"भारतीय महाकाव्य": अवतरणों में अंतर
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== हिन्दी के महाकाव्य ==
[[हिंदी]] में [[पृथ्वीराज रासो]], पद्मावत (जायसी), रामचरित मानस (गो. तुलसीदास), रामचंद्रिका (केशवदास), साकेत (मैथिलीशरण गुप्त), साकेत संत (
समय, रूचि तथा क्रियाशीलता के अभाव के बाद भी हिंदी साहित्य में महाकाव्य लेखन की परंपरा गति तथा विस्तार पा रही है। इस दशक के महाकाव्यों में
हिंदी महाकाव्य सृजन की परंपरा में महाकाव्य के 3 तत्व कथावस्तु, नायक तथा रस मान्य हैं। कथावस्तु के 3 अंग विस्तार, विशालता व छंद वैविध्य, नायक के 3 अंग गुण धीरोदात्तता, शालीनता, प्रासंगिकता तथा रस के 3 गुण भाषा-शैली, अलंकार तथा भावानुभाव हैं।
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