"गति के नियम": अवतरणों में अंतर
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== गुरूत्वाकर्षण नियम ==
जिस प्रकार दो स्पर्शी पिंडों के बीच दाब और चुबकीय आकर्षण, अथवा अपकर्षण, पारस्परिक क्रियाएँ होती है, उसी प्रकार [[न्यूटन]] ने भी गुरूत्वाकर्षण को पारस्परिक बल मानकर यह नियम स्थिर किया कि किन्हों दो कणों के बीच एक आकर्षण बल रहता है, जो उनके द्रव्यमानों के गुणफल का अनुलोमानुपाती और उनके बीच की दूरी के वर्ग का प्रतिलोमानुपाती है। इस नियम के अनुसार गैलिलीय आधार के सापेक्ष सभी त्वरणों की व्याख्या कणयुग्मों के बीच समान और विपरीत बलों के द्वारा की जा सकती है। इस नियम की परीक्षा प्रयोगशला में इस कारण नहीं की जा सकती कि समान्य पिंडों के लिये यह बल अत्यंत ही क्षीण है, किंतु इसका ज्योतिष सत्यापन सरल है। इस नियम से न्यूटन ने पृथ्वी का द्रव्यमान ज्ञात किया, जो बाद के अन्य निर्धारणों से मेल खाता है। इसी से उसने सौर परिवार के ग्रहों की गतियाँ, चंद्रमा की पृथ्वी के परित: गति, धूमकेतुओं के पथ
== सापेक्षवाद ==
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