"मंगल (ज्योतिष)": अवतरणों में अंतर

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[[भारतीय ज्योतिष]] में मंगल ग्रह को प्रथम शेणी का हानिकारक माना जाता है। यह [[मेष राशि]] एवं [[वृश्चिक राशि]] का स्वामी होता है। इसके अलावा मंगल [[मकर राशि]] में उच्च भाव में तथा [[कर्क राशि]] में नीच भाव में कहलाता है। [[सूर्य]], [[चंद्र]] एवं [[बृहस्पति]] इसके सखा या शुभकारक ग्रह कहलाते हैं एवं [[बुध]] इसका विरोधी ग्रह कहलाता है। [[शुक्र]] एवं [[शनि]] अप्रभावित या सामान्य रहते हैं।
 
मंगल ग्रह शारीरिक ऊर्जा, आत्मविश्वास और अहंकार, ताकत, क्रोध, आवेग, वीरता और साहसिक प्रकृति का प्रतिनिधित्व करता है। यह रक्त, मांसपेशियों और अस्थि मज्जा पर शासन करता है। मंगल लड़ाई, युद्ध, और सैनिकों के साथ भी जुड़ा हुआ है।
 
मंगल तीन चंद्र [[नक्षत्र|नक्षत्रों]] का भी स्वामी है: [[मृगशिरा]], [[चित्रा]] एवं श्राविष्ठा या [[धनिष्ठा]]। मंगल से संबंधित वस्तुएं हैं: राक्त वर्ण, [[पीतल धातु]], [[मूंगा]], आदि। इसका तत्त्व [[अग्नि]] होता है एवं यह [[दक्षिण]] दिशा और [[ग्रीष्म काल]] से संबंधित है।