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'''फैनी बर्नी''' (Fanny Burney / 13 जून 1752 – 6 जनवरी 1840) [[अंग्रेजी]] [[उपन्यास]]कार तथा [[नाटक]]कार थीं। वे 'फ्रांसेज बर्नी' (Frances Burney) के नाम से भी जानी जाती हैं। विवाह के बाद वे मेडम डाब्ले (Madame d’Arblay) के नाम से भी जानी जाती थीं।
 
उनकी पैनी दृष्टि मनुष्यों की त्रुटियों तथा हास्यापद विचित्रताओं को सहज ही लक्ष्य कर लेती थी, और उनकी लेखनी कुशल चित्रकार की तूलिका के समान उनका समन्वय करके मनोरंजक चित्रों का सर्जन करती थी। इस तरह के व्यंग्यात्मक चित्र उनके उपन्यासों में भरे पड़े हैं। मैडम डाब्ले के उपन्यासों का महत्व ऐतिहासिक है क्योंकि उनमें स्त्रियों के स्वतंत्र दृष्टिकोण का समावेश है और घरेलू जीवन ही उनका केंद्रबिंदु है। उन्होंने उस परंपरा का श्रीगणेश किया जिसकी पराकष्ठा [[जेन आस्टिन]] की परिपक्व कृतियों मे पाई जाती है।
 
== जीवन परिचय ==
फैनी बर्नी का जन्म [[इंग्लैण्ड]] के लिन रेगिस (जिसे अब किंग्स लिन कहते हैं) में पैदा हुईं थीं। इनके पिता डॉ॰ वर्नी [[संगीत]] के लब्धप्रतिष्ठ मर्मज्ञ थे और फैनी के बचपन में ही [[लंदन]] में आकर रहने लगे थे। उनका संपर्क डॉ॰ जॉन्सन, बर्क तथा रोनाल्ड्स जैसे प्रसिद्ध व्यक्तियों से था और कालांतर में कुमारी वर्नी भी उसी विशिष्ट गोष्ठी से संबंधित हो गईं। लिखने का प्रेम इनमें बाल्यकाल ही में उदय हुआ परंतु विमाता के विरोध के कारण उन्हें प्रोत्साहन न मिल सका। परन्तु आगे चलकर उनकी स्वाभाविक प्रवृत्ति की विजय हुई और सन् १७७८ ई० में उन्होंने अपना प्रथम उपन्यास 'इवेलिना' (Evelina), और दि हिस्ट्री ऑव ए यंग लेडीज इंट्रेंस इन टु दि वर्ल्ड' प्रकाशित किया परंतु इन्होंने अपना नाम तथा व्यक्तित्व गुप्त ही रखा। इस उपन्यास की लोकप्रियता से प्रोत्साहित होकर चार वर्ष पश्चात् उन्होंने 'सिसीलिया ऑर दि मेम्वायर्स ऑव ऐन येअरेस' का प्रकाशन किया। सन् १७८६ में वे साम्राज्ञी चार्लाट् के अधीन एक संमानित पद पर नियुक्त हुईं और अपने चार वर्षों के अनुभवों को अपनी रोचक [[डायरी]] में लेखबद्ध करती रहीं। १७९३ में उन्होंने जेनरल डाब्ले नामक [[फ्रांस|फ्रांसीसी]] शरणार्थी से [[विवाह]] किया। उनके दो अन्य उपन्यास 'कौमिला' और 'दि वांडरर' के नाम से प्रसिद्ध हैं।
 
== इवेलिना ==