"विज्ञान कथा साहित्य": अवतरणों में अंतर
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प्रथम हिंदी-विज्ञान गल्प ?
हिंदी की विज्ञान कथाओं के बारे में लिखते समय लोग प्रायः केशव प्रसाद सिंह की ‘चंद्रलोक की यात्रा’ (1900) का प्रथम विज्ञान गल्प के रूप में उल्लेख करते हैं। अभी तक ऐसा ही अभिमत है। कदाचित इसका कारण
‘चंद्रलोक की यात्रा’ को तो उन्होंने आंग्ल-आधृत कहकर महत्वहीन कर दिया लेकिन ‘इंदुमती’ को पहिली हिन्दी कहानी घोषित किया। ‘इससे पहिले ‘हरिश्चंद्र चंद्रिका’ और ‘पीयूष प्रावह’ में एक-दो कहानियां छपी थीं।
संभवतः कहकर उन्होंने अपनी बात समाप्त कर दी लेकिन यदि इसकी पड़ताल करने की चेष्टा ही गई होती तो यह विभ्रम समाप्त हो गया होता कि प्रथम हिंदी विज्ञान गल्प कौन-सा है ? यद्यपि हिंदी में यह विमर्श आज भी जारी है कि हिंदी की पहली आधुनिक कहानी कौन सी है....‘इंदुमती’ ? इंशा अल्ला खां की 1803 में प्रकाशित ‘रानी केतकी की कहानी ? या फिर 1870 में प्रकाशित मेरठ में
अंबिका दत्त व्यास ने स्व-संपादित पत्रिका ‘पीयूसी-प्रवाह’ में धारावाहिक रूप से ‘आश्चर्यवृत्तांत’ का प्रकाशन किया था (1884-1888) जिसका प्रथम मुद्रण व्यास यंत्रालय, भागलपुर से 1893 में हुआ था। यह हिंदी का प्रथम विज्ञान गल्प है।
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