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विजय तेंडुलकर एक मशहूर नाटककार,सिनेमा और टेलीविज़न की दुनिया के पटकथा लेखक थे।
== जीवन परिचय ==
महाराष्ट्र के कोल्हापुर में 6 जनवरी 1928१९२८ को एक ब्राह्मण परिवार में पैदा हुए विजय ढोंडोपंत तेंडुलकर ने महज़ छह साल की उम्र में अपनी पहली कहानी लिखी थी। उनके पिता नौकरी के साथ ही प्रकाशन का भी छोटा-मोटा व्यवसाय करते थे, इसलिए पढ़ने-लिखने का माहौल उन्हें घर में ही मिल गया। पश्चिमी नाटकों को देखते हुए बड़े हुए विजय ने मात्र 11११ साल की उम्र में पहला नाटक लिखा, उसमें काम किया और उसे निर्देशित भी किया। अपने लेखन के शुरुआती दिनों में विजय ने अख़बारों में काम किया था। बाद में भी वे अख़बारों के लिए लिखते रहे। १९ मई २००८ को पुणे में ८० वर्ष की उम्र में उनका बीमारी के बाद निधन हो गया था।
 
==लेखन==
'शांताता! कोर्ट चालू आहे', 'घासीराम कोतवाल' और 'सखाराम बाइंडर' विजय तेंडुलकर के लिखे बहुचर्चित नाटक हैं। कहा जाता है कि उनके सबसे चर्चित [[नाटक]] [[घासीराम कोतवाल]] का छह हज़ार से ज़्यादा बार मंचन हो चुका है। इतनी बड़ी संख्या में किसी और भारतीय [[नाटक]] का अभी तक मंचन नहीं हो सका है। उनके लिखे कई नाटकों का [[अंग्रेज़ी]] समेत दूसरी भाषाओं में अनुवाद और मंचन हुआ है। पांच दशक से ज़्यादा समय तक सक्रिय रहे तेंडुलकर ने [[रंमगंच]] और फ़िल्मों के लिए लिखने के अलावा कहानियाँ और उपन्यास भी लिखे। उनकी बेटी [[प्रिया तेंडुलकर]] [[टीवी]] धारावाहिक रजनी में अपनी भूमिका के बाद [[टेलीविज़न]] की पहली स्टार कही जाने लगीं थीं। प्रिया का वर्ष 2002 में 42 वर्ष की आयु में निधन हो गया था।
 
== कार्य ==
सत्तर के दशक में उनके कुछ नाटकों को विरोध भी झेलना पड़ा लेकिन वास्तविकता से जुड़े इन नाटकों का मंचन आज भी होना उनकी स्वीकार्यता का प्रमाण है। उनकी लिखी पटकथा वाली कई कलात्मक फ़िल्मों ने समीक्षकों पर गहरी छाप छोड़ी। इन फ़िल्मों में अर्द्धसत्य, निशांत, आक्रोश शामिल हैं। हिंसा के अलावा सेक्स, मौत और सामाजिक प्रक्रियाओं पर उन्होंने लिखा। उन्होंने भ्रष्टाचार, महिलाओं और ग़रीबी पर भी जमकर लिखा।
 
== सम्मान ==
[[पद्मभूषण]] से सम्मानित तेंडुलकर को [[श्याम बेनेगल]] की फ़िल्म मंथन की पटकथा के लिए वर्ष 1977 में राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिला था। बचपन से ही रंगमंच से जुड़े रहे तेंडुलकर को [[मराठी]] और [[हिंदी]] में अपने लेखन के लिए संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार, संगीत नाटक अकादमी फेलोशिप, महाराष्ट्र गौरव पुरस्कार जैसे सम्मान भी मिले।