"मोहन भागवत": अवतरणों में अंतर

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हिन्दू समाज में [[जाति|जातीय]] असमानताओं के सवाल पर, भागवत ने कहा है कि [[हिंदुत्व|अस्पृश्यता]] के लिए कोई स्थान नहीं होना चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि अनेकता में एकता के सिद्धान्त के आधार पर स्थापित हिन्दू समाज को अपने ही [[समुदाय]] के लोगों के विरुद्ध होने वाले भेदभाव के स्वाभाविक दोषों पर विशेष ध्यान देना चाहिए। केवल यही नहीं अपितु इस समुदाय के लोगों को समाज में प्रचलित इस तरह के भेदभावपूर्ण रवैये को दूर करने का प्रयास भी करना चाहिए तथा इसकी शुरुआत प्रत्येक हिन्दू के घर से होनी चाहिए।<ref>समाज से भेदभाव मिटाएं, सोमवार, 29 जनवरी, 2007, हिन्दू [http://www.hindu.com/2007/01/29/stories/2007012916970300.htm ]</ref>
 
== सन्दर्भ ==
{{टिप्पणीसूची}}
 
== बाहरी कड़ियाँ==
* [http://www.rssonnet.org राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की आधिकारिक वेबसाइट]
* [http://www.hssus.org/gallery/v/WCOAST/Bayarea/DSC_0354.jpg.html बेएरिया हिन्दू संगम 2006 में]