"मंगोल": अवतरणों में अंतर

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१२६० में कुबलाई ने अपने को महान खान घोषित किया और हान परंपरा का अनुसरण करते हुए १२७१ में अपने शासन को "मंगोल" के स्थान पर य्वान राजवंश (१२७१-१३६८) का नाम दे दिया। कुबलाई खान इतिहास में य्वान राजवंश के प्रथम सम्राट शिचू के नाम से प्रसिद्ध है।
 
१२७६ में य्वान सेना ने सुङ राजवंश की राजधानी लिनआन पर हमला करके कब्जा कर लिया, और सुङ सम्राट व उस की विधवा मां को बन्दी बनाकर उत्तर ले आया गया। दक्षिण सुङ राज्य के प्रधान मंत्री वंन थ्येनश्याङ तथा उच्च अफसरों चाङ शिच्ये और लू श्यूफू ने पहले चाओ श्या और फिर चाओ पिङ को राजगद्दी पर बिठाया, तथा य्वान सेनाओं का प्रतिरोध जारी रखा। लेकिन मंगोलों की जबरदस्त ताकत के सामने उन्हें अन्त में हार खानी पड़ी।
 
य्वान राजवंश द्वारा चीन के एकीकरण से थाङ राजवंश के अन्तिम काल से चली आई फूट समाप्त हो गई। इस ने एक बहुजातीय एकीकृत देश के रूप में चीन के विकास को बढावा दिया। य्वान राजवंश की शासन व्यवस्था के अन्तर्गत केन्द्रीय सरकार के तीन मुख्य अंग थे--- केन्द्रीय मंत्राल्य, जो सारे देश के प्रशासन के लिए जिम्मेदार था, प्रिवी कोंसिल, जो सारे देश के फौजी मामलों का संचालन करती थी, और परिनिरीक्षण मंत्रालय, जो सरकारी अफसरों के आचरण व काम की निगरानी करता था। केन्द्र के नीचे "शिङ शङ"(प्रान्त) थे।
 
चीन में स्थानीय प्रशासनिक इकाइयों के रूप में प्रान्तों की स्थापना य्वान काल से शुरू हुई और यह व्यवस्था आज तक चली आ रही है। य्वान राजवंश के जमाने से ही तिब्बत औपचारिक रूप से केन्द्रीय सरकार के अधीन चीन की एक प्रशासनिक इकाई बन गया। फङहू द्वीप पर एक निरीक्षक कार्यालय भी कायम किया गया, जो फङहू द्वीपसमूह और थाएवान द्वीप के प्रशासनिक मामलों का संचालन करता था। आज का शिनच्याङ प्रदेश और हेइलुङ नदी के दक्षिण व उत्तर के इलाके य्वान राज्य के अंग थे। य्वान राजवंश ने दक्षिणी चीन सागर द्वीपमाला में भी अपना शासन कायम किया। य्वान राजवंश के शासनकाल में विभिन्न जातियों के बीच सम्पर्क वृद्धि से देश के आर्थिक व सांस्कृतिक विकास को तथा मातृभूमि के एकीकरण को बढावा मिला।
"https://hi.wikipedia.org/wiki/मंगोल" से प्राप्त