"विद्युत जनित्र": अवतरणों में अंतर

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किसी भी स्रोत से की गई यांत्रिक ऊर्जा को विद्युत् ऊर्जा में परिवर्तित करना संभव है। यह ऊर्जा, जलप्रपात के गिरते हुए पानी से अथवा कोयला जलाकर उत्पन्न की गई ऊष्मा द्वारा भाव से, या किसी पेट्रोल अथवा डीज़ल इंजन से प्राप्त की जा सकती है। ऊर्जा के नए नए स्रोत उपयोग में लाए जा रहे हैं। मुख्यत:, पिछले कुछ वर्षों में परमाणुशक्ति का प्रयोग भी विद्युत्शक्ति के लिए बड़े पैमाने पर किया गया है, और बहुत से देशों में परमाणुशक्ति द्वारा संचालित बिजलीघर बनाए गए हैं। ज्वार भाटों एवं ज्वालामुखियों में निहित असीम ऊर्जा का उपयोग भी विद्युत्शक्ति के जनन के लिए किया गया है। विद्युत्शक्ति के उत्पादन के लिए इन सब शक्ति साधनों का उपयोग, विशालकाय विद्युत् जनित्रों द्वारा ही हाता है, जो मूलत: फैराडे के 'चुंबकीय क्षेत्र में घूमते हुए चालक पर वेल्टता प्रेरण सिद्धांत पर आधारित है।
 
== सिद्धान्त ==
फ़ैराडे का यह सिद्धांत निम्नलिखित रूप में व्यक्त किया जा सकता है :
 
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वेग अधिक होने से, घूमनेवाले चालकों पर अपकेंद्र बल (centrifugal force) बहुत अधिक हो जाता है, जिसके कारण आर्मेचर पर उनकी व्यवस्था भंग हो जा सकती है। अत: इन्हें आर्मेचर पर बने खाँपों (slots) में रखा जाता है। आर्मेचर चालकों को धारण करने के साथ ही उनको घुमाता भी है, जिसके लिए उसका शाफ्ट (shaft) यांत्रिक ऊर्जा का संभरण करनेवाले यंत्र के शाफ्ट से युग्मित (coupled) होता है। यह यंत्र पानी से चालनेवाला टरबाइन, या भाप से चालनेवाला टरबाइन या इंजन, हो सकता है। किसी भी रूप में उपलब्ध यांत्रिक ऊर्जा को आर्मेचर का शाफ्ट घुमाने के लिए प्रयोग किया जा सकता है। इस प्रकार विभिन्न प्रकार के यंत्र जनित्र को चलाने के लिए प्रयुक्त किए जाते हैं। इन्हें प्रधान चालक (Prime Mover) कहते हैं। विभिन्न प्रकार के इंजन, जैसे वाष्प इंजन, डीजल इंजन, पेट्रोल इंजन, गैस टरबाइन इत्यादि मशीनें, प्रधान चालक के रूप में प्रयुक्त की जाती हैं और इनकी यांत्रिक ऊर्जा को जनित्र द्वारा विद्युत् ऊर्जा में परिवर्तित किया जाता है।
 
== दिष्टधारा जनित्र (DC Generator)==
'''{{मुख्य|दिष्टधारा विद्युतजनित्र}}'''
आर्मेचर चुंबकीय पदार्थ का बना होता है, जिससे चुंबकीय क्षेत्र के अभिवाह का वाहक हो सके। सामान्यत: यह एक विशेष प्रकार के इस्पात का बना होता है, जिसे आर्मेचर इस्पात ही कहते हैं।