"थर्मल प्रदूषण": अवतरणों में अंतर
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== पारिस्थितिक प्रभाव - उष्म जल ==
तापमान के आधिक्य के कारण [[घुलनशील ऑक्सीजन]] (DO) की मात्रा की कमी पानी में होती है.
ऑक्सीजन की मात्रा की कमी के वजह से मछलियों, [[उभयचर जीवों]]
ध्यातव्य है की महज दो डिग्री [[सेल्सियस]] भी अगर तापमान में बदलाव होता है तो उसका व्यापक असर जीवाणुओं के चयापचय और अन्य [[कोशकीय जीवविज्ञान]] सम्बन्धी प्रभाव पड़ सकते हैं.
मुख्य प्रतिकूल बदलावों में कोशकीय परतों की परिगम्यता जो की [[विसारण]] के लिए जरूरी है, कोषकाएं [[प्रोटीन]] का जमाव
[[प्रधान उत्पादकों]] (प्रजननकर्ताओं) पर इसका प्रभाव पड़ेगा क्यों की उष्णिय जल पेड़-पौधों के बढ़ने के रफ़्तार को तेज़ करती है, जो की अल्प जीवनाविधि का कारण बनेगी तथा जीवाणुओं जनसंख्या में भी बढ़ोतरी होगी.
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== पारिस्थितिक प्रभाव - शीतल जल ==
जलाशयों द्वारा अप्राकृतिक रूप में ठन्डे पानी के छोड़े जाने पर नदी के मछलियों, मेरुदंडविहिन जीवाणुओं
[[ऑस्ट्रेलिया]] की नदियां, जहां, उष्णिय जल तापमानों का स्थापत्य है, वहां के स्थानीय मछलियों की नस्लों का सफाया हो गया है और मेरुदंड विहीन जीव-जंतुओं में भरी मात्रा में फेर-बदल हुआ है अथवा शक्तिहीन हो गए हैं. ताज़े जल के स्रोतों का तापमान कम से कम 50°F, खारे-जल का 75°F
== थर्मल प्रदूषण नियंत्रण ==
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