"मीनाक्षी सुन्दरेश्वर मन्दिर": अवतरणों में अंतर
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[[चित्र:Meenakshi-marriage.jpg|thumb|200px|right|देवी पार्वती का हाथ भगवान शिव के हाथों में देते हुए(पाणिग्रहण संस्कार करते हुए) देवी के भ्राता भगवान विष्णु (बाएं से: विष्णु, मीनाक्षी, शिव)]] हिन्दू आलेखों के अनुसार, भगवान शिव पृथ्वी पर सुन्दरेश्वरर रूप में मीनाक्षी से, जो स्वयं देवी पार्वती का अवतार थीं; उनसे विवाह रचाने आये (अवतरित हुए)। देवी पार्वती ने पूर्व में पाँड्य राजा मलयध्वज, मदुरई के राजा की घोर तपस्या के फलस्वरूप उनके घर में एक पुत्री के रूप में अवतार लिया था।<ref name = "प्रदोषम">{{cite web
|url = http://www.pradosham.com/meena1.php
|title = MAKING OF THE MAGNIFICENT TEMPLE DEDICATED TO MEENAKSHI SUNDERESWARAR }}</ref> वयस्क होने पर उसने नगर का शासन संभाला। तब भगवान आये और उनसे विवाह प्रस्ताव रखा, जो उन्होंने स्वीकार कर लिया। इस विवाह को विश्व की सबसे बडी़ घटना माना गया, जिसमें लगभग पूरी पृथ्वी के लोग मदुरई में एकत्रित हुए थे। भगवान [[विष्णु]] स्वयं, अपने निवास [[बैकुण्ठ]] से इस विवाह का संचालन करने आये। ईश्वरीय लीला अनुसार [[इन्द्र]] के कारण उनको रास्ते में विलम्ब हो गया। इस बीच विवाह कार्य स्थानीय देवता कूडल अझघ्अर द्वारा संचालित किया गया। बाद में क्रोधित भगवान विष्णु आये
यह विवाह एवं भगवान विष्णु को शांत कर मनाना, दोनों को ही मदुरई के सबसे बडे़ त्यौहार के रूप में मनाया जाता है, जिसे '''चितिरई तिरुविझा''' या '''अझकर तिरुविझा''', यानि सुन्दर ईश्वर का त्यौहार
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|title = "Madurai - Chitrai festival}}</ref> इस दिव्य विवाह पर एक बडा़ लेख {{plainlink|http://www.indiantemples.com/Tamilnadu/Madurai/legend3.html यहां}} मिल सकता है।
इस दिव्य युगल द्वारा नगर पर बहुत समय तक शासन किया गया। यह वर्णित नहीं है, कि उस स्थान का उनके जाने के बाद्, क्या हुआ? यह भी मना जाता है, कि [[इन्द्र]] को भगवान शिव की मूर्ति शिवलिंग रूप में मिली
[[चित्र:Meenakshi-deity.jpg|thumb|200px|right|मन्दिर में मीनाक्षी देवी]]
[[चित्र:Temple de Mînâkshî02.JPG|thumb|200px|right|मन्दिर का एक द्वार]]
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=== आधुनिक इतिहास ===
आधुनिक ढांचे का इतिहास सही सही अभी ज्ञात नहीं है, किन्तु तमिल साहित्य के अनुसार, कुछ शताब्दियों पहले का बताया जाता है। तिरुज्ञानसंबन्दर, प्रसिद्ध हिन्दु शैव मतावलम्बी संत ने इस मन्दिर को आरम्भिक सातवीं शती का बताया है
|url = http://www.maduraimeenakshi.org
|title = आधिकारिक मन्दिर जालस्थल}}</ref> इस मन्दिर में मुस्लिम शासक मलिक कफूर ने 1310 में खूब लूटपाट की थी।<ref name = "आधिकारिक स्थल"/>
== मन्दिर का ढाँचा ==
इस मन्दिर का गर्भगृह 3500 वर्ष पुराना<ref>{{cite web |url= http://www.aolcbe.org/madurai.htm|title= SRI ARUNJI'S THAEN AMUDHAM DIVYA SATSANG AT MADURAI|accessmonthday=[[१ अगस्त]]|accessyear=[[२००८]]|format= एचटीएम|publisher= एओएलसीबीई|language=अंग्रेज़ी}}</ref> है, इसकी बाहरी दीवारें और अन्य बाहरी निर्माण लगभग 1500-2000 वर्ष पुराने<ref>{{cite web |url= http://blogs.ibibo.com/marriagesecrets/The-temple-structure.html|title= The temple structure|accessmonthday=[[१ अगस्त]]|accessyear=[[२००८]]|format= एचटीएमएल|publisher= लाइफ़सीक्रेट्स|language=अंग्रेज़ी}}</ref> हैं। इस पूरे मन्दिर का भवन समूह लगभग 45 एकड़ भूमि में बना है, जिसमें मुख्य मन्दिर भारी भरकम निर्माण है
{| class="wikitable"
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</gallery>
[[चित्र:Temple de Mînâkshî01.jpg|thumb|250px|right|मीनाक्षी मन्दिर का पवित्र सरोवर]]
'''पोत्रमरै कूलम''', पवित्र सरोवर 165 फ़ीट लम्बा एवं 120 फ़ीट चौड़ा है।<ref name="प्रदोषम"/> यह मन्दिर के भीतर भक्तों हेतु अति पवित्र स्थल है। भक्तगण मन्दिर में प्रवेश से पूर्व इसकी परिक्रमा करते हैं। इसका शाब्दिक अर्थ है "स्वर्ण कमल वाला सरोवर"
|url = http://www.maduraimeenakshi.org/templenew.php?link=theertham
|title = Temple theertham}}</ref> [[तमिल साहित्य|तमिल]] धारणा अनुसार, यह नए साहित्य को परखने का उत्तम स्थल है। अतएव लेखक यहां अपने साहित्य कार्य रखते हैं, एवं निम्न कोटि के कार्य इसमें डूब जाते हैं, एवं उच्च श्रेणी का साहित्य इसमें तैरता है, डूबता नहीं।.<ref name = "प्रदोषम"/><ref>{{cite web
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