"मुम्बई मोनोरेल": अवतरणों में अंतर

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'''मुम्बई मोनोरेल''' भारत की बहुप्रतीक्षित पहली मोनोरेल है। इसका उद्घाटन 1 फरवरी 2014 को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने किया। पहली मोनोरेल मुंबई के वडाला मोनो रेल डिपो से दोपहर 3 बजकर 57 मिनट पर चली और लगभग 15 मिनट का सफर तय करके 4 बजकर 12 मिनट पर चेंबूर पहुंची। 2 फरवरी 2014 को इसे आम जनता के लिए खोल दिया गया।<ref name="nbt-2feb13-1">{{cite web | url= http://hindi.economictimes.indiatimes.com/mumbai/other-news/Mumbai-Monorail-takes-off-opens-to-public-on-Sunday/articleshow/29728985.cms | title= देश की पहली मोनोरेल सर्विस मुंबई में शुरू | publisher = नवभारत टाईम्स| date= 2 फरवरी 2014| accessdate= 3 फरवरी 2014}}</ref><ref name="nbt-2feb13-2">{{cite web | url= http://hindi.economictimes.indiatimes.com/articleshow/29768678.cms| title=मुंबई में आम लोगों के लिए मोनोरेल सेवा शुरू | publisher = नवभारत टाईम्स| date= 2 फरवरी 2014| accessdate= 3 फरवरी 2014}}</ref>
 
== रूट ==
प्रथम चरण में चेंबूर-वडाला के बीच दौड़ने वाली इस मोनोरेल के मार्ग की लंबाई 8.93 किलोमीटर है तथा इसमें सात स्टेशन हैं- वडाला, भक्ति पार्क, मैसूर कॉलोनी, बीपीसीएल, फर्टिलाइजर टाऊनशिप, वीएनपी-आरसी मार्ग जंक्शन और चेंबूर। रेल 31 से 80 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ते हुए प्रथम चरण के पूरे मार्ग की यात्रा 15 से 20 मिनट में पूरी करेगी। मुंबई मोनोरेल का किराया 5-19 रुपये रखा गया है।<ref name="nbt-2feb13-1"/><ref name="nbt-2feb13-2"/>
 
== सुविधाएं==
मोनोरेल के आसमानी नीले, गुलाबी और हरे रंग के हर कोच में 20 यात्रियों के बैठने की जगह है जबकि अधिकतम 568 यात्री ट्रैवेल कर सकते हैं। प्लेटफॉर्मों की न्यूनतम ऊंचाई करीब 5.5 मीटर है। अपने ट्रैक पर आने वाले मोड़ के दौरान 40 डिग्री तक झुक जाती है जिससे इसकी यात्रा के आरामदेह रहने पर प्रश्नचिह्न भी लगाए जा रहे हैं।<ref name="nbt-2feb13-1"/>
 
== लागत ==
मुंबई मोनोरेल पर 3000 करोड़ रुपये की लागत आई है।<ref name="nbt-2feb13-2"/>
 
== भविष्य योजना ==
दूसरे चरण में वडाला को दक्षिण मुंबई में संत गाडगे महाराज चौक से जोड़ा जाएगा। 19.17 किलोमीटर की यह दूरी मध्य 2015 तक पूरी होने का अनुमान है। पूरी तरह तैयार होने के बाद यह कॉरिडोर, जापान के ओसाका मोनोरेल (23.8 किलोमीटर) के बाद, दुनिया में दूसरा सबसे लंबा मोनोरेल कॉरिडोर होगा।<ref name="nbt-2feb13-2"/>
 
== सन्दर्भ ==
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