"भक्ति आन्दोलन": अवतरणों में अंतर
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बारहवीं और तेरहवीं शताब्दी में भक्ति आंदोलन के अनुयायियों में भगत [[नामदेव]] और संत [[कबीर दास]] शामिल हैं, जिन्होंने अपनी रचनाओं के माध्यम से भगवान की स्तुति के भक्ति गीतों पर बल दिया।
प्रथम सिक्ख गुरु
सोलहवीं और सत्रहवीं शताब्दी में भी अनेक धार्मिक सुधारकों का उत्थान हुआ। वैष्णव सम्प्रदाय के राम के अनुयायी तथा कृष्ण के अनुयायी अनेक छोटे वर्गों और पंथों में बंट गए। राम के अनुयायियों में प्रमुख संत कवि [[तुलसीदास]] थे। वे अत्यंत विद्वान थे और उन्होंने भारतीय दर्शन तथा साहित्य का गहरा अध्ययन किया। उनकी महान कृति '[[रामचरितमानस]]' जिसे जन साधारण द्वारा तुलसीकृत रामायण कहा जाता है, हिन्दू श्रृद्धालुओं के बीच अत्यंत लोकप्रिय है। उन्होंने लोगों के बीच श्री राम की छवि सर्वव्यापी, सर्व शक्तिमान, दुनिया के स्वामी और परब्रह्म के साकार रूप से बनाई।
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