"मोहनलाल (अभिनेता)": अवतरणों में अंतर

छो बॉट से अल्पविराम (,) की स्थिति ठीक की।
छो बॉट: अनावश्यक अल्पविराम (,) हटाया।
पंक्ति 14:
}}
 
'''मोहनलाल विश्वनाथन नायर''' (जन्म 21 मई 1960)<ref> [http://www.mohanlal.org/myself.htm Priyapetta मोहनलाल 25 .. Vayassu - सरकारी वेबसाइट]</ref>, [[एक नाम]] '''मोहनलाल''' या '''लाल''' के नाम से जाने जाने वाले, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्यातिलब्ध भारतीय [[फिल्म अभिनेता]] और [[निर्माता]] हैं, जो [[मलयालम सिनेमा]] का सब सबसे बड़ा नाम है.{{lang-ml|മോഹന്‍ലാല്‍}} चार बार [[राष्ट्रीय पुरस्कार]] विजेता रहे मोहनलाल ने दो [[सर्वश्रेष्ठ अभिनेता]] का पुरस्कार, एक [[विशेष जूरी पुरस्कार]] और एक [[सर्वश्रेष्ठ फिल्म पुरस्कार]] (निर्माता के रूप में) जीता. [[2001]] में [[भारत सरकार]] ने उन्हें [[भारतीय सिनेमा]] के प्रति योगदान के लिए [[पद्मश्री]] से सम्मानित किया. सन 2009 में [[भारतीय प्रादेशिक सेना]] द्वारा उन्हें मानद [[लेफ्टिनेंट कर्नल]] का पद दिया गया,<ref name="LtCol"> Lt.Col. प्रादेशिक सेना द्वारा ''[http://pib.nic.in/release/release.asp?relid=50047 - मानद उपाधि]'' </ref> जो भारतीय सिनेमा के इतिहास में पहली बार हुआ था, और [[श्री संकराचार्य संस्कृत विश्वविद्यालय]], [[कलादी]], द्वारा [[मानद डॉक्टरेट]] प्रदान किया गया.<ref name="Dr."> मोहनलाल के लिए डॉक्टरेट [http://thecompleteactor.blogspot.com/2009/09/doctorate-for-mohanlal-from-sree.html ''- मानद उपाधि]'' </ref>
== अभिनय शैली ==
मोहनलाल भारत में अब तक के सबसे महान अभिनेता माने जाते हैं.उनकी अभिनय शैली दुर्लभ है, जो '''[[सहज (स्वाभाविक) अभिनय]]''' के रूप में जानी जाती है.इसने उन्हें भारत के ज़्यादातर दिग्गज निर्देशकों का पसंदीदा बनाया दिया.वह किरदार के अन्दर की उत्तेजना को वास्तविकता के साथ संतुलित तरीके से अभिनित करने में श्रेष्ठ हैं, जो हर बार निर्देशकों की उम्मीद से अधिक होता है.कहा जाता है कि उनमे समझने की एक महान क्षमता है, जो [[वानाप्रस्तम]] (Vanaprastham) में साबित हो गई, जिसमें उन्होंने अद्भुत और असाधारण ढंग से एक [[कथकली]] कलाकार की भूमिका निभाई और सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किये गए.यह कहा जाता है कि [[कथकली]] का अध्ययन और अभिनय, केवल 8 साल के अभ्यास से ही संभव है! उन्होंने सिर्फ 6 महीने का अभ्यास किया.उनका प्रदर्शन दुनिया के प्रसिद्ध [[कथकली]] कलाकारों, जैसे [[रमणकुट्टी नायर]] और [[कलामंडलम गोपी]] द्वारा सराहा गया.उन्हें भारतीय सिनेमा के बेहतरीन नर्तकों में से एक माना जाता है, जो फिल्मों में [[भरतनाट्यम]] और [[कथक]] का प्रदर्शन बिना किसी ख़ास प्रशिक्षण के करते हैं. उन्होंने सिनेमाओं में [[कलारी]] (kalari) जैसे मार्शल आर्ट (युद्ध कला) का अत्यंत परिपूर्णता के साथ प्रदर्शन किया है.वह [[शास्त्रीय संगीत]] के अत्यधिक कठिन '''स्वरों''' सहित, फिल्मों में अपने होंठ हिलाने (lip movement) के लिए भी प्रसिद्ध हैं.
 
== प्रारंभिक जीवन (1960-1977) ==
मोहनलाल का जन्म केरल के [[पथ्यनाम्पिथ्या जिला]] के [[एलान्थूर]] में विश्वनाथन नायर जो एक वकील और सरकारी कर्मचारी थे, और सान्ताकुमारी, के यहाँ हुआ था. उनका परिवार बाद में तिरुवनंतपुरम के मुदावंमुगल में स्थानांतरित हो गया, जो उनकी माँ का घर था. वह पहले मुदावंमुकल एल.पी.स्कूल जाने लगे और बाद में उन्होंने [[मॉडल स्कूल, तिरुवनंतपुरम]] में दाखिला ले लिया.<ref name="Modelschool"> [http://www.hindu.com/2009/05/25/stories/2009052558020300.htm मॉडल स्कूल में मोहनलाल]</ref> वह स्कूल में एक सामान्य छात्र थे, जो कला की दुनिया की तरफ खिंचे; वह स्कूल- नाटकों में भाग लिया करते थे. छठी कक्षा में, युवा मोहनलाल अपने स्कूल में सर्वश्रेष्ठ अभिनेता चुने गए, जो पुरस्कार आम तौर पर दसवीं कक्षा के छात्रों द्वारा प्राप्त किया जाता था.<ref name="Modelschool"/>
 
स्कूली शिक्षा के बाद उन्होंने अपनी बैचलर की डिग्री के लिए [[महात्मा गांधी कॉलेज, तिरुवनंतपुरम]] में दाखिला ले लिया. उन्होंने अभिनय का साथ जारी रखा और कई सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार जीता. यहाँ वह साथी छात्रों के एक समूह से मिले, जो थिएटर और फीचर फिल्मों के बारे में उत्साहित थे. इन साथियों ने उन्हें उनकी पहली सफलता दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, विशेष रूप से [[प्रियदर्शन]] और [[मनियन्पिल्ला राजू]] जो आगे जाकर लोकप्रिय फिल्म निर्देशक या अभिनेता बने.
 
उनकी सबसे उल्लेखनीय भूमिकाएं रहीं, सनमनसाउल्लवरक समादानम (sanmanassullavarkku Samadhanam) में गोपालकृष्ण पानिकर, टी.पि बालागोपालन एम् ए (T.P.Balagopalan M.A.) में बलागोपालन, नमकअ परकान मुन्तिरी तोप्पुकल (Namukku Parkkan Munthiri Thoppukal) में सोलोमन, नादोदिक्काट्टू (Nadodikkattu) में दसन, तूवानतुम्बिकल (Thoovanathumbikal) में जयकृष्णन, चित्रम (Chithram) में विष्णु, किरीडम(Kireedam) में सेतु माधवन, सदयम (Sadayam) में सथ्यनादन, भारतम (Bharatham) में गोपी, देवासुरम (Devaasuram) में मंगलास्सेरी नीलाकंदन,वानप्रस्तम(Vanaprastham) में कुन्हिकुत्तन, और स्पदिकम (Spadikam) में थॉमस चक्कों (आडू थोमा) (Aadu Thoma).
 
== फिल्म कैरियर ==
=== प्रारंभिक वर्षें (1978-1985) ===
लाल की पहली फिल्म थी 'थिरनोत्तम" ("Thiranottam") (1978). फिल्म सेंसर बोर्ड की आपत्ति में फँस गयी और कभी रिलीज़ नहीं हुई. उन्हें पहली बार 1980 में सफलता मिली, जब वह ''[[मंजिल विरिन्या पूक्कल]]'' (Manjil Virinja Pookkal) में विरोधी की भूमिका के लिए चुने गए जो एक सफल ब्लोकबस्टर फिल्म साबित हुई. अगले कुछ वर्षों में बहुत सी फिल्मों में उन्होंने बढती महत्त्व की भूमिकाएं निभाईं. वर्ष 1983 में उन्होंने 25 से अधिक फीचर फिल्मों में नाम कमाया. प्रख्यात पटकथा लेखक एम् टी [[वासुदेवन नायर]] द्वारा लिखित, और [[आई वी शशि]] द्वारा निर्देशित, धोखे और छल की कहानी [http://www.imdb.com/title/tt0292314/ ''उयारंगलिल'' ] (Uyarangalil), इस अवधि की सबसे महत्वपूर्ण फिल्म थी. इसके बाद उन्होंने अपने निदेशक मित्र और कॉलेज के साथी [[प्रियदर्शन]] की पहली फिल्म ''[[पूचक्कोरू मूक्कुत्ति]]'' (Poochakkoru Mookkuthi) में हास्य भूमिकाओं को उजागर किया.
 
=== स्वर्ण अवधि (1986-1995) ===
यह काल (1986 - 1995) व्यापक रूप से मलयालम सिनेमा का [[स्वर्ण काल]] माना जाता है, जब विशेष रूप से फिल्मों की विस्तृत पटकथाएँ, स्पष्ट अर्थ का वर्णन और ताजा विचारों ने कलात्मक और व्यावसायिक फिल्मों के बीच के अंतर को कम कर दिया.<ref name="goldenphase"> [http://www.malayalamcinema.com/php/showContent.php?linkid=4 मलयालम सिनेमा के इतिहास]</ref> एक युवा प्रतिभा के रूप में कामयाबी की तरफ बढ़ते हुए, मोहनलाल ऐसी भूमिकाएं प्राप्त करने लगे जिसने उन्हें भावनाओं की विस्तृत श्रृंखला का प्रदर्शन करने के पर्याप्त अवसर दिए, और मलयालम सिनेमा के बेहतर निर्देशकों और लेखकों के साथ उनका एक सफल संगठन शुरू हुआ.
 
1986 उनके लिए बेहतरीन सालों से एक था. [[साथ्याँ अन्थिकड़]] की [http://www.imdb.com/title/tt0286190/ ''टी.पि बलागोपालन एम्.ए'' ] (T.P.Balagopalan M.A) ने उन्हें उनका पहला सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का केरल राज्य पुरस्कार दिलवाया. [http://www.imdb.com/title/tt0282889/ ''राजाविंते मकन'' ] (Rajavinte Makan) में अपराध जगत के डॉन (don) की उनकी भूमिका के बाद मलयालम सिनेमा के सुपरस्टार के रूप में मोहनलाल का उदय हुआ. उसी साल, उन्होंने ''[[थालावात्तोम]]'' में पागलखाने के मरीज़ की भूमिका निभाई, [http://www.imdb.com/title/tt0292220/ ''सनमनसाउल्लवरक समादानम'' ] ( Sanmanassullavarku Samadhanam) में एक पीड़ित मकान मालिक, [[एम्.टी वासुदेवन नायर]] की फिल्म ''पंचगनी'' (Panchagni) में एक पत्रकार, ''[[नमकअ परकान मुन्तिरी तोप्पुकल]]'' (Namukku Parkkan Munthiri Thoppukal) में प्यार पड़े एक खेत के मालिक की, [http://www.imdb.com/title/tt0214704/ ''गाँधी नगर 2nd स्ट्रीट'' ] (Gandhi Nagar 2nd street) में गुरखा बनने पर मजबूर एक बेरोजगार युवक की भूमिकाएं निभाई.
पंक्ति 40:
''[[तूवालतुम्बिकल]]'' (Thoovanathumbikal) जिसमें उन्होंने दोहरे प्रेम के बीच फंसे व्यक्ति की भूमिका निभाई, ने भारतीय फिल्मों की उस छवि को तोड़ दिया के एक मुख्य किरदार(व्यक्ति) एक औरत के इनकार के तुरंत बाद दूसरी औरत के साथ प्यार कर सकता है. ''अम्रितागमया'' (Amrithamgamaya) एक ऐसे आदमी की कहानी थी, जो उस लड़के के घर पहुँच जाता है जिसकी अनजाने में काल्लेज की रेगिंग सत्र के दौरान उसने हत्या कर दी थी. [[ताएवरम]] (Thazhvaram) इस अवधि की एक और उल्लेखनीय फिल्म थी.
लेखक [[लोहितादास]] और निदेशक [[सीबी मलयिल]] ने उनकी कुछ सबसे यादगार भूमिकाओं की रचना की. उन्होंने फिल्म ''[[किरीडम]]'' (Kireedam) में सेतु माधवन की भूमिका निभाई जो एक पुलिस अधिकारी बनने का सपना देखता है, परन्तु फिल्म के अंत तक एक अपराधी बन जाता है, जिसमें उन्हें एक [[विशेष जूरी पुरस्कार]] प्राप्त हुआ. ''[[भारतम]]'' (Bharatham) में वह एक शास्त्रीय गायक जो ईर्ष्या के बोझ, और अंततः अपने गायक भाई की मौत से गुज़रता है, का पात्र निभाया जिसने उन्हें अगले वर्ष सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का राष्ट्रीय पुरस्कार दिलाने में मदद की.
 
90 के दशक में अधिक मनोरंजक फिल्मों के साथ उनकी सफलता जारी रही, जैसे [http://www.imdb.com/title/tt0237309/ ''हिज़ हाइनेस अब्दुल्ला'' ] (His Highness Abdullah), जहां उन्होंने एक [[मुस्लिम]] व्यक्ति का पात्र निभाया जो एक शाही शख्स की हत्या के लिए [[नम्बूदिरी]] का वेश धारण करता है. इस काल में उनकी अन्य महत्वपूर्ण व्यवसायिक फिल्मे थीं [http://www.imdb.com/title/tt0255373/ ''मिधुनाम'' ] (Midhunam), [http://www.imdb.com/title/tt0255378/ ''मिन्नारम'' ] (Minnaram), ''तेन्माविन कोम्वत्त'' (Thenmavin kombath) जिन्होंने साफ-सुथरी, अच्छी पटकथा और शानदार चरित्र वर्णों के साथ 80 के दशक की परंपरा को जारी रखा. रंजित द्वारा लिखित और [[आई.वि ससी]] द्वारा निर्देशित फिल्म ''[[देवासुरम]]'' (Devaasuram), मध्य केरल के सामंती वातावरण में स्थापित, विशेष रूप से मोहनलाल के उस अभिनय के लिए प्रसिद्ध हुई जिसमे उन्होंने एक घमंडी, अमीर और ढीठ युवक को चित्रित किया, जो धीरे धीरे कई घटनाओं की वजह से विनम्र हो जाता है. निर्देशक भद्रण की ''[[स्पदिकम]]'' (Spadikam) में जिस क्रांतिकारी अंदाज़ में स्टंट फिल्माए गए थे, उसकी वजह से यह फिल्म एक आदर्श पंथ बन गई. इस अवधि के दौरान, समीक्षकों द्वारा प्रशंसा पाने वाली फ़िल्में कुछ ही थीं, और जो ज़्यादातर अर्ध मनोरंजक थीं जैसे [[मनिचित्रताए]] (Manichitrathazhu) जिसमे मुख्य महिला भूमिका निभाने वाली [[शोभना]] को सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का राष्ट्रीय पुरस्कार मिला.
 
यह समय ऐसा भी था जब पिता-पुत्र की जोड़ी तिलकन और मोहनलाल ने मलयालम फिल्म उद्योग, और विशेष रूप से दोनों अभिनेताओं के प्रशंसकों पर शक्तिशाली प्रभाव डाला.
 
=== बाद के वर्ष (1996-वर्तमान) ===
उनके कैरियर की इस अवधि के दौरान, फिल्म निर्माताओं ने मोहनलाल को फिल्मों में अजय, अतिशयोक्तिपूर्ण नायक के रूप में चित्रित करके, केरला में उनकी विशाल लोकप्रियता का फायदा उठाया. [[आराम तम्बुरान]] (Aaram Thamburan), [[नरसिम्हम]] (Narasimham), [[रवानप्रभु]] (Ravanaprabhu), [[नरण]] (Naran) जैसी फिमों ने उनकी इस छवि का बड़े प्रभाविक स्थर पर इस्तेमाल किया जो ब्लाकबस्टर साबित हुईं. अपनी शुरुआती नवीनता के बाद, इन फिल्मों में यथार्थवाद की कमी और मोहनलाल के इर्द गिर्द ही फिल्मे बनाए जाने के कारण इन्हें कई हलकों से आलोचना का सामना करना पड़ा. [[प्रियदर्शन]] की [[कालापानी]] (Kalapani), जो अंग्रजों के खिलाफ भारत के आजादी की लड़ाई की कहानी थी, जो [[अंडमान द्वीपों]] के [[सेलुलर जेल]] पर केंद्रित थी, और [[लोहितादास]] की [http://www.imdb.com/title/tt0273306/ ''कन्मदम'' ] (Kanmadam), 90 के दशक के अंतिम वर्षों के दौरान उनकी कुछ उल्लेखनीय फ़िल्में रहीं.
 
वो यह समय था जब मोहनलाल मलयालम भाषी दुनिया के बाहर पहचाने जाने लगे. उन्होंने अपनी पहली गैर मलयालम फिल्म में अभिनय किया, जब लोकप्रिय फिल्म निर्देशक [[मणिरत्नम]] ने उन्हें [[तमिल फिल्म]] ''[[इरुवर]]'' (Iruvar) के लिए अनुबंधित किया. इसमें मोहनलाल, [[MGR]], के किरदार में नज़र आए जो पड़ोसी राज्य [[तमिलनाडु]] में एक उपासना योग्य व्यक्ति माने जाते हैं. भारत-फ्रेंच, निर्मित ''[[वानाप्रस्तम]]'' (Vaanaprastham), जिसमें उन्होंने अपनी पहचान खोने की संकट में घिरे एक [[कथकली]] नृत्य कलाकार की भूमिका निभाई, जिस ने उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के लिए दूसरा राष्ट्रीय पुरस्कार दिलवाया, और यह पहली फिल्म थी जिसमे उन्हें अंतरराष्ट्रीय मान्यता मिली. यह फिल्म [[कान फिल्म समारोह]] के प्रतिस्पर्धा वर्ग के लिए चुनी गई और उनके प्रदर्शन को समीक्षकों द्वारा प्रशंसा मिली.
 
2002 में, मोहनलाल ने अपनी पहली [[बॉलीवुड]] फिल्म ''[[कंपनी]]'' (company) में अभिनय किया, जिसने उन्हें भारत में व्यापक [[हिन्दी]] भाषी दर्शकों के बीच पहचान दिलाई. यह एक महत्वपूर्ण एवं सफल व्यावसायिक फिल्म थी. उन्होंने इस भूमिका के लिए सर्वश्रेष्ठ समर्थक अभिनेता का [[आई आई एफ ए]] (IIFA) पुरस्कार, [[स्टार स्क्रीन पुरस्कार]] जीता.{{Citation needed|date=March 2010}} वर्ष 2006 में फिल्म ''[[तन्मतरा]]'' (Thanmathra)("परमाणु") ने उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के लिए केरल राज्य पुरस्कार जितवाया, जिसमे उन्होंने अल्जाइमर रोग से प्रभावित एक व्यक्ति को चित्रित किया. उनकी दूसरी बॉलीवुड फिल्म ''[[राम गोपाल वर्मा की आग]]'' (Ram Gopal Varma Ki Aag) थी, जो 1975 की ब्लोकबस्टर फिल्म [[शोले]] की रीमेक थी, जिसमें उन्होंने इंस्पेक्टर की भूमिका निभाई, जो मूल फिल्म में [[संजीव कुमार]] द्वारा निभाई गई थी. मोहनलाल ने फिल्म परदेसी (Paradesi) में वलियाकाटू मूसा की भूमिका में प्रदर्शन के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का 2007 केरल राज्य पुरस्कार जीता. मोहनलाल परदेसी (Paradesi) में अपने प्रदर्शन के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का राष्ट्रीय पुरस्कार एक वोट से हार गए.{{Citation needed|date=January 2010}} 2009 में मोहनलाल ने डा.[[कमल हासन]] के साथ [[तमिल]] फिल्म [[उनियपोल उरूवन]] (Unnaipol Oruvan) में काम किया और इस प्रदर्शन के लिए [[तमिल]] दर्शकों ने उनकी काफी प्रशंसा की. उन्होंने वर्ष 2010 ki शुरुआत रोशन एन्द्रुस द्वारा निर्देशित एक सुपर हिट(सफल) सजीव पारिवारिक मनोरंजक फिल्म "इविडेम स्वरगमाणु" ('Ividam Swargamanu') के साथ की.{{Citation needed|date=January 2010}}
पंक्ति 78:
भारत में शराब के विज्ञापन पर प्रतिबंध है. विक्रेता विभिन्न तरीकों का इस्तेमाल करके प्रतिबंद से बच निकलते हैं, उदाहरण के लिए शराब के समान लेबल वाली, बिना शराब की मादक पेयों को बढ़ावा देकर. इस विज्ञापन विशेष में जो व्यापक रूप से स्थानीय टीवी चैनलों और सिनेमाघरों पर प्रचारित किया गया था, मोहनलाल [[केले के चिप्स]] का विज्ञापन करते नज़र आए जो शराब का भी ब्रांड नाम था.
 
मोहनलाल अपनी फिल्मों के चयन ज्यादातर प्रवृत्ति पर करते हैं और चाहते हैं की चीज़ें जैसे चलती हैं चलें.<ref name="cnn-interview"> सीएनएन-आइबीएन - [http://www.ibnlive.com/news/being-mohanlal-keralas-pride/11060-8-0.html ''मोहनलाल होने के नाते'' ]</ref> वह मलयालम फिल्म उद्योग में कुछ नजदीकी लोगों के साथ ही काम करना पसंद करते हैं, जिन्हें वह अपने काम के शुरूआती वख्त से जानते हैं और उसी में उन्हें आनंद मिलता है.<ref name="rediffinterview"> मोहनलाल - [http://www.rediff.com/entertai/2000/aug/29mohan.htm ''मैं कोई जड़ है'' ]</ref> उनके बहुत से पसंदीदा स्कूल और कॉलेज के साथी उनके साथ फिल्म उद्योग में हैं. इनमे निर्देशक प्रियदर्शन, गायक [[एमजी श्रीकुमार]], अभिनेता राजू, और निर्माता सुरेश कुमार शामिल हैं.
 
वह अन्य भाषाओं में काम करने में असहज महसूस करते हैं, और उन भाषाओं की जटिलताओं पर काबू की कमी को जिम्मेदार बताते हैं.<ref name="cnn-interview"/>
 
== पुरस्कार और उपलब्धियाँ ==