"दशनामी सम्प्रदाय": अवतरणों में अंतर
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== उद्देश्य ==
दशनामी संन्यासियों का उद्देश्य धर्मप्रचार के अतिरिक्त धर्मरक्षा का भी जान पड़ता है। इस दूसरे उद्देश्य की सिद्धि के लिए उन्होंने अपना संगठन विभिन्न अखाड़ों के रूप में भी किया है। ऐसे अखाड़ों में से "जूना अखाड़ा" (काशी) के इष्टदेव कालभैरव अथवा कभी कभी दत्तात्रेय भी समझे जाते हैं और "आवाहन" जैसे एकाध अन्य अखाड़े भी उसी से संबंधित हैं। इसी प्रकार "निरंजनी अखाड़ा" (प्रयाग) के इष्टदेव कार्तिकेय प्रसिद्ध हैं और इसकी भी "आनंद" जैसी कई शाखाएँ पाई जाती हैं। "महानिर्वाणी अखाड़ा" (झारखंड) की विशेष प्रसिद्धि इस कारण है कि इसने ज्ञानवापी युद्ध
== विभिन्न नाम ==
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