"मयासुर": अवतरणों में अंतर
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जय शंकर ने त्रिपुरों को भस्म कर असुरों का नाश कर दिया तब मयासुर ने अमृतकुंड बनाकर सभी को जीवित कर दिया था किंतु [[विष्णु]] ने उसके इस प्रयास को विफल कर दिया। [[ब्रह्मपुराण]] (124) के अनुसार [[इंद्र]] द्वारा नमुचि का वध होने पर इसने इंद्र को पराजित करने के लिये तपस्या द्वारा अनेक माया विद्याएँ प्राप्त कर लीं। भयग्रस्त इंद्र ब्राह्मण वेश बनाकर उसके पास गए और छलपूर्वक मैत्री के लिये उन्होंने अनुरोध किया तथा असली रूप प्रकट कर दिया। इसपर मय ने अभयदान देकर उन्हें माया विद्याओं की शिक्षा दी।
== रामायण में==
[[रावण]] कि पत्नी [[मंदोदरी]] मायासुर कि पुत्री थी।
== महाभारत में==
[[महाभारत]] (आदिपर्व, 219.39; सभापर्व, 1.6) के अनुसार खांडव वन को जलाते समय यह उस वन में स्थित तक्षक के घर से भागा। [[कृष्ण]] ने तत्काल चक्र से इसका वध करना चाहा किंतु शरणागत होने पर अर्जुन ने इसे बचा लिया। बदले में इसने [[युधिष्ठिर]] के लिये सभाभवन का निर्माण किया जो मयसभा के नाम से प्रसिद्ध हुआ। इसी सभा के वैभव को देखकर दुर्योधन पांडवों से डाह करने लगा था। इस भावना ने महाभारत युद्ध को जन्म दिया।
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