"आंग सान सू की": अवतरणों में अंतर

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== निजी ज़िंदगी ==
आंग सान सू १९ जून १९४५ को [[रंगून]] में पैदा हुईं थीं। इनके पिता आंग सान ने आधुनिक बर्मी सेना की स्थापना की थी और [[संयुक्त राजशाही|युनाईटेड किंगडम]] से १९४७ में बर्मा की स्वतंत्रता पर बातचीत की थी। इसी साल उनके प्रतिद्वंद्वियों ने उनकी हत्या कर दी। वह अपनी माँ, खिन कई और दो भाइयों आंग सान लिन और आंग सान ऊ के साथ रंगून में बड़ी हुई।
नई बर्मी सरकार के गठन के बाद सू की की माँ खिन कई एक राजनीतिक शख्सियत के रूप में प्रसिद्ध हासिल की। उन्हें १९६० में भारत और नेपाल में बर्मा का राजदूत नियुक्त किया गया। अपनी मां के साथ रह रही आंग सान सू की ने लेडी श्रीराम कॉलेज, [[नई दिल्ली]] से १९६४ में [[राजनीति विज्ञान]] में स्नातक हुईं। सू की ने अपनी पढ़ाई सेंट ह्यूग कॉलेज, ऑक्सफोर्ड में जारी रखते हुए दर्शन शास्त्र, राजनीति शास्त्र और अर्थशास्त्र में १९६९ में डिग्री हासिल की। स्नातक करने के बाद वह न्यूयॉर्क शहर में परिवार के एक दोस्त के साथ रहते हुए [[संयुक्त राष्ट्र]] में तीन साल के लिए काम किया। १९७२ में आंग सान सू की ने [[तिब्बती संस्कृति]] के एक विद्वान और [[भूटान]] में रह रहे डॉ.डॉ॰ माइकल ऐरिस से शादी की। अगले साल [[लंदन]] में उन्होंने अपने पहले बेटे, अलेक्जेंडर ऐरिस, को जन्म दिया। उनका दूसरा बेटा किम १९७७ में पैदा हुआ। इस के बाद उन्होंने लंदन विश्वविद्यालय के स्कूल ओरिएंटल और अफ्रीकन स्टडीज में से १९८५ में पीएच.डी. हासिल की।
 
१९८८ में सू की बर्मा अपनी बीमार माँ की सेवाश्रु के लिए लौट आईं, लेकिन बाद में लोकतंत्र समर्थक आंदोलन का नेतृत्व अपने हाथ में ले लिया। १९९५ में क्रिसमस के दौरान माइकल की बर्मा में सू की आखिरी मुलाकात साबित हुई क्योंकि इसके बाद बर्मा सरकार ने माइकल को प्रवेश के लिए वीसा देने से इंकार कर दिया। १९९७ में माइकल को [[प्रोस्टेट कैंसर]] होना पाया गया, जिसका बाद में उपचार किया गया। इसके बाद अमेरिका, संयुक्त राष्ट्र संघ और पोप जान पाल द्वितीय द्वारा अपील किए जाने के बावजूद बर्मी सरकार ने उन्हें वीसा देने से यह कहकर इंकार कर दिया की उनके देश में उनके इलाज के लिए माकूल सुविधाएं नहीं हैं। इसके एवज में सू की को देश छोड़ने की इजाजत दे दी गई, लेकिन सू की ने देश में पुनः प्रवेश पर पाबंदी लगाए जाने की आशंका के मद्देनजर बर्मा छोड़कर नहीं गईं।