"पश्चिमी क्षत्रप": अवतरणों में अंतर
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भारतवर्ष में [[शक|शकों]] के जो राज्य स्थापित हुए उनमें भी [[क्षत्रप|क्षत्रपीय राज्यव्यवस्था]] थी।<ref>{{cite book|title=प्राचीन भारत का राजनीतिक और सांस्कृतिक इतिहास|url=http://books.google.co.in/books?id=mdqq14ZB-KcC|author=धनपति पाण्डेय, अशोक अनन्त|isbn=9788120823808|publisher=मोतीलाल बनारसीदास पब्लिशर्स|year=1998}}</ref> भारतीय क्षत्रपों के तीन प्रमुख वंश और एक राजवंश था-
:(१) कपिशा, पुष्पपुर
:(२) पश्चिमी पंजाब के क्षत्रप,
:(३) मथुरा के क्षत्रप
:(४) उज्जैन के क्षत्रप।
== कपिशा, पुष्पपुर
कपिशा, पुष्पपुर तथा अभिसार के क्षत्रपों का पता वहाँ से प्राप्त अभिलेखों से मिलता है। माणिक्याला अभिलेख में ग्रणव््ह्रयक के पुत्र किसी क्षत्रप का उल्लेख मिलता है। उसे कापिशिं का क्षत्रप बताया जाता है। ८३वें वर्ष (संवत् ?) के काबुल संग्रहालय अभिलेख में पुष्पपुर के तिरव्हर्ण नामक एक क्षत्रप का उल्लेख है। अभिसारप्रस्त से प्राप्त एक ताँबे की अंगूठी के आकार की मुद्रा पर क्षत्रप शिवसेन का नाम प्राप्त है।
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