"सूर्य नारायण व्यास": अवतरणों में अंतर
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'''पण्डित सूर्यनारायण व्यास''' [[हिन्दी]] के व्यंग्यकार, पत्रकार एवं ज्योतिर्विद थे। उन्हें [[साहित्य एवं शिक्षा]] के क्षेत्र में सन [[१९५८]] में [[पद्म भूषण]] से सम्मानित किया गया था।
== बहुआयामी व्यक्तित्व ==
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== जीवनी ==
पण्डित सूर्यनारायण व्यास का जन्म [[उज्जयिनी]] के सिंहपुरी में 2 मार्च 1902 को पण्डित नारायणजी व्यास के घर में हुआ था। पण्डित नारायणजी व्यास, महर्षि सान्दिपनी की परम्परा के वाहक थे। खगोल और ज्योतिष के अपने समय के इस असाधारण व्यक्तित्व का सम्मान [[लोकमान्य तिलक]] एवं
पं. सूर्यनारायण व्यास अठारह बरस या उससे भी कम आयु में रचबा करने लगे थे। [[सिद्धनाथ माधव आगरकर]] का साहचर्य उन्हें किशोरावस्था में ही मिल गया था, लोकमान्य तिलक की जीवनी का अनुवाद उन्होंने आगरकरजी के साथ किया। सिद्धनाथ माधव आगरकर को बहुत लोग अब भूल गये हैं ! ‘स्वराज्य’ सम्पादक, (‘कर्मवीर’ के पहले सम्पादक भी आगरकर जी ही थे जिसे [[माखनलाल चतुर्वेदी]] ने बाद में सँभाला) का पण्डितजी को अन्तरंग साहचर्य मिला और शायद इसी वजह से वे [[पत्रकारिता]] की ओर प्रवत्त हुए।
तिलक की जीवनी का अनुवाद करते-करते वे क्रान्तिकारी बने ; [[वीर सावरकर]] का साहित्य पढ़ा ; सावरकर की कृति '''अण्डमान की गूँज''' (Echo from Andaman) ने उन्हें बहुत प्रभावित किया। प्रणवीर पुस्तकमाला की अनेक ज़ब्तशुदा पुस्तकें वे नौजवानों में गुप्त रुप से वितरित किया करते थे। वर्ष 1920-21 के काल से तो उनकी अनेक क्रान्तिकारी रचनाएँ प्राप्त होती हैं जो-मालव मयूर, वाणी, सुधा, आज, (बनारस) [[सरस्वती]], [[चाँद (पत्रिका)|चाँद]], माधुरी, [[अभ्युदय]] और [[स्वराज्य]] तथा [[कर्मवीर]] में बिखरी पड़ी हैं। वे अनेक ‘छद्म’ नामों से लिखते थे, मसलन-खग, एक मध्य भारतीय, मालव-सुत,
{{१९५८ पद्म भूषण}}
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