"ऍक्स किरण": अवतरणों में अंतर
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संहति-अवशोषण-गुणक का विशेष महत्व यह है कि वह अवशोषक पदार्थ का लाक्षणिक गुणधर्म (charecteristic property) है। उदाहरणार्थ, जल और भाप का रेखीय अवशोषण-गुणक भिन्न होता है, क्योंकि जल द्रव है और भाप गैस हैं। परंतु जल तथा भाप का एक्सरे संहति-अवशोषण-गुणंक समान ही होता है, क्योंकि जल तथा भाप के रासायनिक संरचक अभिन्न हैं अर्थात् हाइड्रोजन तथा आक्सिजन। प्रकाश और एक्सरे के गुणधर्मो की भिन्नता संहति-अवशोषण-गुणक से अत्यंत स्पष्ट हो जाती है। साधारणत: द्रव और ठोस पदार्थ प्रकाश के लिए स्वयं अपारदर्शी अथवा पारभासक (ट्रैसल्यूसेंट) होते हैं। प्रकाश के लिए हीरा पारदर्शी और ग्रैफ़ाइट अपारदर्शी है, परंतु एक्सरे का संहति-अवशोषण-गुणंक हीरा तथा ग्रैफ़ाइट के लिए समान ही रहता है, क्योंकि ये दोनों पदार्थ वस्तुत: कार्बन के ही विभिन्न स्वरूप हैं।
एक्सरे नलिका से जो संपूर्ण एक्सरे प्राप्त होते हैं, उन सबका अवशोषण-गुणक मुख्यत: (1) विद्युद्विभव और (2) अवशोषक परदे की धातु का परमाणु-क्रमांक, इन दोनों पर निर्भर रहता है। जैसे जैसे विभव बढ़ता जाता है वैसे ही वैसे उत्पादित एक्सरे की प्रवेशक्षमता अथवा कठोरता बढ़ती जाती है। समीकरण (1) से यह निष्कर्ष निकलता है कि किसी एक ठोस पदार्थ के लिए अवशोषण गुणक सब मोटाइयों के लिए स्थिर रहेगा। किंतु प्रत्यक्ष प्रयोग में एक्सरे नलिका से प्राप्त विकिरण का न्यून प्रवेशक्षमतावाला भाग अवशोषक परदे के प्रथम स्तरों में ही पूर्णतया अवशोषित हो जाता है (कम प्रवेशक्षमता के इस एक्सरे को मृदू एक्सरे कहते हैं)। केवल अधिक प्रवेशक्षमता के एक्सरे (जिनको कठोर एक्सरे कहते हैं) अवशोषण परदे के अंतिम स्तरों तक पहुँच पाते हैं। स्पष्ट है कि अवशोषण परदे में प्रवेश करनेवाले एक्सरे का अवशोषण गुणंक परदे से पार निकले हुए एक्सरे के अवशोषण गुणक से अधिक होता है। जब समस्त एक्सरे का अवशोषण गुणक समान होता है (अथवा भौतिकी की भाषा में, जब समस्त एक्सरे का तरंगदैर्घ्य समान होता है) तब उनको समांग एक्सरे कहते हैं। अत: एक्सरे की मात्रा उनकी तीव्रता से
=== हानिकारक प्रभाव तथा चिकित्सीय उपयोग ===
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