"याज्ञवल्क्य स्मृति": अवतरणों में अंतर

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'''याज्ञवल्क्य स्मृति''' [[धर्मशास्त्र]] परम्परा का एक हिन्दू ग्रन्थ ([[स्मृति]]) है। याज्ञवल्क्य स्मृति को अपने तरह की सबसे अच्छी एवं व्यवस्थित रचना माना जाता है। इसकी विषय-निरूपण-पद्धति अत्यंत सुग्रथित है। इसपर विरचित मिताक्षरा टीका हिंदू धर्मशास्त्र के विषय में भारतीय न्यायालयों में प्रमाण मानी जाती रही है।
 
== परिचय ==
इस स्मृति में 1003 श्लोक हैं। इसपर [[विश्वरूप]]कृत 'बालक्रीड़ा' (800-825), अपरार्क कृत [[याज्ञवल्कीय धर्मशास्त्र निबंध]] (12वीं शती) और [[विज्ञानेश्वर]]कृत मिताक्ष्रा (1070-1100) टीकाएँ प्रसिद्ध हैं। कारणे का मत है कि इसकी रचना लगभग विक्रम पूर्व पहली शती से लेकर तीसरी शती के बीच में हुई। स्मृति के अंत:साक्ष्य इसमें प्रमाण है। इस स्मृति का संबंध [[शुक्ल यजुर्वेद]] की परंपरा से ही था। जिस तरह [[मानव धर्मशास्त्र]] की रचना प्राचीन धर्मसूत्र युग की सामग्री से हुई, ऐसे ही याज्ञवल्क्य स्मृति में भी प्राचीन सामग्री का उपयोग करते हुए नयी सामग्री को भी स्थान दिया गया। [[अर्थशास्त्र ग्रन्थ|कौटिल्य अर्थशास्त्र]] की सामग्री से भी [[याक्ज्ञवल्क्य]] के अर्थशास्त्र का विशेष साम्य पया जाता है।
 
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: शौचप्रकरणम्, आपद्धर्मप्रकरणम्, वानप्रस्थप्रकरणम्, यति-धर्मप्रकरणम्, प्रायश्चित्त-प्रकरणम्, प्रकीर्ण-प्रयश्चित्तानि
 
== बाहरी कड़ियाँ==
*[https://sa.wikibooks.org/wiki/याज्ञवल्क्यस्मृतिः याज्ञवल्क्यस्मृति]