"मीटरी पद्धति": अवतरणों में अंतर

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समय के साथ [[मीटर]] और [[किलोग्राम]] आदि की परिभाषाएँ बदलीं हैं और मीतरी पद्धति का विस्तार अनेक अन्य ईकाईयों में भी किया जा चुका है। उन्नीसवीं शताब्दी के अन्तिम काल में तथा बीसवीं शताब्दी के प्रारम्भिक काल में मीटरी पद्धति कई रूपों में दिखी किन्तु वर्तमान समय में 'मीटरी पद्धति' और 'एस आई' ("SI") एक दूसरे के पर्याय हैं।
 
== परिचय ==
[[अंक|अंकों]] को दस चिन्हों के माध्यम से व्यक्त करने की प्रथा का प्रादुर्भाव सर्वप्रथम [[भारत]] में ही हुआ था। [[संस्कृत साहित्य]] में [[अंकगणित]] को श्रेष्ठतम विज्ञान माना गया है। लगभग पाँचवीं शताब्दी में भारत में [[आर्यभट्ट]] द्वारा अंक संज्ञाओं का आविष्कार हुआ था। दशमिक प्रणाली द्वारा विभिन्न इकाइयों के मानों को निर्धारित करने में दस का प्रयोग किया जाता है, अर्थात् इसके अंतर्गत प्रत्येक इकाई अपने से छोटी इकाई की दस गुनी बड़ी होती है और अपने से ठीक बड़ी इकाई की दशमांश छोटी होती है। इस प्रकार एक (इकाई), दस (दहाई), शत (सैकड़ा), सहस्त्र (हजार) इत्यादि संख्याओं को मापने के उपयोग में लाया जाने लगा। गणित विषयक विभिन्न प्रश्न हल करने के लिए भारतीय विद्वानों ने [[वर्गमूल]], [[घनमूल]] और अज्ञात संख्याओं को मालूम करने के ढंग निकाले। संख्याओं के छोटे भागों को व्यक्त करने के लिए [[दशमलव]] प्रणाली प्रयोग में आई।