"मापिकी": अवतरणों में अंतर

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एक दूसरा द्रव्य, जिसमें संहति की उच्च स्तर की स्थिरता पाई जाती है, क्रिस्टल क्वार्ट्ज कहलाता है। इसमें त्रूटियाँ ये हैं कि इसका घनत्व अपेक्षाकृत कम है और यह आर्ता अवशोषक है।
 
हवा में संहति के मानकों की तुलना करते समय ये मानक वायु के विभिन्न आयतनों को हटाते हैं। अत: संहति के मानकों की तुलना करने में ऊपरी उत्प्लावन प्रभाव का विचार अवश्य रखना चाहिए। यदि मानक का घनत्व कम होगा, तो उत्प्लावन संशोधन ज्यादा होगा। प्लैटिनम-इरीडियम मानकों की आपसी तुलना में जो शुद्धता प्राप्त होती है, वह इस सत्यांश पर आधृत है कि इनका घनत्व अधिक ही नहीं वरन्‌ बहुत पास पास होता है। इसके कारण उत्प्लावन संशोधन बहुत ही कम होता है। उन भारों की तुलना में उत्प्लावन संशोधन एक समस्या के रूप में आ खड़ा होता है जिनके घनत्व में बहुत अंतर होता है जिनके, जैसे प्लैटिनम, क्वार्ट्‌ज तथा पीतल आदि। इस दोष को दूर करने के लिये वायुरहित वातावरण में तौलना आवश्यक है। प्रतिदिन के व्यापारिक कार्यों में तौल का कार्य हवा में ही होता है, और उत्प्लावन के कारण जो अंतर बाटों तथा माल में होता है, वह व्यापारिक दृष्टिकोण से नगण्य है। निरीक्षक व्यापारिक बाटों की तुलना के लिये पीतल के, जिसका घनत्व 8.143 है, बाटों के मानक काम में लाते हैं।
 
=== तुला का उपयोग ===
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ताप का प्रभाव तुला पर कम से कम हो, इसलिये यह आवश्यक है कि इनवार की डंडी व्यवहार में लाई जाय, किंत इनवार कुछ हद तक चुंबकीय है। यदि अत्यंत उच्च स्तर की शुद्धता की आवश्यकता हो, तो यह आवश्यक है कि तुला की डंडी चुंबकीय प्रभाव से पूर्णतया प्रच्छन्न (screened) हो और तुला को एक लोहे के बक्स (case) में रखा जाए।
 
छोटी छोटी मात्राओं को तौलने के लिये, और विशेष कर गैसों के घनत्वों की तुलना में, सूक्ष्म तुला प्रयोग में लाई जाती है, जो पूर्णतया बलित क्वार्ट्ज की बनी होती है। इस प्रकार की तुलाओं द्वारा 108 में एक भाग की शुद्धता तक 1/10 ग्राम भी तौला जा चुका है।
 
== इन्हें भी देखें ==