"नीहारिका": अवतरणों में अंतर

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स्लीफर और [[एडविन हबल]] ने अनेक विसरित नीहारिकाओं से इनकी विस्तृत श्रेणियों को एकत्र करना जारी रखा तथा पता लगाया कि इनमें से 29 उत्सर्जन स्पेक्ट्रा दिखाते हैं और 33 में तारों के प्रकाश का सतत स्पेक्ट्रा था.<ref name="struve37" /> 1922 में हबल ने घोषणा की कि लगभग सभी नीहारिकाएं सितारों से जुडी हैं, और उनकी रोशनी तारों के प्रकाश से आती है. उन्होंने यह भी पता लगाया कि उत्सर्जन स्पेक्ट्रम की नीहारिकाएं लगभग हमेशा B1 या उससे अधिक गर्म (सभी [[तारों की श्रेणियाँ|O श्रेणी]] के [[मुख्य अनुक्रम]] तारों सहित) से जुडी रहती हैं, जबकि सतत स्पेक्ट्रा युक्त नीहारिकाएं अपेक्षाकृत ठंडे तारों के साथ प्रकट होती हैं.<ref>{{cite journal
| last=Hubble | first=E. P. | year=1922
| title=The source of luminosity in galactic nebulae.
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अनेक नीहारिकाओं का गठन [[अंतरतारकीय माध्यम]] में गैस के आपसी [[गुरुत्वाकर्षण]] की वजह से होता है. अपने निजी भार के तहत द्रव्य के संकुचित होने की वजह से केंद्र में अनेक विशाल सितारों का गठन हो सकता है और उनका [[पराबैंगनी]] (अल्ट्रावायलेट) प्रकाश आसपास की गैसों को [[आयनित]] कर प्रकाश [[तरंगों]] पर उन्हें दृष्टिगोचर बनाता है. [[रोजे़ट नेब्यल]] और [[पेलिकॉन नेब्यल]] इस प्रकार की नीहारिकाओं के उदाहरण हैं. HII क्षेत्र के नाम से परिचित इस प्रकार की नीहारिकाओं का आकार, गैस के वास्तविक बादलों के आकार पर निर्भर होता है. यही वह जगह हैं जहां सितारों का गठन होता है. इससे गठित सितारों को कभी-कभी एक युवा, ढीले क्लस्टर के रूप में जाना जाता है.
 
कुछ नीहारिकाओं का गठन [[सुपरनोवा]] में होनेवाले विस्फोट अर्थात् विशाल और अल्प-जीवी तारों के अंत के परिणामस्वरुप होता है. [[सुपरनोवा]] के विस्फोट से बिखरनेवाली सामग्री ऊर्जा द्वारा आयनित होती है और इससे निर्मित हो सकनेवाली ठोस वस्तु का गठन होता है. [[वृष तारामंडल]] का [[क्रैब नेब्यल]] इसका स्रवश्रेष्ट उदाहरण है. वर्ष 1054 में सुपरनोवा की घटना दर्ज की गयी और इसे और [[SN1054]] के रूप में चिह्नित किया गया. विस्फोट के बाद निर्मित ठोस वस्तु क्रैब नेब्यल के केन्द्र में स्थित है, और यह एक [[न्यूट्रॉन स्टार]] है.
 
अन्य नीहारिकाएं [[ग्रहीय नीहारिकाओं]] का गठन कर सकती हैं. [[पृथ्वी]] के [[सूरज]] की तरह, यह लो-मास अर्थात् द्रव्यमान तारे के जीवन का अंतिम चरण है. 8-10 [[सौर द्रव्यमान]] वाले [[तारे]] [[लाल दानव तारों]] के रूप में विकसित होते हैं और अपने वातावरण में स्पंदन के दौरान धीरे-धीरे अपनी बहरी परत खो देते हैं. जब एक तारा पर्याप्त सामग्री खो देता है, तब इसका तापमान बढ़ता है और इससे उत्सर्जित [[पराबैंगनी विकिरण]] इसके द्वारा आसपास फेंके हुए नेब्यल को [[आयनित]] कर सकता है. नीहारिका में अवशिष्ट सामग्री सहित 97% [[हाइड्रोजन]] और 3% [[हीलियम]] है. इस चरण का मुख्य लक्ष्य संतुलन प्राप्त करना है.
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| pages=948–960
| url=http://adsabs.harvard.edu/abs/2005ApJ...620..948S | doi = 10.1086/426469
}}</ref> एक PPN सशक्त अवरक्त विकिरण उत्सर्जित करता है, और एक प्रतिबिंब नीहारिका है. एक PPN के ग्रहों की नीहारिका (PN) बनने के वास्तविक बिंदु को केन्द्रीय सितारे के तापमान द्वारा परिभाषित किया जाता है.
 
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