"गोल्डन काफ़ (सोने का बछड़ा)": अवतरणों में अंतर

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[[चित्र:GoldCalf.jpg|right|thumbnail|300px|निकोलस पौसिन द्वारा स्वर्ण बछड़े की आराधना: ग्रीको-रोमन भदचलन से प्रभावित कल्पना]]
इब्रानी (हिब्रू) बाइबिल के अनुसार, द '''गोल्डेन काफ़''' (עֵגֶּל הַזָהָב ‘ēggel hazâhâḇ) [[मूसा|मोज़ेज़ (मुसों)]] जब माउंट सिनाई पर चले गए तब उनकी अनुपस्थिति के दौरान इस्राएलियों को संतुष्ट करने के लिए उनके भाई हारून (एरॉन) द्वारा बनवाई गई मूर्ति (पंथ अथवा सम्प्रदाय की प्रतिकृति) थी. द काफ़ (बछड़ा) के जरिए इस्राएल के ईश्वर का शारीरिक प्रतिनिधित्व अभिप्रेत था, और इसीलिए, इस्राएल को दोबारा बुत परस्ती (मूर्तिपूजा) में शामिल करने की गलती की जा रही थी एवं ईश्वर की शारीरिक सत्ता का होना आरोपित किया जा रहा था.
 
[[इब्रानी भाषा|हिब्रू]] में, यह घटना ''ḥēṭ’ ha‘ēggel'' (חֵטְא הַעֵגֶּל) के रूप में जानी जाती है अथवा "द सिन ऑफ़ द काफ़" (बछड़े का पाप) के नाम से भी जाना जाता है. इसका उल्लेख सर्वप्रथम निष्क्रमण (एक्सोड्स) [http://bible.cc/exodus/32-4.htm 32:4] में किया गया है. बैल की पूजा कई संस्कृतियों में आम बात थी. मिस्र में, निष्क्रमण के विवरण के अनुसार जब इब्रानी (यहूदी) लोगों को आये अधिक समय नहीं हुआ था तब ही, एपिस बुल एवं बैल के सिर वाला खनुम (Khnum) पूज्य पात्र थे, जैसा कि कुछ लोगों का मानना है, निर्वासन के समय इब्रानी पुनर्जीवन प्राप्त कर रहे थे;{{Citation needed|date=October 2010}} वैकल्पिक रूप से, कुछ लोगों का विश्वास है कि इस्राएल के ईश्वर का संबंध चित्रित बछड़े/बैल देवता के रूप में धार्मिक रूप से आत्मसात और समन्वयता करने की प्रक्रिया के माध्यम से अंगीकृत कर लिया जाना था. मिस्रवासियों एवं इब्रानियों के मध्य प्राचीन पड़ोसियों में निकटरूप पूर्व में तथा [[एजियन सागर|ईजियन]] में, ऑरोक्स, वन्य बैल, की व्यापक रूप से पूजा की जाती थी, अक्सर चन्द्र बैल एवं ईएल के प्राणी के रूप में. इसकी मिनियोन अविभार्व के कारण यूनानी मिथक में क्रेटन बैल के रूप में उत्तरजीवी रहा. भारत में, नंदी (एक बैल) को भगवान शिव की सवारी माना जाता है एवं इसीलिए अनेक हिन्दुओं के लिए यह पवित्र एवं पूज्य है. यूनानियों (मिस्रवासियों) के बीच हाथोर को पवित्र गाय के रूप में प्रतिनिधित्व प्राप्त है, एवं साथ ही साथ इसे आकाश गंगा के रूप में पेश किया जाता है, और अक्सर इसकी पहचान अपने पड़ोसी की देवी ईएल आशेरा के समकक्ष ही की गई. इब्रियों जनजातियों का विकास इन लोगों और पैन्थिओन के बीच होता गया, अतः यह मान लेने में कोई आश्चर्य नहीं कि उनके बीच एक साझा विरासत रही हो जिस पंथ का धीरे-धीरे अब भी अधोपतन हो रहा हो और जिसे ईश्वर एक है (एकेश्वर वाद) की पन्थ के सत्ता में आने के बाद मजबूत विपक्ष का सामना करना पड़ा हो.
 
== बाइबिल का कथा-सारा ==
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जब [[मूसा]] दस ईश्वरीय-आदेश ([http://bible.cc/exodus/19-20.htm निर्गमन 19:20]) पाने के लिए माउंट सेनाई (सेनाई पर्वत) पर चले गए तब वे इस्राएल को चालीस दिनों और चालीस रातों के लिए छोड़ गए ([http://bible.cc/exodus/24-18.htm निर्गमन 24:18]). इस्राएल को यह डर सताने लगा कि वे लौट कर नहीं आएंगे और उन्होंने हारून से उनके लिए इस्राएल के ईश्वर की मूर्ति बनाने के लिए कहा ([http://bible.cc/exodus/32-1.htm निर्गमन 32:1]). हालांकि, हारून ने इस्राएल के परमेश्वर का प्रतिनिधि बनने से इनकार कर दिया. इस्राएलियों ने हारून को अभिभूत करने के लिए काफी शिकायत की थी, इसलिए उसने उनका अनुपालन किया और इस्राएलियों के कानों की सोने की बालियां इकट्ठी की. उसने उसे पिघलाया और सोने की एक जवान बैल (सांड़) की मूर्ति बनाई. हारून ने बछड़े के सामने एक वेदी भी बनाई और यह घोषणा भी कर दी कि इस्राएल के लोगों, ये तुम्हारे ईश्वर हैं, जो तुमलोगों का मिस्र की जमीन से बाहर ले आया है". और दूसरे ही दिन, इस्राएलियों ने सोने के बछड़े को भेंट अर्पित की और उत्सव मनाया. मूसा ने जब उन्हें यह सबकुछ करते देखा तो वे उनसे क्रोधित हो गए, उन्होंने उन शिला लेखों को जिसपर ईश्वर ने इस्राएलियों के लिए अपने कानून लिखे थे, ज़मीन पर फेंक दिया.
 
बाद में, ईश्वर ने मूसा से कहा कि उसके लोगों ने अपने आप को पाप में लिप्त कर लिया है, एवं उन्होंने उन्हें नष्ट कर देने की योजना बनाई है और मूसा से ही नए लोगों की शुरुआत करेंगे. हालांकि, मूसा ने तर्क करते हुए यह दलील दी कि उन्हें छोड़ दिया जाना चाहिए ([http://bible.cc/exodus/32-11.htm निर्गमन 32:11]) और ईश्वर ने उसकी यह विनती स्वीकार कर ली. और जब यहोवा ने लोगों के चिल्लाने का शोरगुल सुना, तो उसने मूसा को इसके बारे में बताया. मूसा पर्वत से नीचे उतरे, लेकिन बछड़े को देखकर वे भी क्रोधित हो गए. उन्होंने उन शिला लेखों को ज़मीन पर पटक कर टुकड़े-टुकड़े कर दिया जिनपर ईश्वरीय आदेश लिखे गए थे. मूसा ने सोने के बछड़े को आग में जलाकर पीसकर राख में बदल दिया, जल में छिड़क कर इस्राएलियों को इसे जबरन पीने को कहा. हारून ने सोने के एकत्रित किए जाने की बात स्वीकार की, और उसने कहा कि कटी हुई जलती लकड़ियों के बीच फेंक दिए जाने पर बछड़ा बनकर बाहर निकल आया. मूसा ने तब सबको बुलाया जो टोरा के अनुयायी बनने को स्वतः इच्छुक थे. अधिकतर इस्राएल मूसा के पास आए, जिनमें लेवी जनजाति के प्रत्येक सदस्य शामिल थे. मूसा ने लेवियों को अधिसंख्यक लोगों (3000) का क़त्ल कर देने के लिए भेजा जिन लोगों ने मूसा के आह्वान को अस्वीकार कर दिया था. इस्राएलियों पर प्लेग की महामारी का आक्रमण हो गया. ईश्वर के अनुसार, एक दिन वे अवश्य इस्राएलियों के पाप लिए उनके पास आएंगे.
 
जैसा कि मूसा ने शिलालेख तोड़ दिए थे, ईश्वर ने उन्हें माउंट सिनाई ([http://bible.cc/exodus/34-2.htm निर्गमन 34:2]) पर लौट आने का आदेश दिया और टूटे शिलालेखों के बदले दूसरे शिलालेख लेने को बुलाया.
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सोने के बछड़े का उल्लेख एज्रा के द्वारा नहेमायाह के नवें अध्याय भी किया गया है, छंद 18-19.
 
16 "लेकिन वे, हमारे पूर्वज, घमंडी और अभिमानी हो गए, और उन्होंने तुम्हारे आदेशों का पालन नहीं किया. 17 उन्होंने सुनने से भी इनकार कर दिया और तुमने जो कुछ भी चमत्कार उनके बीच किए उन्हें भी भुला दिया. वे घमंडी हो गए और उनके विद्रोहियों ने फिर से उनकी गुलामी में लौट जाने के उद्देश्य से एक नेता को नियुक्त किया. लेकिन आप तो क्षमा दान देने वाले विनीत और दयालु ईश्वर हैं, क्रोध आप में काफी धीमी गति से आता है अगाध प्रेम आप में है. अतः आप उन्हें दुःख में छोड़ नहीं देगें, 18 यहां तक कि अगर वे अपने लिए एक बछड़े कि मूर्ति भी खड़ी कर लेते हैं और कहते हैं, 'यह तुम्हारे ईश्वर हैं, जो तुम्हें मिस्र से बाहर लाया है' तब भी, अथवा जब वे भयंकर ईश निन्दात्मक पाप कर्मों को करने में प्रतिबद्ध होते हैं. 19 आपकी महान दयालुता के कारण ही आपने उन्हें असहाय अवस्था में त्याग नहीं दिया. उस दिन से ही जिसदिन से मेघ-स्तंभ उन्हें सत्पथ पर चलने का मार्गदर्शन करने में असफल नहीं रहा, और न ही अग्नि स्तंभ उनके पथ में चमकने में असफल रहा जिस पथ पर उन्हें आगे ले जाना था. 20 आपने उन्हें हिदायत देने के लिए अपनी अच्छी आत्मा दी. आपने उनके मुंह से अपना दिव्य अन्न नहीं छीन लिया, और आपने उनकी प्यास बुझाने के लिए उन्हें जल दिया. 21 चालीस वर्षों तक आपने उन्हें लगातार उनकी असहाय अवस्था में उनकी रक्षा की; उन्हें किसी बात की कमी नहीं रही, उनके कपडे चिथड़े-चिथड़े नहीं हो गए और न ही उनके पांव फूल गए. {{bible verse|Nehemiah|9:16-19|NIV}}
 
एज्रा, इस्राएलियों के बीच बोलते हुए, उनके इतिहास की याद दिलाता है और उनसे ईश्वर की कृपा के बारे में बताता है जिस दर्मियान वे बछड़े से ईश्वर की पूजा करने का प्रयास करते हैं.
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== आलोचना और व्याख्या ==
 
एक से दिखते सरलीकृत बहाने के बावजूद, सोने के बछड़े की कथा जटिल है. माइकल कूगन के अनुसार ऐसा लगता है कि सोने का बछड़ा किसी दूसरे ईश्वर की मूर्ति नहीं था, और इस प्रकार यह अयथार्थ अथवा मिथ्या ईश्वर था.<ref name="coogan115">कुगन, एम. पुराने नियम के लिए एक संक्षिप्त परिचय: अपने संदर्भ में हिब्रू बाइबिल. ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस: ​​ऑक्सफोर्ड, 2009. पृष्ठ 115.</ref> वे प्रमाणस्वरूप निर्गमन 32:4-5 को उद्धृत करते हैं: वह (हारून) उनलोगों से सोना ले लेता है, इसे पिघला देता है, और बछड़े की प्रतिमा गढ़ देता है; और उन्होंने कहा, "ये तुम्हारे ईश्वर हैं, ओ इस्राएल वासियों, यह ही तुम सबको मिस्र की भूमि से बाहर निकाल लाया है." जब हारून ने इसे देखा, उसने इसके सामने एक वेदी बना दी; और हारून ने यह घोषणा कर दी, "आगामी कल ईश्वर के नाम पर उत्सव आयोजित होगा." महत्वपूर्ण बात यह है कि, इस कथा-वृत्तांत में केवल एक ही बछड़ा है, जबकि लोग "देवताओं" के प्रतिनिधित्व के संदर्भ में इसका उल्लेख करते है. जबकि यह ज़रूरी नहीं कि एकल ईश्वर (देवता) का उल्लेख यहोवा कि पूजा को ही संदर्भित करता हो, हालांकि यह इस संभावना को भी ख़ारिज नहीं करता कि यह यहोवा ही है जिसकी लोग पूजा कर रहे हैं, जैसाकि "देवताओं" के बहुवचन से संदर्भित होता हो. साथ ही साथ छंद 5 में "ईश्वर के नाम" पर उत्सव का कभी-कभी अनुवाद "यहोवा के प्रति" ही किया गया है.<ref name="coogan115"/> इस बात पर भी गौर करना चाहिए कि "दस ईश्वर-आदेशों की कथा के कालक्रम में" लोगों को गढ़ी गई मूर्तियों कि सृष्टि के विरुद्ध कोई ईश्वर-आदेश भी नहीं दिया गया था जब उनलोगों ने बछड़ा बनाने में उनकी मदद करने के ऐसे व्यहवहार को तब तक स्पष्ट रूप से गैर-कानूनी करार नहीं किया गया था.<ref name="coogan115"/>
 
सोने के बछड़े की कथा के विवरण से जो दूसरी बात समझ में आती है वह यह है कि बछड़े को यहोवा के मंच के रूप में मान लिया गया था. निकट पूर्व की कला में, देवताओं को को अक्सर किसी न किसी सिंहासन पर आसीन.<ref name="coogan115"/> इस विवरण के अध्ययन से तब यह तर्क संगत रूप में मान लिया जा सकता है कि स्रोत का बछड़ा प्रतिज्ञापत्र की मंजूषा अथवा देवदूत का विकल्प मात्र था जिसपर यहोवा सिंहासनासीन था.<ref name="coogan115"/>
 
इस जटिलता के कारण को इस रूप में समझा जा सकता है 1) हारून की आलोचना, याजकों के गृह के प्रतिष्ठाता के रूप में जिसने मूसा के याजक-आवास के साथ प्रतिस्पर्धा की, एवं/अथवा 2.) "इस्राएल के उत्तरी राज्य पर आक्रमण के रूप में."<ref name="coogan115"/> दूसरी व्याख्या "यारोबाम के पाप" आधारित है, जो उत्तरी राज्य का पतन अश्शुर (Assyria) के हाथों 722 ईसा पूर्व (BCE) में हो जाना.<ref name="coogan115"/> यारोबाम का "पाप" था दो सोने के बछड़ों की दृष्टि करना, और उनमें से एक को राज्य में दक्षिण की ओर बेथेल में पूजे जाने के लिए भेज देना और दूसरे को राज्य के उत्तरी की ओर दान में पूजे जाने के लिए भेज देना, ताकि उत्तरी राज्य के लोग पूजा करने के लिए येरुशलम की ओर जाना जारी न रखें (देखें 1 किंग्स 12.26-30). कूगन के अनुसार, यह प्रकरण विधि-विधान के विवरण के इतिहास का एक हिस्सा मात्र है, जिसे उत्तरी राज्य, जो उत्तरी राज्य के पक्षपात के खिलाफ था, उसके पतन के पश्चात लिखा गया.<ref name="coogan115"/> कूगन का कहना है कि यारोबाम येरुशलम के मंदिर को करुबों (देवताओं) के विकल्प के रूप में केवल पेश किए जाने के लिए था, और इसीलिए बछड़े गैर-यहोवी पूजा की ओर संकेत नहीं करते.<ref name="coogan115"/>
 
आगे इस विवरण की अंतर्कथा समझने के लिए दस्तावेजी अनुमान का उपयोग किया जा सकता है; यह युक्ति है कि सोने के बछड़े की आरंभिक कथा E के द्वारा संरक्षित की गई है और इसका उदमय उत्तरी राज्य में हुआ है. उत्तरी राज्य के पतन के पश्चात जब E और J एक सामान जुड़ते हैं, "उत्तरी राज्य को नकारात्मक आलोक में प्रदर्शित करने के उद्देश्य से कथा का पुनः प्रारूप प्रदान किया गया" और बछड़े की पूजा को "बहुदेववाद" के रूप में चित्रित किया गया, जिसमें "यौनाचार के साथ नंगे नाच का भी सुझाव था (देखें निर्गमन 32.6). कथा विवरणों को एकत्रित किया जाता है, हो सकता है P ने इस मामले में हारून के अपराध को कम कर दिया हो, लेकिन बछड़े के साथ जुड़ी नकारात्मक को बरकरार संरक्षित रखा गया.<ref name="coogan115"/>
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== कुरानी संस्करण ==
 
इस्राएल की घटना और सोने के बछड़े का क़ुरान में [[ता हा|ताहा]] [http://al-quran.info/#&amp;&amp;sura=20&amp;aya=83&amp;trans=en-shakir,en-muhammad_asad,en-marmaduke_pickthall,en-yusuf_ali&amp;show=both,quran-uthmani&amp;format=rows&amp;ver=1.00 20.83] में पुनः उल्लेख किया गया है. इस प्रकरण का क़ुरानी संस्करण अधिकांश सन्दर्भों में मूल के ही समान है, सिवाय इसके कि सोने के बछड़े हारून ने नहीं बल्कि समीरी नाम के एक व्यक्ति ने बनाया. सामिरी का दावा है कि मूसा अंतर्धान हो गए, और इस्राएलियों को एक नए ईश्वर की तलाश थी. कथा का अंत इस प्रकार होता है समीरी मिस्र में लाये गए स्वर्ण-आभूषणों से सोने का बछड़ा गढ़ता है. हारून (ऐरॉन), जो मूसा की अनुपस्थिति में नेता की भूमिका निभाता है, लोगों को मूर्ति की पूजा करने से रोकने की कोशिश करता है, किन्तु असफल रहता है. जब मूसा लौट कर आते हैं, वे बुतपरस्ती के अनुष्ठान और इसे रोकने में हारून की नाकाबलियत पर गुस्से से बौखला जाते हैं, और अपने गुस्से में हारून की दाढ़ी को एक झटके में जोर से खींच लेते हैं. मूसा समीरी को देशनिकाला की सज़ा देते हैं तथा सोने के बछड़े को जलाकर एवं इसकी राख को समुंद्र में बहा देने का आदेश देते हैं.
 
सोने का बछड़ा बनाने और उसकी पूजा करने से दोषमुक्ति को क़ुरान की सूरा ताहा के [90-94] आयतों में देखा जा सकता है:
 
"इससे पहले ही हारून ने उनसे कहा था: "ऐ मेरे लोगों [इस्राएल के बच्चे] तुम्हारा इम्तिहान इसी में है: वास्तव में तुम्हारे मालिक (अल्लाह) हैं सबसे ज्यादा दयालु (रहमदिल); इसलिए मेरे अनुगामी बनो और मेरे आदेशों का अनुपालन करो" (90) उन्होंने कहा: "हम इस पंथ का त्याग नहीं करेंगे, लेकिन हम तब तक खुद को इसके लिए समर्पित कर देंगे जबतक कि मूसा वापस नहीं आते." (91) (मूसा) ने कहा: "हे हारून! किस बात ने तुम्हें पीछे कर दिया? (92) जबकि तुमने देखा कि वे गलत राह पर जा रहे थे. क्या तुमने तब मेरे आदेश की अवज्ञा की ?" (93) (हारून) ने जाब दिया: "ऐ मेरी मां के बेटे! (मुझे) मेरी दाढ़ी से न पकड़ो और न ही, मेरे सिर के (केशों) से! सचमुच मुझे इस बात का डर था कि आप कहीं यह न कहें कि "तू ने इस्राएल के बच्चों के बीच एक विभाजन खड़ा कर दिया है, और तू मेरे वचन का सम्मान नहीं करता है." (94)"
 
== लोकप्रिय संस्कृति में ==