"ग्रन्थ लिपि": अवतरणों में अंतर
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ग्रंथ लिपि का प्रयोग तमिल-संस्कृत [[मणिप्रवालम]] लिखने के लिए भी किया जाता था, यह तमिल और संस्कृत के मिश्रण से बनी एक भाषा है जिसका प्रयोग संस्कृत के लेखों की टीका के लिए होता है। यह विकसित होते-होते काफ़ी जटिल लेखन प्रणाली में परिवर्तित होती गई, जिसमें तमिल शब्दों को [[तमिल वर्णमाला|तमिल वट्टेलुतु]] में और संस्कृत के शब्दों को ग्रंथ लिपि में लिखा जाता था। १५वीं सदी तक इसका विकास इस स्तर तक हो गया था कि दोनो लिपियों का प्रयोग एक ही शब्द तक में होता था - यदि शब्द की धातु संस्कृत आधारित हो तो वह ग्रंथ में लिखी जाती, किंतु यदि शब्द में तमिल प्रत्यय हों तो वे तमिल वट्टेलुतु में लिखे जाते। जैसे जैसे मणिप्रवालम की लोकप्रियता घटती गई, इस लेखन शैली का इस्तेमाल कम होता गया, लेकिन २०वीं सदी के मध्य तक मूलतः मणिप्रवालम में लिखी पुस्तकों के मुद्रित संस्करणों में इसी परंपरा का निर्वाह होता रहा।
आधुनिक समय में ग्रंथ लिपि का प्रयोग कुछ पारंपरिक तमिल-भाषी [[हिंदू|हिंदुओं]] द्वारा किया जाता है। विशेष तौर पर इसका प्रयोग नामकरण पर किसी शिशु का सबसे पहले नाम लिखने के लिए होता है
भूतपूर्व तुळु लिपि को ग्रंथ लिपि कहते थे।
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== [[तुळु लिपि|तुळु]]-[[मलयालम लिपि]] ==
तुळु-मलयालम लिपि को पारंपरिक ग्रंथ कहा जाता है; १३०० ईसवीं के करीब से आधुनिक लिपि का प्रयोग हो रहा है। आज कल दो संस्करणों का प्रयोग होता है: ब्राह्मणी, या चौकोर
== मलयालम और ग्रंथ ==
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यह सोचा गया है कि [[तमिल]] भी एक समय पर ग्रंथ लिपि में ही लिखी जाती थी। पर फ़िलहाल तमिल की अपनी लिपि है।
आधुनिक तमिल लिपि और ग्रंथ लिपि में काफ़ी समानता है, तमिल में महाप्राण अघोष(ख), अल्पप्राण घोष(ग)
''इन्हें भी देखें: [[तमिल वर्णमाला]]''
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निम्नोक्त तालिकाओं के लिए [http://www.uni-hamburg.de/Wiss/FB/10/IndienS/Kniprath/INDOLIPI/Indolipi.htm इंडोलिपि] की ई-ग्रंतमिल मुद्रलिपि का प्रयोग किया गया है।''
''नीचे दी अक्षरों की बनावट ग्रंथ लिपि का पश्चात् कालीन रूप है
=== स्वर ===
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