"वसु": अवतरणों में अंतर

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[[हिन्दू धर्म]] में आठ '''वसु''' हैं जो [[इन्द्र]] या [[विष्णु]] के रक्षक देव हैं। 'वसु' शब्द का अर्थ 'वसने वाला' या 'वासी' है।
 
== परिचय ==
'''वसु'''गण प्राय: 'अष्टवसु' कहलाते हैं क्योंकि इनकी संख्या आठ है। यद्यपि इनके नामों में भेद पाया जाता है, तथापि आठों का जन्म दक्षकन्या और धर्म की पत्नी वसु में हुआ था। यह 'अष्टवसु' एक देवकुल था। स्कंद, विष्णु तथा हरिवंश पुराणों में इनके नाम घर, ध्रुव, सोम, अप्, अनल, अनिल, प्रत्यूष तथा प्रभास हैं। भागवत में इनके नाम क्रमश: द्रोण, प्राण, ध्रुव, अर्क, अग्नि, दोष, वसु और विभावसु हैं। [[महाभारत]] में अप् के स्थान में अह: और शिवपुराण में अयज नाम दिया है। अष्टवसुओं के नायक [[अग्नि]] हैं। [[ऋग्वेद]] के अनुसार ये पृथ्वीवासी देवता है। तैत्तिरीय संहिता और ब्राह्मण ग्रंथों में इनकी संख्या क्रमश: ३३३ और १२ है। पद्मपुराण के अनुसार वसुगण दक्ष के यज्ञ में उपस्थित थे और हिरण्याक्ष के विरुद्ध युद्ध में इंद्र की ओर से लड़े थे।
 
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वसु नाम के अनेक वैदिक एवं पौराणिक व्यक्तियों का उल्लेख आया है। उत्तानपाद, नृग, सुमति, वसुदेव, कृष्ण, ईलिन्, भूतज्योति, हिरण्यरेतस्, पुरूरवस्, वत्सर, कुश आदि राजाओं के पुत्रों के नाम भी यही थे। इनके अतिरिक्त सावर्णि मनु, स्वायंभुव मनु, इंद्र, वसिष्ठ ऋषि, मुर दैत्य, भृगवारुणि ऋषि के पुत्र भी वसु नामधारी थे।
 
== इन्हें भी देखें==
*[[वसुदेव]]
 
"https://hi.wikipedia.org/wiki/वसु" से प्राप्त