"बाण": अवतरणों में अंतर

छो विराम चिह्न की स्थिति सुधारी।
छो बॉट: अनावश्यक अल्पविराम (,) हटाया।
पंक्ति 3:
बाण का सर्वप्रथम उल्लेख ऋग्वेद संहिता में मिलता है। इषुकृत् और इषुकार शब्दों का प्रयोग सिद्ध करता है कि उन दिनों बाण-निर्माण-कार्य व्यवस्थित व्यवसाय था। ऋग्वेदकालीन लोहार केवल लोहे का काम ही नहीं करता था, बाण भी तैयार करता था। बाण का अग्र भाग [[लोहार]] बनाता था और शेष बाण-निर्मातानिकाय बनाता था।
 
[[ऐतरेय ब्राह्मण]] (ई. पू. 600 वर्ष) में देवताओं के धनुष का रोचक वर्णन मिलता है। देवताओं ने [[सोमयज्ञ]] के उपसद् में एक धनुष तैयार किया। धनुष का अग्रभाग अग्नि, आधार सोम, दंड विष्णु, और पंख वरुण था।
 
बाण का नाम शर कैसे पड़ा, इसका वर्णन [[शतपथ ब्राह्मण]] में मिलता है। जब वृत्रासुर पर इंद्र ने वज्र चलाया तब वज्र के चार खंड हो गए - स्फाय, यूप, रथ और अंतिम भाग शर के रूप में धरती पर गिर पड़ा। टूटने के कारण इनका नाम शर पड़ा। उसमें यह भी लिखा है कि बाण का शीर्ष वैसा ही है जैसे यज्ञ के लिए अग्नि।
"https://hi.wikipedia.org/wiki/बाण" से प्राप्त