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राजनीतिक और सामाजिक क्रांतियों का अध्ययन अनेकों सामाजिक विज्ञान के अंतर्गत किया गया है, विशेषतः [[समाजशास्त्र]], राजनीतिशास्त्र और [[इतिहास]] के अंतर्गत. इस क्षेत्र के अग्रणी विद्वानों में क्रेन ब्रिन्टन, चार्ल्स ब्रौकेट, फारिदेह फार्ही, जॉन फोरन, जॉन मैसन हार्ट, सैमुएल हंटिंग्टन, जैक गोल्डस्टोन, जेफ गुडविन, टेड रॉबर्ट्स गुर, फ्रेड हेलिडे, चामर्स जॉन्सन, टिम मैक'डेनियल, बैरिंगटन मूर, जेफ्री पेज, विल्फ्रेडो पेरेटो, टेरेंस रेंजर, यूजीन रोसेनस्टॉक-ह्यूसे, थेडा स्कौक पॉल, जेम्स स्कॉट{{dn}}, एरिक सेल्बिन, चार्ल्स टिली, एलेन के ट्रिमब्रिंगर, कार्लोस विस्टास, जॉन वोल्टन{{dn}}, टिमोथी विक्हेम-क्रौले और एरिक वुल्फ आदि रहे हैं या अभी भी हैं.<ref name="NOWO:5">जेफ़ गुडविन, ''नो अदर वे आउट: राज्य और क्रांतिकारी आंदोलन, 1945-1991.'' कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी प्रेस, 2001, पृष्ठ 5</ref>
 
क्रांतियों के विद्वान जैसे कि जैक गोल्डस्टोन, क्रांतियों के सम्बन्ध में हुए विद्वत्तापूर्ण शोध का विभेद चार वर्तमान पीढ़ियों के रूप में करते हैं.<ref name="Goldstonet4"/> पहली पीढ़ी के विद्वान् जैसे कि गुस्ताव ली बौन, चार्ल्स ए. एलवुड या पितिरिम सोरोकिन की पद्धति मुख्यतः वर्णनात्मक थी, और क्रांतियों के तथ्य के लिए उनके द्वारा दिए गए स्पष्टीकरण आम तौर पर [[सामाजिक मनोविज्ञान]] से सम्बंधित थे, जैसे कि ली बौन का क्राउड साइकोलॉजी सिद्धांत.<ref name="Goldstonet3"/>
 
दूसरी पीढ़ी के सिद्धांतवादी क्रांतियों के शुरू होंने के कारणों और समय के बारे में विस्तृत सिद्धांत विकसित करना चाहते थे, जोकि अधिक जटिल सामाजिक व्यवहार संबंधी सिद्धांतों में निहित था. इन्हें तीन प्रमुख पद्धतियों में विभक्त किया जा सकता है: मनोवैज्ञानिक, समाजशास्त्र संबंधी और राजनीतिक.<ref name="Goldstonet3"/>
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क्रांतियों से सम्बंधित अनेकों प्रारंभिक अध्ययनों ने चार मौलिक मुद्दों पर केन्द्रित होने का प्रयास किया- प्रसिद्द एवम विवाद रहित उदाहरण जोकि वास्तव में क्रांतियों की सभी परिभाषाओं के लिए सटीक है, जैसे कि [[गौरवपूर्ण क्रांति|ग्लोरियस रिवौल्युशन]] (1688), [[फ़्रांसीसी क्रांति|फ़्रांसिसी क्रांति]] (1789-1799), 1917 की रूसी क्रांति और चीनी क्रांति (1927-1949).<ref name="Goldstonet4"/> हालांकि, प्रसिद्द हारवर्ड इतिहासकार, क्रेन ब्रिन्टन ने अपनी प्रसिद्द पुस्तक "द एनाटौमी ऑफ रिवौल्युशन" में [[अंग्रेज़ी गृहयुद्ध|अंग्रेजी गृहयुद्ध]], [[अमेरिकी क्रान्ति|अमेरिकी क्रांति]], फ़्रांसिसी क्रांति और रूसी क्रांति पर ध्यान केन्द्रित किया.<ref>क्रेन ब्रिन्टन, ''द ऐनाटॉमी ऑफ़ रेव्ल्युशन'', रिवाइस्ड एड. (न्यूयॉर्क, विंटेज बुक्स, 1965). पहला संस्करण, 1938.</ref>
 
समय के साथ, विद्वान् अन्य सैकड़ों घटनाओं का विश्लेषण भी क्रांति के रूप में करने लगे (क्रांतियों व विद्रोहियों की सूची देखें), और उनकी परिभाषाओं व पद्धतियों में अंतर ने नयी परिभाषा व स्पष्टीकरण को जन्म दिया. दूसरी पीढ़ी के सिद्धांतों की आलोचना उनके सीमित भौगोलिक प्रसार, आनुभविक सत्यापन की कठिनाइयों और साथ ही साथ इस आधार पर की गयी कि हालांकि वह कुछ विशेष क्रांतियों का स्पष्टीकरण देती हैं लेकिन इस बात के लिए कोई स्पष्टीकरण नहीं दे पाती कि इन्ही परिस्थितियों में अन्य समाजों में विद्रोह क्यूं नहीं हुए.<ref name="Goldstonet4"/>
 
दूसरी पीढ़ी की अलोचाना के कारण सिद्धांतों की तीसरी पीढ़ी का जन्म हुआ, जिसमे थेडा स्कौकपॉल, बैरिन्ग्टन मूर, जैफ्री पेज और अन्य लेखक शामिल थे जोकि प्राचीन [[मार्क्सवाद|मार्क्सवादी]] वर्ग संघर्ष माध्यम के आधार पर विस्तार कर रहे थे, वह अपना ध्यान ग्रामीण कृषि राज्य संघर्ष, उच्चवर्गीय लोगों के साथ होने वाले राज्य संघर्ष और अंतर्राजीय आर्थिक व सैन्य प्रतिस्पर्धा द्वारा घरेलू राजनीतिक परिवर्तन पर पड़ने वाले प्रभाव की ओर केन्द्रित कर रहे थे. विशेषतः स्कौकपॉल की ''स्टेट्स एंड सोशल रिवौल्युशंस'' तीसरी पीढ़ी की सर्वाधिक प्रचलित कृतियों में से एक हो गयी; स्कौकपॉल ने क्रांति की व्याख्या करते हुए कहा "यह समाज के राज्यों और वर्ग संरचना का तीव्र, मौलिक रूपांतरण है...जोकि निम्न स्तर के वर्ग आधारित विद्रोहों के द्वारा समर्थित व स्वीकृत होता है", और उन्होंने क्रांतियों को राज्य, उच्चवर्ग और निम्न वर्ग से सम्बंधित विभिन्न संघर्षों के लिए उत्तरदायी ठहराया.<ref name="Goldstonet4"/>
 
[[चित्र:Thefalloftheberlinwall1989.JPG|thumb|left|बर्लिन वॉल के फौल और यूरोप में ऑटम ऑफ़ नेशन के सबसे अधिक इवेंट्स, 1989, अचानक और शांतिपूर्ण रहे थे.]]
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[[चित्र:Maquina vapor Watt ETSIIM.jpg|thumb|मैड्रिड में एक वॉट भाप इंजन.ब्रिटेन और दुनिया में भाप इंजन के विकास ने औद्योगिक क्रांति को चलनेवाला बना दिया.कोयले से पानी निकलने के लिए भाप इंजन बनाये गए सक्षम के पूरी तरह से ग्राउंडवॉटर के स्तर तक गहरा बनाया जाए.]]
 
सामाजिक विज्ञान और साहित्य में क्रांतियों के अनेकों भिन्न वर्ग विज्ञान हैं. उदाहरण के लिए, प्राचीन विद्वान एलेक्सिस डि टौक्युविले ने 1) राजनीतिक क्रांतियों और 2) आकस्मिक व हिंसक क्रांतियां जोकि ना सिर्फ नए राजनीतिक प्रणाली की स्थापना करना चाहती हैं बल्कि पूरे समाज को रूपांतरित करना चाहती हैं और 3) समग्र समाज का धीमा किन्तु व्यापक रूपांतरण जिसे पूरी तरह अपने रूप में आने में कई पीढ़ियों का समय लग जाता है (पूर्व [[धर्म]]) में विभेद<ref>रोजर बोएश, ''तोक्विली रोड मैप: कार्य पद्धति, उदारतावाद, क्रांति, और तानाशाही'', लेज़िन्ग्टन बुक्स, 2006, ISBN 0-7391-1665-7, [http://books.google.com/books?id=fLL6Bil2gtcC&amp;pg=PA86&amp;dq=%22types+of+revolution%22&amp;as_brr=3&amp;ei=hdVQR6TVIpm4pgLFvJ2fBw&amp;sig=ZEc373JU8-9qM9N4BgKjnvvHVD8#PPA86,M1 गूगल प्रिंट], पृष्ठ 86</ref> किया. अनेकों भिन्न मार्क्सवादी वर्ग विज्ञानों में से एक क्रांतियों को पूर्व-पूंजीवाद, प्रारंभिक पूंजीवादी, पूंजीवादी, पूंजीवादी-प्रजातान्त्रिक, प्रारंभिक निर्धन और सामाजिक क्रांतियों में विभाजित करता है.<ref>{{pl icon}}जे टोपोल्सकी, "Rewolucje w dziejach nowożytnych i najnowszych (xvii-xx wiek)," Kwartalnik Historyczny, LXXXIII, 1976, 251-67</ref>
 
चार्ल्स टिली, क्रांति के आधुनिक विद्वान ने, एक तख्तापलट, एक सर्वाधिकार जब्ती, एक गृहयुद्ध, एक विद्रोह और एक "महान क्रांति" (वह क्रांतियां जो आर्थिक और सामाजिक ढांचे के साथ-साथ राजनीतिक व्यवस्था में भी परिवर्तन लाती हैं, जैसे कि 1789 का [[फ़्रांसीसी क्रांति|फ़्रांसिसी क्रांति]], 1917 की रूसी क्रांति या ईरान का इस्लामिक क्रांति) के मध्य विभेद<ref>चार्ल्स टिली, ''''यूरोपीय क्रांतियां, 1492-1992'', ब्लैकवेल प्रकाशन, 1995, ISBN 0-631-19903-9, [http://books.google.com/books?id=IJBNvCsXfnIC&amp;pg=PA16&amp;dq=%22types+of+revolution%22&amp;as_brr=3&amp;ei=hdVQR6TVIpm4pgLFvJ2fBw&amp;sig=A5SYZlQNKb5RMw9djQSnkmZtTYQ#PPA16,M1 गूगल प्रिंट, पृष्ठ 16]'' '''</ref> किया है.<ref>[http://www.tau.ac.il/dayancenter/mel/lewis.html Bernard Lewis],"itihaas में ईरान", मोशे दायां सेंटर, तेल अवीव विश्विद्यालय]</ref>