"भारतीय संगीत": अवतरणों में अंतर

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शुद्ध स्वर से उपर या नीचे '''विकृत स्वर''' आते है। सा और प के कोई विकृत स्वर नही होते। रे, ग, ध, और नी के विकृत स्वर नीचे होते है और उन्हे '''कोमल'''' कहा जाता है। म का विकृत स्वर उपर होता है और उसे '''तीव्र''' कहा जाता है। समकालीन भारतीय शास्त्रीय संगीत में ज्यादातर यह बारह स्वर इस्तमाल किये जाते है। पुरातन काल से ही भारतीय स्वर सप्तक संवाद-सिद्ध है। महर्षि भरत ने इसी के आधार पर २२ श्रुतियों का प्रतिपादन किया था जो केवल भारतीय शास्त्रीय संगीत की ही विशेषता है।
 
== भारतीय संगीत के प्रकार ==