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'''ब्रह्माण्ड किरणें''' ( cosmic ray ) अत्यधिक [[उर्जा]] वाले [[कण]] हैं जो बाहरी [[अंतरिक्ष]] में पैदा होते हैं और छिटक कर [[पृथ्वी]] पर आ जाते हैं। लगभग ९०% ब्रह्माण्ड किरण (कण) [[प्रोटॉन]] होते हैं; लगभग १०% [[हिलियम]] के [[नाभिक]] होते हैं; तथा १% से कम ही भारी तत्व तथा [[इलेक्ट्रॉन]] (बीटा मिनस कण) होते हैं। वस्तुत: इनको "किरण" कहना ठीक नहीं है क्योंकि धरती पर पहुँचने वाले ब्रह्माण्डीय कण अकेले होते हैं न कि किसी पुंज या किरण के रूप में।
 
== खोज ==
ब्रह्माण्ड किरण की खोज ऑस्ट्रीयन-अमेरिकन भौतिकविद [[विक्टर हेस]] ने सन १९१२ में की थी। इस खोज के लिए उन्हे १९३६ में भौतिकी का नोबेल पुरष्कार दिया गया।
 
== प्रकार ==
ब्रह्माण्ड किरणे कई तरह की होती है। [[सौर ब्रह्माण्ड किरण]] ( solar cosmic ray ) सूर्य से निकलती है। इसकी ऊर्जा ( १०<sup>७</sup> से १०<sup>१०</sup> eV ) अन्य सभी ब्रह्माण्ड किरणो से कम होती है। [[सौर ज्वाला]] व [[सूर्य]] में होने वाले विस्फोट के फलस्वरुप इसकी उत्पत्ती होती है। दूसरे प्रकार की ब्रह्माण्ड किरण, [[गांगेय ब्रह्माण्ड किरण]] ( galactic cosmic ray ) है। इसकी ऊर्जा ( १०<sup>१०</sup> से १०<sup>१५</sup> eV ) सौर ब्रह्माण्ड किरणो से अधिक होती है। खगोलविद समझते है कि इसकी उत्पत्ती [[सुपरनोवा]] विस्फोट, [[श्याम विवर]] और न्यूट्रॉन तारे से होती है जो हमारी ही [[आकाशगंगा]] में मौजुद है। [[परागांगेय ब्रह्माण्ड किरण]] ( extragalactic cosmic ray ) तीसरे प्रकार की ब्रह्माण्ड किरण है। वैज्ञानिको की धारणा है कि इनका स्त्रोत हमारी आकाशगंगा के बाहर है। वैज्ञानिक इस बारे में निश्चित नही है। इस किरण की ऊर्जा ( १०<sup>१८</sup> eV ) गांगेय ब्रह्माण्ड किरणो से ज्यादा होती है। इसकी उत्पत्ती [[क्वासर]] और सक्रिय आकाशगंगाओ के केन्द्र से होती है।