विक्रमादित्य |title= भू-दर्शिका, भाग-४ |year=जुलाई २००४ |publisher=भारती पुस्तक मंदिर |location=कोलकाता |id= |page=२१० |accessday= १९|accessmonth= जुलाई|accessyear= २००९}}</ref> [[नीली नील]], [[असबास]] और [[सोबात]] इसकी सहायक नदियां हैं।
[[चित्र:Rzeka Kongo.jpg|thumb|right|200px|अटलांटिक महासागरीय जल अपवाह प्रणाली]]
कांगो, नाइजर, [[सेनेगल]], किनाने और ओरेंज अटलांटिक महासागरीय जल अपवाह प्रणाली की प्रमुख नदियां हैं। कांगो अफ़्रीका की दूसरी सबसे बड़ी नदी है। इसे ज़ायरे नदी भी कहा जाता है। यह नदी [[टैगानिक झील]] से निकलती है। ४३७६ किलोमीटर की दूरी तय करने के बाद यह [[अटलांटिक महासागर]] में गिरती है। नाइजर [[गिनी]] तट की पहाड़ियों से निकलकर ४१०० किलोमीटर की यात्रा करने के बाद अटलांटिक महासागर में अपनी यात्रा समाप्त करती है। इसमें पानी की कमी रहती है क्योंकि यह शुष्क क्षेत्र से निकलती है तथा शुष्क क्षेत्र से ही बहती है। इसका प्रवाह मार्ग धनुषाकार है। नाइजर अफ़्रीका की तीसरी सबसे बड़ी नदी है। ओरेंज [[ड्रेकिन्सवर्ग पर्वत]] से निकलकर पश्चिम की ओर बहती है। यह गर्मियों में सूख जाती है।
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दक्षिणी, मध्य एवं पूर्वी अफ्रीका में बांटू भाषा बोलने वालों की अधिकता है। इनके अलावा इन भू-भाग में कई भाषाई अल्पसंख्यक लोग भी रहते है जैसे पूर्वी अफ्रीका के निलोत जनजाति एवं दक्षिणी एवं मध्य अफ्रीका के स्थानीय खोइसान (जिन्हें सेन या बुश्मैन भी कहा जाता है ) और पिग्मी जाति के लोग। सेन लोग अन्य अफ्रीकी जातियों से शारीरिक रूप से भिन्न होते है और दक्षिणी अफ्रीका के सर्वप्रथम निवासी हैं। पिग्मी लोग मध्य अफ्रीका में बांटू लोगों से पहले से निवास कर रहे हैं। कांगो प्रदेश के मूल निवासी इन पिग्मी लोगों का कद छोटा, नाक चिपटी तथा केश घुँघराले होते हैं।<ref>{{cite book |last=चौधरी |first=जयचन्द्र |title= मनोहर भूगोल प्रवेशिका |year=जुलाई २००४ |publisher=मनोहर प्रकाशन |location=कलकत्ता |id= |page=१२९ |accessday= १९|accessmonth= जुलाई|accessyear= २००९}}</ref>
[[चित्र:Pyramide Afrique du Sud.hindi.PNG|thumb|200px|left|दक्षिण अफ्रीका का जनसंख्या पिरामिड जो यह दर्शाता है की अधिकांश महिला एवं पुरुष ३० वर्ष से कम आयु के है]]
उत्तरी अफ्रीका के लोगों को दो वर्गों में बांटा जा सकता है : बरबर और अरबी बोलने वाले पश्चिमी भाग के लोग और पूर्व में इथोपियन बोलने वाले। [[अरब]] लोग ७वी शताब्दी में अफ्रीका पहुँचे और इस्लाम एवं अरबी भाषा का प्रचार-प्रसार किया। इन के आलावा फोनेसियन, इरानी अलन, और यूरोपीय वन्दाल, यूनानी और रोमन लोग भी उत्तरी अफ्रीका में आ कर बस गए। उत्तरी अफ्रीका के अंदरूनी सहारा क्षेत्र में मुख्य रूप से तुअरेग और दूसरी ख़ानाबदोश जातियाँ निवास करती है।
यूरोपीय उपनिवेशवाद के दौर में भारतीय उपमहाद्वीप से भी काफी लोग अफ्रीका आये। यह लोग मुख्यतया [[दक्षिण अफ्रीका]] और [[केन्या]] में बस गए। उपनिवेशवाद दौर के अंत के पूर्व अफ्रीका के सभी प्रान्तों में श्वेत लोग बहुतायत थे जो द्वितीय विश्व युद्घ के उपरांत धीरे-धीरे अपने देशो को लौट गए। आज श्वेत समुदाय के लोग दक्षिण अफ्रीका, नामीबिया, ज़िम्बाबवे आदि देशों में अल्पसंख्यकों में गिने जाते है। दक्षिण अफ्रीका की कुल आबादी का ११ प्रतिशत लोग श्वेत हैं जो कि किसी भी अफ्रीकी देश से अधिक है।<ref>[https://www.cia.gov/library/publications/the-world-factbook/geos/sf.html#People South Africa: People: Ethnic Groups.] World Factbook of CIA</ref>
 
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== साहित्य ==
[[चित्र:Soyinka, Wole (1934).jpg|thumb|right|200px|[[नोबेल पुरस्कार]] से सम्मानित [[वोले शोयिंका]] ]]
[[प्राचीन मिस्र]] साहित्यिक परंपरा वाली सबसे पहली अफ़्रीकी सभ्यताओं में से एक है। इसका कुछ प्राचीन चित्रलिपीय साहित्य आज भी विद्यमान हैं। विद्वान प्राचीन मिस्री धार्मिक मान्यताओं और समारोहों के विषय में जानने के लिए प्राथमिक संदर्भ के रुप में सामान्यत: मिस्री मृत व्यक्ति की पुस्तक (बुक ऑफ़ द डेड) जैसे साहित्य का प्रयोग करते हैं। न्यूबीय [[साहित्य]], यद्यपि स्वीकारा गया है, लेकिन अभी तक उसे ठीक से पढ़ा नहीं जा सका है। इसका प्रारंभिक साहित्य [[चित्रलिपि]] में और उसके बाद २३ अक्षरों की एक [[वर्णमाला]] लिपि में लिखा गया था, और इसे समझना आसान नहीं है। अफ्रीका में वाचिक अथवा मौखिक साहित्य की प्राचीन परंपरा रही है। यह साहित्य [[गद्य]] अथवा [[पद्य]] में दोनों विधाओं में मिलता है। गद्य प्राय: [[पुराण|पौराणिक]] अथवा [[इतिहास|ऐतिहासिक]] है और इसमें चतुर चरित्रों की कहानियाँ सम्मिलित हैं। अफ़्रीका में कथावाचक अपनी कहानियाँ सुनाने के लिए प्रश्नोत्तर तकनीकों का प्रयोग करते हैं। पद्य प्राय: गाया जाने वाला है। इन्हें कई भागों में बाँटा जा सकता है। विस्तृत वर्णनवाले [[महाकाव्य]], व्यावसायिक पद्य, पारंपरिक पद्य तथा शासकों और दूसरे प्रमुख लोगों की प्रशंसा में लिखी गई कविताएँ। प्रशंसा में गायक या भाट जो कभी-कभी "ग्रिओट्स" के रुप में जाने जाते हैं, अपनी कहानियाँ संगीत के साथ सुनाते है। गाए जाने वाले काव्यों में प्रमुख हैं: प्रेम गीत, कार्य गीत, शिशुओं के गीत, सूक्तियों, कहावतें और पहेलियाँ।
 
उपनिवेश-पूर्व अफ़्रीकी साहित्य देखें तो पश्चिम अफ़्रीका के मौखिक साहित्य में मध्यकालीन माली में रचित [[सुनडिआटा का महाकाव्य]] और पुराने घाना साम्राज्य में विकसित [[डिंगा का पुराना महाकाव्य]] प्रमुख हैं। [[इथोपिया]] में, मौलिक रूप से गे'इज लिपि में लिखा हुआ [[केब्रा नेगास्ट]] अथवा राजाओं की पुस्तक महत्वपूर्ण साहित्यिक ग्रंथ है। पारंपरिक अफ़्रीकी लोककथा का एक लोकप्रिय रूप "चतुर चरित्र" कथाएँ है, जहाँ एक छोटा जानवर अपनी समझ का प्रयोग बड़े जन्तुओं के साथ मुठभेड़ में बचने के लिए करता है। घाना की अशांती जाति की एक लोककथा में अनांसी नामक एक [[मकड़ी]], [[नाइजीरिया]] की [[योरुबा]] लोककथा में इजापा नाम का एक [[कछुआ]] तथा केन्द्रीय-पूर्वी अफ़्रीकी लोककथा में सुन्गुरा नाम का एक [[खरगोश]] इस प्रकार की कथाओं के नायक हैं। लिखित साहित्य में उत्तर अफ़्रीका, पश्चिम अफ़्रीका के साहेल क्षेत्र और स्वाहिली समुद्रतट पर प्रचुर साहित्य मिलता है। केवल टिम्बकटू में ही, ३००,००० से भी अधिक पांडुलिपियाँ विभिन्न पुस्तकालयों और निजी संकलनों में संग्रहीत हैं, जिनमें से अधिकांश [[अरबी]] में हैं, परंतु कुछ मूल भाषाओं [[पियूल]] और [[सोन्घाई]] में भी लिखी गई हैं। इनमें से अधिकतर प्रसिद्ध [[टिम्बकटू विश्वविद्यालय]] में लिखी गई थीं। इनकी विषय वस्तु में विभिन्नता हैं। प्रमुख विषयों में [[खगोलशास्त्र]], [[कविता]], [[विधि]], [[इतिहास]], विश्वास, [[राजनीति]], और [[दर्शन]] है। [[स्वाहिली]] साहित्य सामान्य रूप से, इस्लामी शिक्षा से प्रेरित परंतु स्थानीय परिस्थियों के अन्तर्गत विकसित किया गया था। स्वाहिली साहित्य के सबसे ख्यातिप्राप्त और आरंभिक लेखनों में से एक उटेण्डी वा टम्बूका अथवा "टम्बूका की कहानी" का नाम लिया जा सकता है। इस्लामी काल में, उत्तर अफ़्रीकियों के प्रतिनिधि साहित्यकार [[इब्न खल्दून]] ने अरबी साहित्य में बहुत प्रसिद्धि अर्जित की थी। मध्यकालीन उत्तर अफ़्रीका में विश्वविद्यालय फ़ेज़ और [[काहिरा]] में, साहित्य की विपुल मात्राएँ होने के प्रमाण मिलते हैं। अफ्रीका के औपनिवेशिक साहित्य की ओर दृष्टिपात करें तो अधिकतर साहित्य इस बात का प्रतीक है कि किस तरह पराधीनता के शोषण से बाहर निकलने के लिए वहाँ के रचनाकारों ने विद्रोह किया।<ref>{{cite web |url=http://www.lakesparadise.com/madhumati/show_artical.php?id=1376|title=साहित्य और राजनीति|accessmonthday=[[७ अगस्त]]|accessyear=[[२००९]]|format=पीएचपी|publisher=मधुमती|language=}}</ref>
अश्वेत अफ्रीका की परंपरा, संस्कृति और धार्मिक विश्वास में युगों-युगों से रचे-बसे मिथकों की काव्यात्मकता और उनकी नई रचनात्मक सम्भावनाओं को प्रकट करने वाले आधुनिक कवियों में [[वोले शोयिंका]] का नाम उल्लेखनीय है।<ref>{{cite web |url=http://pustak.org/bs/home.php?bookid=5760
|title=वोले शोयिंका की कवितायें|accessmonthday=[[७ अगस्त]]|accessyear=[[२००९]]|format=पीएचपी|publisher=भारतीय साहित्य संग्रह|language=}}</ref>
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अफ्रीकी संस्कृति विश्व की सबसे प्राचीन और सबसे अधिक विविधता वाली संस्कृति है। अफ़्रीका के भोजन और पेय में अपनी स्थानीय पहचान के साथ साथ उपनिवेशीय खाद्य परंपराओं की झलक देखी जा सकती है। कालीमिर्च, मूँगफली और मक्के जैसे खाद्य उत्पादों का प्रयोग यहाँ खूब किया जाता है। अफ़्रीकी भोजन पारंपरिक फलों और तरकारियों, दूध और माँस उत्पादों का सुंदर संयोजन है। अफ़्रीकी गाँवों का आहार प्राय: दूध, दही और छाछ है। शिकार और मछलियाँ भी यहाँ के लोकप्रिय भोजन में शामिल हैं।
 
अफ़्रीकी कला और वास्तुकला अफ़्रीकी संस्कृतियों की विविधता प्रतिबिंबित करते हैं। इसके सबसे पुराने उदाहरण, नासारियस सीपियों से बने ८२,०००-वर्ष-पुरानी मनके (माला के दाने) हैं जो आज भी देखे जा सकते हैं। मिस्र में [[गीज़ा का पिरामिड]] ४,००० वर्षों तक, वर्ष १३०० के आसपास [[लिंकन चर्च]] के पूरा होने तक, विश्व का सबसे ऊँचा मानव निर्मित ढाँचा था। बड़े ज़िम्बाब्वे के पत्थरों के खंडहर अपनी वास्तुकला के लिए, और लालीबेला, इथोपिया के एकल-शिला-निर्मित चर्च, अपनी जटिलता के लिए आज भी सबका ध्यान आकर्षित करते हैं। मिस्र लंबे अरसे तक अरब दुनिया के लिए संस्कृति का केन्द्र बिंदु रहा है, जबकि उप-सहारा अफ़्रीका, विशेषकर पश्चिम अफ़्रीका के संगीत की लोकप्रियता अपनी दमदार ताल के कारण, अंध महासागर (एटलांटिक) से होने वाले गुलामों के व्यापार के माध्यम से आधुनिक साम्बा, ब्ल्यूज़, जॉज़, रेगे, रैप, और रॉक एंड रोल तक पहुँच गई। १९५० के दशक से १९७० के दशक ने एफ़्रोबीट और हाईलाइफ़ संगीत और इसकी विभिन्न शैलियों के अनेक रूपों को लोकप्रिय होते देखा। इस महाद्वीप के आधुनिक संगीत में दक्षिणी अफ़्रीका के अति कठिन समझे जानेवाले समूह-गान, कॉन्गो लोकतांत्रिक गणराज्य का संगीत और सौकौस संगीत शैली के नृत्य ताल सम्मिलित हैं। अफ़्रीका की देसी संगीत और नृत्य परंपराएँ वाचिक-परंपराओं द्वारा विकसित हुई हैं। ये उत्तरी अफ़्रीका और दक्षिणी अफ़्रीका की संगीत और नृत्य शैलियों से भिन्न हैं। उत्तरी अफ़्रीकी संगीत और नृत्य पर अरबी प्रभाव दिखाई पड़ते हैं और, दक्षिणी अफ़्रीका में, उपनिवेशीकरण के कारण पश्चिमी प्रभाव। [[चित्र:Gizeh Cheops BW 1.jpg|right|200px|thumb|मिस्र में गीज़ा का महान पिरामिड]]
खेल अफ़्रीकी संस्कृति का प्रमुख अंग है। फ़ुटबॉल परिसंघ (कनफ़ेडरेशन) में ५३ अफ़्रीकी देशों की [[फ़ुटबॉल]] (सॉकर) टीमें हैं, जब कि केमेरून, नाइजीरिया, सेनेगल, और घाना फ़ीफ़ा (FIFA) विश्व कपों में नॉक-आउट स्थिति तक आगे बढ़ चुके हैं। दक्षिण अफ़्रीका २०१० विश्व कप प्रतियोगिता की मेजबानी करनेवाला है, और ऐसा करने वाला पहला अफ़्रीकी देश होगा। कुछ अफ़्रीकी देशों में [[क्रिकेट]] लोकप्रिय है। दक्षिण अफ़्रीका और ज़िम्बाबवे टेस्ट मैच खेलने की अवस्था पा चुके हैं, जबकि केन्या एक-दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय क्रिकेट में अग्रणी गैर-टेस्ट टीम है और स्थायी एक-दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय स्तर को प्राप्त कर चुकी है। इन तीन देशों ने संयुक्त रुप से २००३ क्रिकेट विश्व कप की मेजबानी की थी। नामीबिया एक और अफ़्रीकी देश है जिसने किसी विश्व कप में खेला है। उत्तरी अफ़्रीका में मोरक्को “२००२ मोरक्को कप” का आयोजक रह चुका है, परंतु इसकी राष्ट्रीय टीम कभी किसी प्रमुख प्रतियोगिता के लिए नहीं चुनी गई है।
 
== धर्म ==