"मंगोल भाषा": अवतरणों में अंतर
Content deleted Content added
Sanjeev bot (वार्ता | योगदान) छो विराम चिह्न की स्थिति सुधारी। |
Sanjeev bot (वार्ता | योगदान) छो बॉट: अनावश्यक अल्पविराम (,) हटाया। |
||
पंक्ति 46:
मंगोल भाषा का इतिहास प्राचीन, मध्य तथा आधुनिक, इन तीन कालों में विभाजित किया जा सकता है। 12वीं शताब्दी तक की भाषा को प्रचीन मंगोल, 13वीं से 16वीं शताब्दी की भाषा को मध्यकालीन मंगोल तथा 17वीं शताब्दी के बाद की भाषा को आधुनिक मंगोल कहते हैं। मध्यकालीन और आधुनिक मंगोल में बहुत अंतर नहीं है। प्रचीन मंगोल के बारे में स्पष्ट ज्ञात नहीं है।
'''मंगोल साहित्य का इतिहास''' 13वीं शताब्दी के मध्य भाग में बने [[मंगोलिया के रहस्य का इतिहास]] (Mongolin nuuca tobcoo) से आरंभ होता है। तथाकथित आधुनिक साहित्य 1921 में हुई अनक्रांति के आसपास से आरंभ होता है परंतु अब तक महत्व की रचनाएँ अधिक नहीं हैं। आधुनिक साहित्य के जन्म से पूर्व 1920 तक की सात शताब्दियों में तीन महत्वपूर्ण ग्रंथ लिखे गए-मंगोलिया के रहस्य का इतिहास, गेजेर खाँ की कथा (Geserin tuuji)
"मंगोलिया के रहस्य का इतिहास" शीर्षक ग्रंथ में मंगोल जाति के जन्म से लेकर चिनगिस खाँ तक का इतिहास है और चिनगिस खाँ पर विशेष बल दिया गया है। यह बहुत सरल और सुंदर भाषा में लिखा गया है तथा बीच बीच में कविताएँ भी मिली हुई हैं। इसमें छोटी सी कमजोर जाति के मंगोल लोगों के इकट्ठे होकर केंद्रीय सत्तात्मक देश बनाने, परिवारप्रधान समाज से बदलकर जागीरदारी समाज बनने तथा छोटे से जागीरदारों के इकट्ठे होकर बहुत प्रबल देश बनने तक का इतिहास वर्णित है।
|