"केलाग-ब्रियाँ समझौता": अवतरणों में अंतर

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(2) हर प्रकार के विवाद, जो देशों के बीच उत्पन्न हों, शांतिपूर्ण उपायों से हल किए जाएँ।
 
फरवरी, सन् 1928 में छठी पैन-अमरीकन कानफरेंस ने एक प्रस्ताव करते हुए घोषित किया कि प्रथमाक्रमण मनुष्य मात्र के प्रति एक अपराध है, प्रत्येक प्रथमाक्रमण प्रतिषिद्ध, और इस कारण निषिद्ध है। इन्हीं विचारों तथा प्रयत्नों को केलाग-ब्रियाँ समझौते का रूप प्रदान किया गया। प्रोफेसर शाटवेल के सुझाव पर फ्रांस के विदेश- सचिव ब्रियाँ ने अमरीका के सचिव केलाग के बीच इस संबंध में पत्राचार आरंभ किया और इस पत्राचार के फलस्वरूप यह संधिपत्र स्वीकार किया गया। इस कारण इसे केलाग-ब्रियाँ अथवा पेरिस समझौता (पैक्ट) कहते हैं।
 
इस समझौते में एक प्राक्कथन तथा दो मुख्य अनुच्छेद हैं। इसमें यह घोषणा की गई है-
 
(1) उच्च संविदित पक्ष (हाई कांट्रैक्टिंग पार्टीज), अपने अपने देशवासियों की ओर से गंभीरतापूर्वक घोषित करते हैं कि वे अंतरराष्ट्रीय विवादों को सुलझाने में, युद्ध का आश्रय लेना तिरस्कृत समझते हैं, और एक दूसरे से संबंधित विषयों में राष्ट्रीय नीति के साधन के रूप में उसका परित्याग करते हैं।
 
(2) उच्च संविदित पक्ष इस बात पर सहमत हैं कि सारे झगड़े अथवा विवादों का समाधान, चाहे वे किसी भी प्रकार के हों या किसी भी कारण से उत्पन्न हुए हों, जो उनके बीच उठें, केवल शांतिपूर्ण रीतियों से ही सुलझाए जाएँ। इस प्रकार कहा जाता है कि यह समझौता युद्ध का त्याग करने की एक सार्वजनिक संधि है।
 
कालांतर में यह संधि केवल मौखिक घोषणा मात्र बन कर रह गई। इसपर हस्ताक्षर करनेवाले देशों ने शीघ्र इसका उल्लंघन किया। 1929 ई. में रूस ने चीन के विरुद्ध, 1931-32 में [[जापान]] ने [[मंचूरिया]] के विरुद्ध और 1931 में पेरू ने [[कोलंबिया]] के विरुद्ध बड़े पैमाने पर बल-प्रयोग किया, यद्यपि उन्होंने युद्ध की विधिवत घोषणा नहीं की। सन् 1935 में [[इटली]] ने [[अबीसीनिया]] के विरुद्ध, 1937 में [[जापान]] ने [[चीन]] के विरुद्ध, और 1939 में [[रूस]] ने [[फिनलैंड]] के विरुद्ध स्पष्ट रूप से युद्ध की घोषणा की। इस प्रकार, यद्यपि इस समझौते का व्यतिक्रमण शीघ्र ही होना आरंभ हो गया फिर भी इससे यह नहीं कहा जा सकता कि उसका विधिक महत्व घट गया। एक स्थायी समझौता होने के नाते तथा अंतरराष्ट्रीय समाज के विधिक ढाँचे में एक मूलभूत परिवर्तन उत्पन्न करने के कारण अंतरराष्ट्रीय विधि व्यवस्था में वह अपना महत्वपूर्ण स्थान तो रखता ही है।
 
== सन्दर्भ ==